Lok Sabha Election-2024: बिजनौर में त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई बीजेपी, मायावती और अखिलेश ने कर दिया खेल | Lok Sabha Election-2024 BJP stuck in triangular contest in Bijnor | Patrika News

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Lok Sabha Election-2024: बिजनौर में त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई बीजेपी, मायावती और अखिलेश ने कर दिया खेल | Lok Sabha Election-2024 BJP stuck in triangular contest in Bijnor | Patrika News

Lok Sabha Election-2024: बिजनौर में त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई बीजेपी, मायावती और अखिलेश ने कर दिया खेल | Lok Sabha Election-2024 BJP stuck in triangular contest in Bijnor | News 4 Social

बिजनौर सीट पर जातीय समीकरण

बिजनौर लोकसभा में 5 विधानसभा सीटे हैं। इसमें बिजनौर, चांदपुर, पुरकाजी, हस्तिनापुर और मीरापुर शामिल हैं। लोकसभा में 17 लाख मतदाता हैं, जिसमें पुरुष वोटरों वोटरों की संख्या 8 लाख 77 हजार से ज्यादा है तो वही महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 93 हजार से ज्यादा है. वहीं यहां पर जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां करीब साढ़े 5 लाख के आसपास मुस्लिम वोटर हैं। 4 से साढ़ें 4 लाख के बीच दलित वोटर हैं। डेढ़ से पौने 2 लाख के करीब जाट वोटर है। इसके अलावा 75 हजार से एक लाख के बीच में गुर्जर वोटर हैं। 50 से 60 हजार के बीच में ब्राह्मण वोटर हैं। इसके अलावा चौहान, त्यागी, बनिया सहित कई अन्य जातियों का भी वोट इसमें शामिल हैं। इस सीट पर मुस्लिम और दलित वोटर हमेशा निर्णायक रहे हैं।

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भाजपा गठबंधन ने इस चेहरे पर खेला दांव

इन्हीं जातिगत आंकड़ों को ध्यान में रखकर तीनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों का एलान किया है। भाजपा गठबंधन से ये सीट रालोद के खाते में गई है। रालोद ने मीरापुर के विधायक वर्तमान विधायक और पूर्व सांसद संजय चौहान के बेटे चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चंदन चौहान महज 28 साल के हैं और उनके पिता संजय चौहान बिजनौर से सांसद रह चुके हैं। उनके दादा नारायण चौहान यूपी के डिप्टी सीएम रहे हैं। चंदन चौहान हैं। चंदन चौहान गुर्जर बिरादरी से आते हैं। हाल ही में राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह ने चंदन चौहान को राष्ट्रीय लोकदल की युवा इकाई का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया था।

मायावती बिगाड़ सकती हैं सबका समीकरण

वहीं मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिजनौर सीट से चौधरी विजेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। मेरठ के जलालपुर गांव के रहने वाले चौधरी विजेंद्र सिंह ने हाल ही में लोकदल (हल जोतता किसान) से राष्ट्रीय सचिव के पद से इस्तीफा दिया था। तभी से उनके समाजवादी पार्टी (सपा) या बसपा में जाने के कयास लगाए जा रहे थे। विजेंद्र सिंह लोकदल से जुड़े रहने के दौरान भी बिजनौर में चुनाव की तैयारी कर रहे थे। यहां पर उनके द्वारा लोकदल का एक कार्यालय भी खोला गया था। मगर कुछ ही दिनों में चौधरी विजेंद्र सिंह की ‘आस्था’ बदल गई और उन्होंने लोकदल को छोड़ते हुए बसपा का दामन थाम लिया। चौधरी विजेंद्र सिंह मेरठ के जलालपुर लावड़ के रहने वाले हैं। बसपा से घोषित प्रत्याशी विजेंद्र चौधरी भी खुद जाट समाज से आते हैं और मेरठ के बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं।

बिजनौर मायावती की खुदकी अपनी सीट रही

बिजनौर सीट मायावती की खुदकी अपनी सीट रही है। वह 1989 में इस सीट से सांसद रह चुकी हैं। मगर अब मायावती ने बिजनौर लोकसभा सीट पर जाट कार्ड खेल कर भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से गठबंधन करते हुए जाट समाज को जोड़ने के लिए बिजनौर लोकसभा सीट रालोद को दे दी थी। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बिजनौर लोकसभा सीट पर मीरापुर से विधायक और गुर्जर समाज से जुड़े चंदन चौहान को अपना प्रत्याशी घोषित किया था।

अखिलेश यादव ने खेला है दलित कार्ड

वहीं बात अगर समाजवादी पार्टी की करें तो बिजनौर से सपा ने यशवीर सिंह धोबी को लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। सपसामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी यशवीर सिंह धोबी को मैदान में उतारना सपा का ये फैसला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यशवीर सिंह धोबी अपने सांसद काल के दौरान उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने संसद में बहस के दौरान सोनिया गांधी के हाथ से प्रमोशन में आरक्षण का विधेयक लेकर फाड़ दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते वह अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा का बसपा से गठबंधन हो जाने के कारण नगीना सीट बसपा के खाते में चली गई थी, तब यशवीर सिंह सपा का साथ छोड़कर भाजपा में आ गए थे।

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