Lok Sabha Election: मतदान के मामले में फिसड्डी रहा बिहार! बीते तीन चुनावों में कम वोटिंग में दूसरा नंबर
बिहार को राजनीतिक मामले में बेहद संवेदनशील और जागरूक माना जाता है। कई बार बिहार को राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंड सेंटर भी कहा जाता है। इसके बावजूद यहां मतदान प्रतिशत देश के अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में बेहद कम है। पिछले तीन लोकसभा चुनावों से कम मतदान वाले वाले राज्यों में बिहार दूसरे स्थान पर है। बिहार में वर्ष 2009, 2014, 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत (वोटर टर्न आउट) अन्य राज्यों की अपेक्षा कमतर रहा। इन चुनावों में देश में सब कम वोटर टर्न आउट वाले राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में एकमात्र जम्मू एवं कश्मीर से बेहतर स्थिति में बिहार है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67 से 10 कम यानि 57.3 रहा।
बिहार में हाल के जातीय सर्वेक्षण के अनुसार 46 लाख लोग बिहार से बाहर जाकर काम कर रहे हैं। पलायन बिहार की एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण मतदान प्रतिशत पर सीधा असर होता है। वहीं, चुनाव आयोग द्वारा कराए गए विशेष अध्ययन के अनुसार मतदाताओं में विभिन्न कारणों से वोट डालने को लेकर उत्साह में कमी भी पायी गयी है। आयोग ने कम मतदान प्रतिशत वाले राज्यों को बूथ प्रबंधन के तहत नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने और मतदाताओं को उनके अधिकार के प्रति प्रेरित करने की हिदायत दी है।
बिहार में पिछले तीन चुनावों के दौरान वोटर टर्न आउट में वृद्धि दर्ज की गयी है। 2009 में बिहार के लोकसभा चुनाव में 44.5 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़कर 56.3 प्रतिशत हो गया था। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें एक प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई और वोट प्रतिशत बढ़कर 57.3 प्रतिशत हो गया
एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, पटना के पूर्व निदेशक प्रो. डीएम दिवाकर ने बताया कि बिहार में मतदान प्रतिशत कम होने के तीन प्रमुख कारणों में तकनीकी, सामाजिक सुविधा व सरकार के प्रयासों में कमी है। एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट द्वारा पिछले वर्षों में कराए गए विशेष अध्ययन पर हुई कार्रवाई से दस प्रतिशत मतदान में वृद्धि हुई थी। सिर्फ महिला एवं बुजुर्गों के लिए बूथ पर सुविधा बढ़ाने से मतदान में वृद्धि हुई। सामान्य मतदाताओं पर प्रलोभनों का नकारात्मक असर होना, संसदीय राजनीति का ढलान पर होना, सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता में कमी, नौजवानों में राजनीतिक चेतना का विकसित नहीं होना, दैनिक मजदूरी पर आश्रित मतदाताओं के एक बड़े तबके में दो जून की रोटी जुटाने की मजबूरी भी प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
राज्य के मतदाताओं का आयु-वर्ग
उम्र मतदाता
18-19 वर्ष 926422
20-29 वर्ष 16061649
30-39 वर्ष 20023414
40-49 वर्ष 16364751
50-59 वर्ष 11037804
60- 69 वर्ष 6943665
70-79 वर्ष 3625208
80 वर्ष व ऊपर 1450416
कुल मतदाता 76433329
राज्य में एक बड़ा वर्ग युवा मतदाताओं का है, जो वोटर आईडी बनाने व मतदान के प्रति गंभीर नही हैं और वे अपने कैरियर व पढाई में जुटे रहते हैं। इस संदर्भ में युवाओं ने बातचीत के दौरान अपनी वास्तविक स्थिति साझा की। पटना के यारपुर निवासी इंटर उत्तीर्ण छात्र रविशंकर ने कहा कि मुझे पहली बार वोट देने का मौका मिलेगा। हमारे कई साथी ऐसे है, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र तो बनवा लिया है लेकिन वोट देने नहीं जाएंगे। इसमें उनकी कोई रुचि नहीं है, वे पढाई में लगे हुए हैं।
वहीं, गर्दनीबाग निवासी बीए-पार्ट-1 की छात्रा अलका कुमारी ने कहा कि लड़कियों को कोई घर से मतदान के दिन बूथ पर जाने नहीं देता है। हमारे गांव में मतदान केंद्र घर से दूर होते हैं, इससे भी युवतियां उत्साहपूर्वक शामिल नहीं होती। वहीं, युवाओं का वोटर आईडी बनाने में उत्साह नहीं देखकर चुनाव आयोग को विशेष अभियान चलाने की जरूरत पड़ी। विशेष रूप से युवाओं के मतदान के प्रति व्यवहार परिवर्तन की कोशिश की जा रही है। आयोग को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विशेष मशक्कत करनी पड़ रही है।
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बिहार को राजनीतिक मामले में बेहद संवेदनशील और जागरूक माना जाता है। कई बार बिहार को राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंड सेंटर भी कहा जाता है। इसके बावजूद यहां मतदान प्रतिशत देश के अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में बेहद कम है। पिछले तीन लोकसभा चुनावों से कम मतदान वाले वाले राज्यों में बिहार दूसरे स्थान पर है। बिहार में वर्ष 2009, 2014, 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत (वोटर टर्न आउट) अन्य राज्यों की अपेक्षा कमतर रहा। इन चुनावों में देश में सब कम वोटर टर्न आउट वाले राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में एकमात्र जम्मू एवं कश्मीर से बेहतर स्थिति में बिहार है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67 से 10 कम यानि 57.3 रहा।
बिहार में हाल के जातीय सर्वेक्षण के अनुसार 46 लाख लोग बिहार से बाहर जाकर काम कर रहे हैं। पलायन बिहार की एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण मतदान प्रतिशत पर सीधा असर होता है। वहीं, चुनाव आयोग द्वारा कराए गए विशेष अध्ययन के अनुसार मतदाताओं में विभिन्न कारणों से वोट डालने को लेकर उत्साह में कमी भी पायी गयी है। आयोग ने कम मतदान प्रतिशत वाले राज्यों को बूथ प्रबंधन के तहत नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने और मतदाताओं को उनके अधिकार के प्रति प्रेरित करने की हिदायत दी है।
बिहार में पिछले तीन चुनावों के दौरान वोटर टर्न आउट में वृद्धि दर्ज की गयी है। 2009 में बिहार के लोकसभा चुनाव में 44.5 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़कर 56.3 प्रतिशत हो गया था। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें एक प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई और वोट प्रतिशत बढ़कर 57.3 प्रतिशत हो गया
एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, पटना के पूर्व निदेशक प्रो. डीएम दिवाकर ने बताया कि बिहार में मतदान प्रतिशत कम होने के तीन प्रमुख कारणों में तकनीकी, सामाजिक सुविधा व सरकार के प्रयासों में कमी है। एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट द्वारा पिछले वर्षों में कराए गए विशेष अध्ययन पर हुई कार्रवाई से दस प्रतिशत मतदान में वृद्धि हुई थी। सिर्फ महिला एवं बुजुर्गों के लिए बूथ पर सुविधा बढ़ाने से मतदान में वृद्धि हुई। सामान्य मतदाताओं पर प्रलोभनों का नकारात्मक असर होना, संसदीय राजनीति का ढलान पर होना, सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता में कमी, नौजवानों में राजनीतिक चेतना का विकसित नहीं होना, दैनिक मजदूरी पर आश्रित मतदाताओं के एक बड़े तबके में दो जून की रोटी जुटाने की मजबूरी भी प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
राज्य के मतदाताओं का आयु-वर्ग
उम्र मतदाता
18-19 वर्ष 926422
20-29 वर्ष 16061649
30-39 वर्ष 20023414
40-49 वर्ष 16364751
50-59 वर्ष 11037804
60- 69 वर्ष 6943665
70-79 वर्ष 3625208
80 वर्ष व ऊपर 1450416
कुल मतदाता 76433329
राज्य में एक बड़ा वर्ग युवा मतदाताओं का है, जो वोटर आईडी बनाने व मतदान के प्रति गंभीर नही हैं और वे अपने कैरियर व पढाई में जुटे रहते हैं। इस संदर्भ में युवाओं ने बातचीत के दौरान अपनी वास्तविक स्थिति साझा की। पटना के यारपुर निवासी इंटर उत्तीर्ण छात्र रविशंकर ने कहा कि मुझे पहली बार वोट देने का मौका मिलेगा। हमारे कई साथी ऐसे है, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र तो बनवा लिया है लेकिन वोट देने नहीं जाएंगे। इसमें उनकी कोई रुचि नहीं है, वे पढाई में लगे हुए हैं।
वहीं, गर्दनीबाग निवासी बीए-पार्ट-1 की छात्रा अलका कुमारी ने कहा कि लड़कियों को कोई घर से मतदान के दिन बूथ पर जाने नहीं देता है। हमारे गांव में मतदान केंद्र घर से दूर होते हैं, इससे भी युवतियां उत्साहपूर्वक शामिल नहीं होती। वहीं, युवाओं का वोटर आईडी बनाने में उत्साह नहीं देखकर चुनाव आयोग को विशेष अभियान चलाने की जरूरत पड़ी। विशेष रूप से युवाओं के मतदान के प्रति व्यवहार परिवर्तन की कोशिश की जा रही है। आयोग को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विशेष मशक्कत करनी पड़ रही है।