Lok Sabha Election 2024 : छिंदवाड़ा के 50 हजार कांग्रेसियों को सदस्य बनाएगी बीजेपी! गढ़ को भेदने की बड़ी रणनीति | Lok Sabha Election 2024 : Will bring 50 thousand Congressmen to BJP | News 4 Social h3>
कांग्रेस को तोड़ने की जबर्दस्त रणनीति
बीजेपी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस को तोड़ने की जबर्दस्त रणनीति बनाई गई है। नकुलनाथ 2019 में महज़ 37 हजार 536 मतों से ही जीत सके थे। वोटों के अंतर को पाटने के लिए छिंदवाड़ा में इससे ज्यादा कांग्रेसियों को बीजेपी में शामिल कराने का लक्ष्य बनाया गया है।
कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़
छिंदवाड़ा लोकसभा कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़ है। यहां तक कि 1977 में भी यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी जीता था। पिछले 14 लोकसभा चुनावों में 13 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं। 1980, 1984, 1989, 1991,1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में यानि नौ बार तो कमलनाथ ने ही जीत दर्ज की। 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ यहां से जीतीं जबकि 2019 में बेटे नकुलनाथ ने भी जीत हासिल की। इस दौरान केवल एक बार 1997 के उपचुनाव बीजेपी के सुंदरलाल पटवा यहां से जीत थे।
बीजेपी के आड़े आ रहे 37—38 हजार वोट
बीजेपी ने इस बार नकुलनाथ के सामने लगातार दो चुनावों में कमलनाथ को चुनौती देते आ रहे विवेक बंटी साहू को उतारा है। कमलनाथ जब सीएम रहते हुए भी विधानसभा के उपचुनाव में उतरे तो बीजेपी के प्रत्याशी विवेक बंटी साहू ही थे। उनके सामने कमलनाथ सिर्फ 25 हज़ार वोटों से ही जीत सके थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ का विवेक से ही मुकाबला हुआ और वे केवल 36 हजार वोटों से जीते। नकुलनाथ भी 2019 में 37 हजार 536 मतों से जीत सके थे। यानि नाथ गढ़ छीनने में बीजेपी के आड़े महज 37—38 हजार वोट ही आ रहे हैं।
50 हजार कांग्रेसियों को तोड़कर बीजेपी में लाने का लक्ष्य— ये वोट कबाड़ने के लिए बीजेपी हर संभव जतन कर रही है। वोटों का यह अंतर पाटने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति बनाई है। इसके लिए पार्टी नेताओं ने छिंदवाड़ा के 50 हजार कांग्रेसियों को तोड़कर बीजेपी में लाने का लक्ष्य बनाया है। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि ऐसा होते ही न केवल वोटों का अंतर पटेगा बल्कि पार्टी सरप्लस में आ जाएगी।
यह है जीत का गणित
बीजेपी नेता बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राम मंदिर और केंद्र व राज्य में बीजेपी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पार्टी को लाभ मिलना तय है। इसके साथ यदि 50 हजार कांग्रेसी सीधे बीजेपी में आ जाते हैं तो उनकी जीत तय है।
यही कारण है कि छिंदवाड़ा क्षेत्र में थोक में कांग्रेसी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ रहे हैं। कमलनाथ के सबसे करीब दीपक सक्सेना को बीजेपी में आने का खुला आफर दिया जा चुका है। अमरवाड़ा के विधायक और सैय्यद जाफर जैसे वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं। लोकसभा क्षेत्र के कई नगर निकायों के साथ ही छिंदवाड़ा नगर निगम के कई पार्षदों तक को बीजेपी में शामिल कराया गया है।
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट एक नजर
– कुल वोटर— 16 लाख 33 हजार
– पुरुष वोटर— 8 लाख 25 हजार
– महिला वोटर— 8 लाख 8 हजार
– ग्रामीण वोटर— 75%
— शहरी वोटर— 25% जातिगत समीकरण
— अनुसूचित जनजाति— करीब 37%
– अनुसूचित जाति— करीब 12%
– मुस्लिम— करीब 5%
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कांग्रेस को तोड़ने की जबर्दस्त रणनीति
बीजेपी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस को तोड़ने की जबर्दस्त रणनीति बनाई गई है। नकुलनाथ 2019 में महज़ 37 हजार 536 मतों से ही जीत सके थे। वोटों के अंतर को पाटने के लिए छिंदवाड़ा में इससे ज्यादा कांग्रेसियों को बीजेपी में शामिल कराने का लक्ष्य बनाया गया है।
कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़
छिंदवाड़ा लोकसभा कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़ है। यहां तक कि 1977 में भी यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी जीता था। पिछले 14 लोकसभा चुनावों में 13 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं। 1980, 1984, 1989, 1991,1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में यानि नौ बार तो कमलनाथ ने ही जीत दर्ज की। 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ यहां से जीतीं जबकि 2019 में बेटे नकुलनाथ ने भी जीत हासिल की। इस दौरान केवल एक बार 1997 के उपचुनाव बीजेपी के सुंदरलाल पटवा यहां से जीत थे।
बीजेपी के आड़े आ रहे 37—38 हजार वोट
बीजेपी ने इस बार नकुलनाथ के सामने लगातार दो चुनावों में कमलनाथ को चुनौती देते आ रहे विवेक बंटी साहू को उतारा है। कमलनाथ जब सीएम रहते हुए भी विधानसभा के उपचुनाव में उतरे तो बीजेपी के प्रत्याशी विवेक बंटी साहू ही थे। उनके सामने कमलनाथ सिर्फ 25 हज़ार वोटों से ही जीत सके थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ का विवेक से ही मुकाबला हुआ और वे केवल 36 हजार वोटों से जीते। नकुलनाथ भी 2019 में 37 हजार 536 मतों से जीत सके थे। यानि नाथ गढ़ छीनने में बीजेपी के आड़े महज 37—38 हजार वोट ही आ रहे हैं।
50 हजार कांग्रेसियों को तोड़कर बीजेपी में लाने का लक्ष्य— ये वोट कबाड़ने के लिए बीजेपी हर संभव जतन कर रही है। वोटों का यह अंतर पाटने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति बनाई है। इसके लिए पार्टी नेताओं ने छिंदवाड़ा के 50 हजार कांग्रेसियों को तोड़कर बीजेपी में लाने का लक्ष्य बनाया है। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि ऐसा होते ही न केवल वोटों का अंतर पटेगा बल्कि पार्टी सरप्लस में आ जाएगी।
यह है जीत का गणित
बीजेपी नेता बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राम मंदिर और केंद्र व राज्य में बीजेपी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पार्टी को लाभ मिलना तय है। इसके साथ यदि 50 हजार कांग्रेसी सीधे बीजेपी में आ जाते हैं तो उनकी जीत तय है।
यही कारण है कि छिंदवाड़ा क्षेत्र में थोक में कांग्रेसी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ रहे हैं। कमलनाथ के सबसे करीब दीपक सक्सेना को बीजेपी में आने का खुला आफर दिया जा चुका है। अमरवाड़ा के विधायक और सैय्यद जाफर जैसे वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं। लोकसभा क्षेत्र के कई नगर निकायों के साथ ही छिंदवाड़ा नगर निगम के कई पार्षदों तक को बीजेपी में शामिल कराया गया है।
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट एक नजर
– कुल वोटर— 16 लाख 33 हजार
– पुरुष वोटर— 8 लाख 25 हजार
– महिला वोटर— 8 लाख 8 हजार
– ग्रामीण वोटर— 75%
— शहरी वोटर— 25% जातिगत समीकरण
— अनुसूचित जनजाति— करीब 37%
– अनुसूचित जाति— करीब 12%
– मुस्लिम— करीब 5%