Loksabha Election 2024: क्या लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं ये बसपा सांसद?

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Loksabha Election 2024: क्या लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं ये बसपा सांसद?

Loksabha Election 2024: क्या लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं ये बसपा सांसद?


लखनऊ: हाल ही में बसपा सांसद रितेश पांडेय की सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ फोटो वायरल हुई। इससे पहले रितेश ने डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए और एक पुस्तक विमोचन में भाजपा नेताओं के साथ फोटो खुद ट्वीट की। वह इकलौते बसपा सांसद नहीं हैं, जिनकी हाल ही में दूसरे दलों के नेताओं से मुलाकात की खबरें आई हैं। कई और सांसद भी हैं, जो पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे हैं या दूसरे दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि बसपा सांसदों में बेचैनी क्यों बढ़ रही है? क्या वे लोकसभा चुनाव से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं?

पिता हैं सपा से विधायक

रितेश अम्बेडकरनगर से बसपा के सांसद हैं। उनके पिता राकेश पांडेय सपा से विधायक हैं। रितेश 2017 में जलालपुर सीट से बसपा विधायक बने थे। इसके बाद 2019 में सांसद बने तो जलालपुर सीट छोड़ दी। इस सीट पर उपचुनाव में बसपा ने उनके पिता के नाम का ऐलान कर दिया। राकेश ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। जानकारों का कहना है कि राकेश इस सीट से अपने बड़े पुत्र आशीष को चुनाव लड़वाना चाहते थे। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह सपा में शामिल हो गए।

विधानसभा चुनाव के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने रितेश को बसपा संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद से वह कुछ अलग राह तलाश रहे हैं। फरवरी में उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र में पदयात्रा निकाली, लेकिन उसमें पार्टी को क्रेडिट नहीं दिया गया। उसके बाद से उनकी फोटो वायरल होने लगीं। हालांकि, रितेश का कहना है कि अखिलेश से उनकी मुलाकात थी व्यक्तिगत, लेकिन चर्चा आम है कि वह लोकसभा चुनाव से पहले नया ठिकाना तलाश सकते हैं।

इनको भी भा रहे दूसरे दलों के काम
श्याम सिंह यादव: जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव को लेकर भी चर्चा तेज है। वह दिसंबर, 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए, जबकि बसपा ने इस यात्रा से किनारा किया था। उन्होंने सफाई दी थी कि वह व्यक्तिगत हैसियत से इसमें शामिल हुए। वह भाजपा नेता नितिन गडकरी और अमित शाह की भी प्रशंसा कर चुके हैं। इसी महीने उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की।

मलूक नागर: बसपा के बिजनौर से सांसद मलूक नागर को भी भाजपा के कई काम भा रहे हैं। उन्होंने हाल में संसद के बजट सत्र में बजट की खुलकर तारीफ की। इसी सत्र में उन्होंने मेरठ से शुक्रताल और हस्तिनापुर तक रेल चलाए जाने के भाजपा के फैसले की भी तारीफ की।

उमाशंकर सिंह: बसपा के इकलौते विधायक उमा शंकर सिंह जब पीएम नरेंद्र मोदी पर लिखी पुस्तक ‘दिव्यदर्शी मोदी’ के साथ नजर आए तो उनको लेकर भी चर्चाएं उठीं। हालांकि, उन्होंने साफ किया था कि पुस्तक के लेखक संजय शेरपुरिया उनके मित्र हैं और गाजीपुर के ही रहने वाले हैं। उन्होंने चाय पर बुलाया था और यह पुस्तक भेंट कर दी।

कहीं यह वजह तो नहीं?
बसपा सांसदों और विधायकों के दूसरे दलों के संपर्क में आने के मायने निकाले जा रहे हैं कि 2024 नजदीक है और उससे पहले वे दूसरा ठिकाना तलाश रहे हैं। इन चर्चाओं की वजह भी बताई जा रही हैं। यूं तो 2012 के बाद से चुनाव-दर-चुनाव बसपा की सीटें और वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा को 19.60% वोट मिले, लेकिन एक भी सीट हासिल नहीं हुई। 2019 में सपा से गठबंधन हुआ। वोट प्रतिशत तो 19.30 ही रहा लेकिन 10 सीटों पर जीत हासिल हुई।

फिर भी बसपा ने सपा से गठबंधन तोड़ दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट पर सिमट गई और पार्टी 1993 के बाद से अपने सबसे कम वोट प्रतिशत पर जा पहुंची। इस बार विधानसभा चुनाव में महज 12.80% वोट मिले। इधर, मायावती इस बार लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन से इनकार कर चुकी हैं। ऐसे में सांसदों के मन में भी सवाल उठ रहे हैं कि पता नहीं पार्टी 2019 वाला प्रदर्शन दोहरा पाएगी या नहीं? उनकी बेचैनी की वजह भी यही बताई जा रही है।

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