LN Mishra Murder Case : 47 साल बाद एलएन मिश्र हत्याकांड की फिर से CBI जांच? दिल्ली हाईकोर्ट से मांग पर विचार करने के निर्देश
हाइलाइट्स
- पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र हत्याकांड मामले में सीबीआई को नोटिस
- दिल्ली HC ने फिर से जांच को लेकर दी गई याचिका पर की सुनवाई
- एलएन मिश्र के पोते वैभव मिश्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका
- वैभव मिश्र के वकील के मुताबिक राजनीतिक साजिश तहत की गई थी हत्या
दिल्ली/पटना
47 साल पहले पूर्व कंद्रीय रेल मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर ललित नारायण मिश्र की बिहार के समस्तीपुर में बम मारकर हत्या कर दी गई। दो-दो आयोगों की रिपोर्ट और सीबीआई जांच पर 39 साल बाद फैसला आया। 2014 में चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। फिलहाल वो जमानत पर हैं। मगर एलएन मिश्र के परिवार को लगता है कि ये आपराधिक वारदात नहीं थी, बल्कि सियासी साजिश में हत्या कराई गई थी। लिहाजा वो चाहते हैं कि सीबीआई एकबार फिर से मामले की जांच करे।
एलएन मिश्रा हत्याकांड मामले में CBI को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई से एलएन मिश्रा हत्याकांड की दोबारा से जांच करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को छह सप्ताह का वक्त भी दिया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जे. भंभानी की पीठ ने पूर्व रेल मंत्री के पोते वैभव मिश्र की याचिका पर ये आदेश दिया है। पीठ ने सीबीआई से वैभव के 5 नवंबर 2020 के उस आवेदन पर छह सप्ताह में उचित निर्णय लेने को कहा है, जिसमें उन्होंने इस हत्याकांड की दोबारा से जांच की मांग की है।
2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर में हुआ था हमला
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को कानून के पहलूओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना है कि मामले की दोबारा जांच की जाए या नहीं। इस पर समुचित निर्णय लेने और अपने फैसले से याचिकाकर्ता वैभव मिश्र को अवगत कराने का निर्देश दिया है। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या 2 पर बम से हमला किया गया था। विस्फोट उस समय किया गया था, जब वो रेलवे लाइन का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे। हमले के अगले दिन उनकी मौत हो गई थी। उनके पोते और वकील वैभव मिश्र ने याचिका दाखिल कर सीबीआई को नए सिरे से जांच करने का आदेश देने की मांग की है।
राजनीतिक साजिश के तहत हुई हत्या- वकील
वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल (वैभव मिश्र) के दादा की हत्या एक राजनीतिक साजिश के तहत की गई। साथ ही कहा कि तत्कालीन रेल मंत्री की हत्या की जांच के लिए दो आयोग बनाए गए और इनमें से एक ने अपने रिपोर्ट में माना भी था कि यह एक राजनीतिक साजिश के तहत की गई हत्या थी। उप्पल ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केके मैथ्यू का आयोग बना। आयोग ने मामले में रंजन द्विवेदी, संतोषानंद अवधूत, सुदेशानंद अवधूत और गोपालजी को आरोपी बनाया था। इसके बाद 1977 में जस्टिस वीएम तारकुंडे की अगुवाई में एक और आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हत्याकांड राजनीतिक षड्यंत्र थी।
भाषण खत्म होते ही ब्लास्ट, मच गई चीख-पुकार
तत्कालीन रेलमंत्री और इंदिरा गांधी के बेहद करीबी रहे एलएन मिश्र समस्तीपुर में समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन का उद्घाटन करने स्पेशल ट्रेन से शाम 5 बजे पहुंचे थे। उनके साथ उनके भाई और बिहार के तत्कालीन सिंचाई मंत्री जगन्नाथ मिश्र और एमएलसी रामविलास झा भी थे। तकरीबन पौने 6 बजे जैसे ही एलएन मिश्र ने अपना भाषण खत्म किया, उनके मंच पर जोरदार ब्लास्ट हुआ। एलएन मिश्र के पैर में बम के कुछ छर्रे धंस गए। दूसरे लोग भी जख्मी हो गए। स्पेशल ट्रेन से एलएन मिश्र को दानापुर के अस्पताल लाया गया। मगर अगले दिन (3 जनवरी 1975) सुबह उनकी मौत हो गई। समस्तीपुर धमाके में कुल तीन लोगों की मौत हुई थी।
एलएन मिश्र हत्याकांड पर CBI ने क्या कहा था?
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को जांच सौंपी गई। संतोषानंद, सुदेवानंद, रंजन द्विवेदी और गोपाल जी नाम के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। ये सभी आनंद मार्ग नाम के संगठन से जुड़े थे। दरअसल चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि इस संगठन के लोगों ने अपने मुखिया आनंदमूर्ति की गिरफ्तारी के विरोध में सरकार पर दबाब डालने के लिए पूरी साजिश रची। 1971 में आनंदमूर्ति को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आनंद मार्ग से जुड़े लोग अपने गुरु की गिरफ्तारी के लिए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल गफ्फूर और ललित नारायण मिश्र को जिम्मेदार मानते थे। आनंद मार्ग संगठन से जुड़े लोगों ने 1974 में अब्दुल गफ्फूर को भी मारने की नाकाम कोशिश की थी। वहीं, ललित नारायण मिश्र के परिवार को लोगों को शुरू से ही लगता है कि ये एक राजनीतिक हत्या थी। यही वजह है कि एक बार फिर इस मामले की जांच की मांग सीबीआई से कर रहे हैं।
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हाइलाइट्स
- पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र हत्याकांड मामले में सीबीआई को नोटिस
- दिल्ली HC ने फिर से जांच को लेकर दी गई याचिका पर की सुनवाई
- एलएन मिश्र के पोते वैभव मिश्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका
- वैभव मिश्र के वकील के मुताबिक राजनीतिक साजिश तहत की गई थी हत्या
47 साल पहले पूर्व कंद्रीय रेल मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर ललित नारायण मिश्र की बिहार के समस्तीपुर में बम मारकर हत्या कर दी गई। दो-दो आयोगों की रिपोर्ट और सीबीआई जांच पर 39 साल बाद फैसला आया। 2014 में चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। फिलहाल वो जमानत पर हैं। मगर एलएन मिश्र के परिवार को लगता है कि ये आपराधिक वारदात नहीं थी, बल्कि सियासी साजिश में हत्या कराई गई थी। लिहाजा वो चाहते हैं कि सीबीआई एकबार फिर से मामले की जांच करे।
एलएन मिश्रा हत्याकांड मामले में CBI को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई से एलएन मिश्रा हत्याकांड की दोबारा से जांच करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को छह सप्ताह का वक्त भी दिया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जे. भंभानी की पीठ ने पूर्व रेल मंत्री के पोते वैभव मिश्र की याचिका पर ये आदेश दिया है। पीठ ने सीबीआई से वैभव के 5 नवंबर 2020 के उस आवेदन पर छह सप्ताह में उचित निर्णय लेने को कहा है, जिसमें उन्होंने इस हत्याकांड की दोबारा से जांच की मांग की है।
2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर में हुआ था हमला
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को कानून के पहलूओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना है कि मामले की दोबारा जांच की जाए या नहीं। इस पर समुचित निर्णय लेने और अपने फैसले से याचिकाकर्ता वैभव मिश्र को अवगत कराने का निर्देश दिया है। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या 2 पर बम से हमला किया गया था। विस्फोट उस समय किया गया था, जब वो रेलवे लाइन का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे। हमले के अगले दिन उनकी मौत हो गई थी। उनके पोते और वकील वैभव मिश्र ने याचिका दाखिल कर सीबीआई को नए सिरे से जांच करने का आदेश देने की मांग की है।
राजनीतिक साजिश के तहत हुई हत्या- वकील
वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल (वैभव मिश्र) के दादा की हत्या एक राजनीतिक साजिश के तहत की गई। साथ ही कहा कि तत्कालीन रेल मंत्री की हत्या की जांच के लिए दो आयोग बनाए गए और इनमें से एक ने अपने रिपोर्ट में माना भी था कि यह एक राजनीतिक साजिश के तहत की गई हत्या थी। उप्पल ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केके मैथ्यू का आयोग बना। आयोग ने मामले में रंजन द्विवेदी, संतोषानंद अवधूत, सुदेशानंद अवधूत और गोपालजी को आरोपी बनाया था। इसके बाद 1977 में जस्टिस वीएम तारकुंडे की अगुवाई में एक और आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह हत्याकांड राजनीतिक षड्यंत्र थी।
भाषण खत्म होते ही ब्लास्ट, मच गई चीख-पुकार
तत्कालीन रेलमंत्री और इंदिरा गांधी के बेहद करीबी रहे एलएन मिश्र समस्तीपुर में समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन का उद्घाटन करने स्पेशल ट्रेन से शाम 5 बजे पहुंचे थे। उनके साथ उनके भाई और बिहार के तत्कालीन सिंचाई मंत्री जगन्नाथ मिश्र और एमएलसी रामविलास झा भी थे। तकरीबन पौने 6 बजे जैसे ही एलएन मिश्र ने अपना भाषण खत्म किया, उनके मंच पर जोरदार ब्लास्ट हुआ। एलएन मिश्र के पैर में बम के कुछ छर्रे धंस गए। दूसरे लोग भी जख्मी हो गए। स्पेशल ट्रेन से एलएन मिश्र को दानापुर के अस्पताल लाया गया। मगर अगले दिन (3 जनवरी 1975) सुबह उनकी मौत हो गई। समस्तीपुर धमाके में कुल तीन लोगों की मौत हुई थी।
एलएन मिश्र हत्याकांड पर CBI ने क्या कहा था?
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को जांच सौंपी गई। संतोषानंद, सुदेवानंद, रंजन द्विवेदी और गोपाल जी नाम के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। ये सभी आनंद मार्ग नाम के संगठन से जुड़े थे। दरअसल चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि इस संगठन के लोगों ने अपने मुखिया आनंदमूर्ति की गिरफ्तारी के विरोध में सरकार पर दबाब डालने के लिए पूरी साजिश रची। 1971 में आनंदमूर्ति को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आनंद मार्ग से जुड़े लोग अपने गुरु की गिरफ्तारी के लिए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल गफ्फूर और ललित नारायण मिश्र को जिम्मेदार मानते थे। आनंद मार्ग संगठन से जुड़े लोगों ने 1974 में अब्दुल गफ्फूर को भी मारने की नाकाम कोशिश की थी। वहीं, ललित नारायण मिश्र के परिवार को लोगों को शुरू से ही लगता है कि ये एक राजनीतिक हत्या थी। यही वजह है कि एक बार फिर इस मामले की जांच की मांग सीबीआई से कर रहे हैं।