Lok Sabha Election 2024 Date: 13 मार्च के बाद लगेगी आचार संहिता, अप्रैल और मई में होगा मतदान | lok sabha chunav Dates, phases schedule likely to be released after March 13 | News 4 Social h3>
कब लग सकती है आचार संहिता?
इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति जानना चाहता है। चाहे राजनीतिक दल हो या कोई भी सरकारी कर्मचारी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी चुनाव कराने की कोशिश चुनाव आयोग कर रहा है। पिछली बार 10 मार्च को आचार संहिता लगी थी। इस बार भी कोशिश की जा रही है कि 10 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाए। लेकिन परीक्षाओं के कारण तारीखों का ऐलान में थोड़ा विलंब हो सकता है। यह भी हो सकता है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान 15 मार्च के पहले या 15 मार्च के बाद हो सकता है। आचार संहिता लगने के लगभग 30 दिनों में चुनाव प्रक्रिया शुरू करना होती है। क्योंकि कुछ राज्यों में चुनाव आयोग के दौरे होने वाले हैं जो 13 मार्च को खत्म होंगे। इसी के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है।
क्या अप्रैल-मई में होंगे चुनाव?
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जैसा कि पिछले चुनावों की तरह ही इस बार भी कोशिश की जा रही है चुनाव समय पर आयोजित किए जाएं। इसलिए इस बार भी अप्रैल और मई में विभिन्न तारीखों में मतदान की तारीखें हो सकती है। पिछली बार की तरह ही 30 मई तक रिजल्ट घोषित हो गए थे। केंद्र सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया था। जैसा की पिछले चुनाव में 7 चरणों में चुनाव हुए थे, तो इस बार भी 7 चरणों में करने की तैयारी की जा रही है।
क्या एक सप्ताह से होंगे चुनाव?
सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक चुनाव एक सप्ताह विलंब से भी हो सकते हैं, क्योंकि कई राज्यों में सीबीएससी परीक्षा चल रही है। वहीं मध्यप्रदेश में भी माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाएं चल रही हैं। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि एक सप्ताह विलंब से लेकर 10 दिनों तक विलंब से आचार संहिता लग सकती है। वहीं इसका असर चुनाव तारीखों पर भी पड़ सकता है। चुनाव की तारीखें भी एक सप्ताह आगे बढ़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक जून के पहले सप्ताह तक अंतिम तारीख हो सकती है।
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सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त होगी
आचार संहिता लग जाने के बाद कई सरकारी कर्मचारी अवकाश नहीं ले पाते हैं। कई लोग आचार संहिता में होने वाली असुविधा से बचने के लिए भी अपने कार्यक्रम टाल देते हैं। जैसे किसी के घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम है तो उन्हें अवकाश लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। शादी ब्याह के वक्त कई मेहमान भी नहीं पहुंच पाते, क्योंकि उनकी ड्यूटी भी चुनाव में लग जाता है। इसके अलावा कई विभागों के कर्मचारियों को भी अवकाश नहीं मिल पाता है। अवकाश कलेक्टर से ही स्वीकृत कराना होता है। क्योंकि आचार संहिता लग जाने के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी कलेक्टर ही होता है। इसके अलावा बच्चों की परीक्षाएं खत्म होने के बाद कई परिवार इस कोशिश में है कि जल्द से जल्द तारीखों का ऐलान हो जाएं तो वे किसी पर्यटन स्थल के लिए रिजर्वेशन करवा सकें।
मध्यप्रदेश में 29 सीटों पर होंगे चुनाव
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। इनमें से 28 सीटें भाजपा के कब्जे में है और एक सीट कांग्रेस के पास है। इस बार भाजपा कांग्रेस से इकलौती सीट भी हासिल करने की कोशिश में है। यह सीट है छिंदवाड़ा की, जिस पर पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था और कांग्रेस का सफाया हो गया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाली है। यह यात्रा मध्यप्रदेश के कई जिलों को कवर करेगी। कांग्रेस इन जिलों में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में है। अब देखना है आने वाले चुनाव में कांग्रेस कितनी सीटें हासिल कर पाती है, या एक सीट भी गंवा सकती है।
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कब लग सकती है आचार संहिता?
इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति जानना चाहता है। चाहे राजनीतिक दल हो या कोई भी सरकारी कर्मचारी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी चुनाव कराने की कोशिश चुनाव आयोग कर रहा है। पिछली बार 10 मार्च को आचार संहिता लगी थी। इस बार भी कोशिश की जा रही है कि 10 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाए। लेकिन परीक्षाओं के कारण तारीखों का ऐलान में थोड़ा विलंब हो सकता है। यह भी हो सकता है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान 15 मार्च के पहले या 15 मार्च के बाद हो सकता है। आचार संहिता लगने के लगभग 30 दिनों में चुनाव प्रक्रिया शुरू करना होती है। क्योंकि कुछ राज्यों में चुनाव आयोग के दौरे होने वाले हैं जो 13 मार्च को खत्म होंगे। इसी के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है।
क्या अप्रैल-मई में होंगे चुनाव?
जैसा कि पिछले चुनावों की तरह ही इस बार भी कोशिश की जा रही है चुनाव समय पर आयोजित किए जाएं। इसलिए इस बार भी अप्रैल और मई में विभिन्न तारीखों में मतदान की तारीखें हो सकती है। पिछली बार की तरह ही 30 मई तक रिजल्ट घोषित हो गए थे। केंद्र सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया था। जैसा की पिछले चुनाव में 7 चरणों में चुनाव हुए थे, तो इस बार भी 7 चरणों में करने की तैयारी की जा रही है।
क्या एक सप्ताह से होंगे चुनाव?
सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक चुनाव एक सप्ताह विलंब से भी हो सकते हैं, क्योंकि कई राज्यों में सीबीएससी परीक्षा चल रही है। वहीं मध्यप्रदेश में भी माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाएं चल रही हैं। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि एक सप्ताह विलंब से लेकर 10 दिनों तक विलंब से आचार संहिता लग सकती है। वहीं इसका असर चुनाव तारीखों पर भी पड़ सकता है। चुनाव की तारीखें भी एक सप्ताह आगे बढ़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक जून के पहले सप्ताह तक अंतिम तारीख हो सकती है।
सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त होगी
आचार संहिता लग जाने के बाद कई सरकारी कर्मचारी अवकाश नहीं ले पाते हैं। कई लोग आचार संहिता में होने वाली असुविधा से बचने के लिए भी अपने कार्यक्रम टाल देते हैं। जैसे किसी के घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम है तो उन्हें अवकाश लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। शादी ब्याह के वक्त कई मेहमान भी नहीं पहुंच पाते, क्योंकि उनकी ड्यूटी भी चुनाव में लग जाता है। इसके अलावा कई विभागों के कर्मचारियों को भी अवकाश नहीं मिल पाता है। अवकाश कलेक्टर से ही स्वीकृत कराना होता है। क्योंकि आचार संहिता लग जाने के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी कलेक्टर ही होता है। इसके अलावा बच्चों की परीक्षाएं खत्म होने के बाद कई परिवार इस कोशिश में है कि जल्द से जल्द तारीखों का ऐलान हो जाएं तो वे किसी पर्यटन स्थल के लिए रिजर्वेशन करवा सकें।
मध्यप्रदेश में 29 सीटों पर होंगे चुनाव
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। इनमें से 28 सीटें भाजपा के कब्जे में है और एक सीट कांग्रेस के पास है। इस बार भाजपा कांग्रेस से इकलौती सीट भी हासिल करने की कोशिश में है। यह सीट है छिंदवाड़ा की, जिस पर पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था और कांग्रेस का सफाया हो गया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाली है। यह यात्रा मध्यप्रदेश के कई जिलों को कवर करेगी। कांग्रेस इन जिलों में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में है। अब देखना है आने वाले चुनाव में कांग्रेस कितनी सीटें हासिल कर पाती है, या एक सीट भी गंवा सकती है।