Lumpy Virus : राजस्थान के 7 जिलो में फैला लम्पी वायरस, आपात बैठक में CS ने जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं को दी मंजूरी

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Lumpy Virus : राजस्थान के 7 जिलो में फैला लम्पी वायरस, आपात बैठक में CS ने जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं को दी मंजूरी

Lumpy Virus : राजस्थान के 7 जिलो में फैला लम्पी वायरस, आपात बैठक में CS ने जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं को दी मंजूरी

जयपुर: राजस्थानप्रदेश की हजारों गायों पर इन दिनों लम्पी वायरस का कहर बरपा हुआ है। इस वायरस की चपेट में आने वाली गायों के शरीर पर सैंकड़ों की संख्या में गांठें बन रही है और वे निढाल होकर बेहोशी की हालत तक पहुंचती जा रही है। तेजी से फेल रहे इस वायरस के बाद राज्य सरकार गम्भीर हो गई है। मंगलवार शाम को मुख्य सचिव उषा शर्मा ने इस मामले को लेकर अहम बैठक बुलाई। बैठक में पशुपालन औक गोपालन विभाग के अधिकारियों और चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि संक्रमित गायों को जेनरिक के साथ ब्रांडेड दवाएं भी दी जा सकेगी। जिला प्रशासन को ब्रांडेड दवाएं खरीदने की मंजूरी दे दी गई है। जिन जिलों में लम्पी वायरस का प्रकोप ज्यादा फैल रहा है। उन जिलों के कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे गायों की मौतें रोकने के हर संभव प्रयास करें।

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प्रदेश के पश्चिमी राजस्थान के जिलों में लम्पी वायरस का प्रकोप ज्यादा है। बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, सिरोही, बीकानेर के साथ भरतपुर, धोलपुर और दक्षिण राजस्थान के कुछ जिलों में भी लम्पी वायरस पैर पसार रहा है। मुख्य रूप से बड़ी गौशालाओं में रह रही गायें ज्यादा चपेट में आ रही है। पश्चिमी राजस्थान के सात जिलों में अब तक 1500 से ज्यादा गायों की मौतें हो चुकी है। वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने रविवार और सोमवार को कई गौशालाओं का निरीक्षण भी किया। इस दौरान पशु पालन विभाग के अधिकारी भी साथ रहे। गौशालाओं के संचालकों का कहना है कि एक के बाद एक लगातार गायें लम्पी वायरस की चपेट में आ रही है।
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कलेक्टर्स को निर्देश, मौतें रोकने के हर संभव प्रयास करें

मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद जिला कलेक्टर्स को विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं। जिन जिलों में लम्पी वायरस के ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। वहां उपचार के खास इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। जिला कलेक्टर की निगरानी में पशुपालन विभाग के अधिकारियों चिकित्सकों की टीमें बनाई गई है। ये टीमें गौशालाओं में रहकर गायों के इलाज के लिए हर वक्त मौजूद रहेगी। ज्यादा संक्रमित गायों को अलग बाड़ों में रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि एक संक्रमित गाय के संपर्क में आने से अन्य गायों में यह वायरस फैल रहा है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़)

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