Lal bihari yadav : नेता विरोधी दल का पद खत्‍म करना असंवैधानिक, 40 दिन नेता विपक्ष रहे लाल बिहारी यादव के आरोप

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Lal bihari yadav : नेता विरोधी दल का पद खत्‍म करना असंवैधानिक, 40 दिन नेता विपक्ष रहे लाल बिहारी यादव के आरोप

Lal bihari yadav : नेता विरोधी दल का पद खत्‍म करना असंवैधानिक, 40 दिन नेता विपक्ष रहे लाल बिहारी यादव के आरोप

लखनऊ: यूपी विधान परिषद में नेता विरोधी दल के पद पर रहे सपा नेता लाल बिहारी यादव (lal bihari yadav) ने पद समाप्‍त करने को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है। यूपी विधानपरिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त होने के बाद समाजवादी पार्टी (samajwadi party) के सदस्यों की संख्या राज्य विधायिका के उच्च सदन में घटकर 10 के नीचे आ गई है। इसकी वजह से पार्टी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा था।

विधान परिषद में सपा के नेता लाल बिहारी यादव ने शुक्रवार को सभापति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘विधान परिषद के सभापति का नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना गैर कानूनी, नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है।’ यादव ने नियमों का हवाला देते हुए सभापति के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि ‘नेता प्रतिपक्ष सदन में संपूर्ण विपक्ष का नेता होता है। समाजवादी पार्टी बड़ी पार्टी है लेकिन नियमों का गलत हवाला देकर नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना लोकतंत्र को कमजोर एवं कलंकित करने वाला कदम है।’
‘विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सदन में विपक्ष की आवाज को दबाने और कमजोर करने की साजिश है। सभापति जी का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या और नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाला प्रतीत होता है।

अदालत में जाएगी समाजवादी पार्टी
इस बारे में विधान परिषद के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और सपा नेता संजय लाठर ने कहा, ‘सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, चूंकि समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी हैं; इसलिए उसे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले पर अदालत का दरवाजा खटखटायेगी। लाठर ने कहा कि सदन में विपक्ष का नेता नियुक्त करने के लिए सीटों के न्यूनतम प्रतिशत की जरूरत नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया, ‘भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है।’

विधानपरिषद के प्रमुख सचिव का बयान
इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह ने गुरुवार को एक बयान जारी करके कहा था, ’27 मई को विधान परिषद में सपा 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी और साथ ही गणपूर्ति (कोरम) हेतु भी सक्षम थी। इसकी वजह से पार्टी के सदस्य लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता प्रदान की गई थी।’

सपा के सदस्यों की संख्या घटकर 9 रह गई
सिंह ने बताया, ‘सात जुलाई को विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या घटकर 9 रह गई, जो 100 सदस्यीय विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली के अनुसार गणपूर्ति की संख्या-10 से कम है। इसलिए विधान परिषद के सभापति ने मुख्य विरोधी दल सपा के लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली मान्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है।हालांकि, उनकी सदन में सपा के नेता के तौर पर मान्यता बरकरार रहेगी।’

गुरुवार को विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो गया। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष का पद भी समाप्त कर दिया गया। विधान परिषद के विशेष सचिव ने बृहस्पतिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। कार्यकाल पूरा करने वाले सदस्यों में जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुंदर दास निषाद, शतरुद्र प्रकाश, अतर सिंह राव, दिनेश चंद्रा, सुरेश कुमार कश्यप और दीपक सिंह शामिल हैं। इनका स्थान सात जुलाई से रिक्त घोषित कर दिया गया है। विधान परिषद के कुल 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया है। इनमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह भी शामिल हैं, लेकिन इन दोनों की हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव में जीत के बाद सदन में वापसी हुई है।

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