Kurhani Election Result 2022 : कुढ़नी उपचुनाव में ओवैसी को लगा बड़ा झटका, NOTA से भी कम मिले वोट

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Kurhani Election Result 2022 : कुढ़नी उपचुनाव में ओवैसी को लगा बड़ा झटका, NOTA से भी कम मिले वोट

Kurhani Election Result 2022 : कुढ़नी उपचुनाव में ओवैसी को लगा बड़ा झटका, NOTA से भी कम मिले वोट

पटना : बिहार के कुढ़नी विधानसभा सीट की जब मतगणना शुरू हुई, तब सबकी निगाहें ओवैसी की पार्टी AIMIM और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी पर टिकी रही। पहले राउंड की गिनती शुरू हुई। उसके बाद से लोग नजर लगाए रहे। दूसरे और तीसरे राउंड में दोनों पार्टियों को पांच सौ से भी कम वोट मिले थे। बाद में वीआईपी उम्मीदवार नीलाभ के वोट बढ़ने लगे, लेकिन वोट का आंकड़ा 9 हजार 988 वोट पर जाकर थम गया। वीआईपी को दस हजार वोट भी नहीं मिले। कहा जा रहा है कि वीआईपी को ये वोट भी नीलाभ की बदौलत मिले। मल्लाहों के वोट पर बीजेपी सांसद अजय निषाद ने पहले ही कब्जा जमा लिया था। मुकेश सहनी का माछ-भात फैक्टर मल्लाहों ने बिगाड़ दिया। उसके बाद लोगों की निगाहें मतगणना सेंटर लगे बोर्ड की तरफ गई, जहां वोटों की गिनती लिखी जा रही थी।

ओवैसी को बड़ा झटका

ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा अंसारी को धीमी गति से वोट मिल रहे थे। अंत में पता चला कि ओवैसी की पार्टी को मात्र 3 हजार 202 वोट मिले हैं। वहीं दूसरी ओर जब नोटा का आंकड़ा आया, तो उसमें 4 हजार 446 लोगों के नोटा का बटन दबाने का पता चला। कुल मिलाकर ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार से ज्यादा लोगों ने नोटा का बटन दबाया। आप सोच सकते हैं कि कुढ़नी में ओवैसी फैक्टर पूरी तरह असफल रहा। गुलाम मुर्तजा अंसारी को लोगों ने वोट नहीं दिया।

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नोटा से भी कम वोट

इस तरह से नीलाभ को 9 हजार 988 वोट, ओवैसी के उम्मीदवार को 3 हजार 202 वोट और नोटा को 4 हजार 446 लोगों ने दबाना पसंद किया। जिस तरह गोपालगंज चुनाव में महागठबंधन की हार का कारण ओवैसी के उम्मीदवार को बताया जा रहा था, ठीक उसी तरह इस बार भी लोगों ने गुलाम मुर्तजा अंसारी की ओर से जेडीयू का वोट काटने की बात कही जा रही थी। हालांकि, सियासी जानकार मानते हैं कि कमोवेश इतने ही वोटों से महागठबंधन की हार हुई है, तो ओवैसी का ये फैक्टर काम कर गया है। स्थानीय जानकार मानते हैं कि भले गुलाम मुर्तजा अंसारी को कम वोट मिले हों, लेकिन उन्हीं की वजह से महागठबंधन की हार हुई है। फिलहाल, सोचना तो ओवैसी की पार्टी को है कि आखिर उन्हें नोटा से भी कम वोट क्यों मिल रहे हैं।

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क्या है नोटा ?

नोटा का मतलब ‘नान ऑफ द एबव’ यानी इनमें से कोई नहीं है। ये ऑप्सन ईवीएम मशीन में होता है। ये विकल्प मतदाता दबा सकते हैं। इसी विकल्प को नोटा कहते हैं। इसे दबाने का मतलब यह है कि आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। ईवीएम मशीन में इनमें से कोई नहीं या नोटा का बटन गुलाबी रंग का होता है। आपको बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में इनमें से कोई नहीं या नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। वोटों की गिनती की समय नोटा पर डाले गए वोट को भी गिना जाता है। नोटा में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आंकलन किया जाता है। वोटरों को नोटा के बारे में बखूबी पता है। 2020 में कुढ़नी विधानसभा सीट के हरिशंकर मनियारी पंचायत के लोगों ने इसी विकल्प का इस्तेमाल करते हुए कई प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी थी।

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