KK Pathak: 36 सेकेंड में 11 बार गालियां, कड़क ‘केके’ से गालीबाज IAS तक

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KK Pathak: 36 सेकेंड में 11 बार गालियां, कड़क ‘केके’ से गालीबाज IAS तक

KK Pathak: 36 सेकेंड में 11 बार गालियां, कड़क ‘केके’ से गालीबाज IAS तक


पटना: बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक ने गालियों की बौछार कर दी। 36 सेकेंड के वीडियो में 11 बार गाली देते रिकॉर्ड हो गए हैं। मीटिंग में शामिल किसी अफसर ने ही कांड कर दी। अब उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। जिसमें वो कहते हैं कि’ … (गाली) यहां का लोग आदमी है … चेन्नई में आदमी … बाएं से चलता है। यहां देखे हो किसी को बाएं से चलते? लाल लाइट पर हॉर्न बजाते देखे हो किसी चेन्नई में किसी को, यहां … ट्रैफिक में खड़ा होकर पैं पैं पैं हॉर्न बजाएगा, देखे हो क्या तुमलोग, बेली रोड पर? … लाल लाइट पर पैं पैं पैं करेगा। … यहां का आदमी.. आदमी है? यहां डिप्टी कलेक्टर … का ये हाल है अब मैं … का …। अरे जरा दो-चार लोग लिखकर दो तो कागज पर। … डिप्टी कलेक्टर … इनकी ऐसी-तैसी करता हूं। कल जरा भेजो उसको मेरे को। सबका बैंड बजाता हूं। इसको 13 तारीख को और डिसकस करेंगे।’

FIR तक पहुंचा IAS केके पाठक का गालीकांड

बिहार उत्पाद विभाग के सचिव केके पाठक एक कड़क अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। उनका रौद्र रूप कई बार देखने को मिला है। दबे जुबान से इसकी चर्चा ब्यूरोक्रेसी लॉबी में होते रहती है। मगर पहली बार किसी ने वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। अब उनकी फजीहत हो रही है। मद्य निषेध मंत्री सुनील कमार को भी जवाब नहीं सूझ रहा है। उधर, राज्य प्रशासनिक अधिकारियों के संगठन ने एफआईआर तक दर्ज करा दी है।

मीटिंग में शामिल अफसर ने रिकॉर्ड किया वीडियो

दरअसल, केके पाठक पटना में हॉर्न बजाने की आदतों पर भड़के हुए थे। इस दौरान उन्होंने डिप्टी कलेक्टर तक को नहीं बख्शा। आलम ये था कि केके पाठक ने गुस्से में बिहार की जनता को भी नहीं छोड़ा। ट्रैफिक सिग्नल पर लोगों की हॉर्न बजाने की आदत उनको नागवार गुजर रही है। गाली देते हुए वो कहने लगे यहां का आदमी ही ऐसा है। चेन्नई में आदमी बाएं से चलता है…यहां देखे हो किसी को बाएं से चलते हुए… यहां हर आदमी ट्रैफिक में खड़ा होकर हॉर्न बजाएगा पैं पैं पैं। बिहार की जनता तो छोड़िए आईएसएस साहब ने डिप्टी कलेक्टर तक को नहीं छोड़ा। डिप्टी कलेक्टर को मां बहन की गाली देकर केके पाठक कहते हैं इसकी बैंड बजाता हूं। अपने जूनियर अफसरों के साथ बैठकर जिस मीटिंग को अंजाम दे रहे थे, उसी में से किसी ने चुपके से उनके वीडियो को रिकॉर्ड कर लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

यूपी के रहनेवाले 1990 बैच के IAS हैं केके पाठक

‘केके’ का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे माफिया के पसीने छूट जाते हैं। कुछ लोग हद से ज्यादा जिद्दी और जुनूनी ऑफिसर तक कहते हैं। कभी ये ठेकेदार पर रिवॉल्वर तानने के लिए सुर्खियों में आते हैं तो कभी एक साथ एक बैंक के सात ब्रांच मैनेजरों पर FIR का आदेश देने के लिए। अब इनकी गालीकांड सुर्खियों में है। नीतीश ने इसी ‘कड़क केके’ को शराबबंदी की कमान दी है। केके पाठक 1990 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। इनका पूरा नाम केशव कुमार पाठक हैं लेकिन ब्यूरोक्रैसी के गलियारों में इन्हें इनके शॉर्ट नाम ‘केके’ के नाम से ही जाना जाता है। केके पाठक उत्तर प्रदेश के रहनेवाले हैं। 2015 में जब महागठबंधन सरकार सत्ता में आई तो ये दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे। उस वक्त इनकी वापसी बिहार में कराई गई। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून की जिम्मेदारी केके पाठक को दी। मद्य निषेध विभाग का प्रधान सचिव बनाया।

‘सा… डिप्टी कलेक्टर @#$@’, बिहार के IAS केके पाठक ने जूनियर अफसरों से लेकर बिहारियों पर कर दी गालियों की बौछार

जब ठेकेदार को केके पाठक ने की लाठियों से पिटाई

केके पाठक पर साल 2019 में एक ठेकेदार ने गंभीर आरोप लगाया था। तब वो नीतीश सरकार में लघु सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव के पद पर थे। आईएएस अफसर केके पाठक पर मां शकुंतला इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कुमुद राज सिंह ने लाठी से पिटाई और रिवॉल्वर से जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। इससे पहले साल 2018 में केके पाठक पर पटना हाईकोर्ट ने 1 लाख 75 हजार रुपए का जुर्माना ठोका था। अदालत ने केके पाठक पर ये जुर्माना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सात ब्रांच मैनेजरों पर कार्रवाई के केस में लगाया था। आरोप था कि इन्होंने कार्रवाई में अपनी मनमानी की थी। स्टाम्प ड्यूटी देर से जमा किए जाने पर आईएएस पाठक नाराज हो गए थे। इसके बाद उन्होंने एसबीआई के सात ब्रांच मैनेजरों के पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था।

जब पाठक के तेवर देख लालू को करना पड़ा ट्रांसफर

ऐसी बात नहीं कि केके पाठक नीतीश राज में ही कड़क अफसर बने। लालू राज में भी इन्होंने अपनी धमक दिखाई थी। जब बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव हुआ करते थे। तब इनकी तैनाती लालू यादव अपने गृह जिले गोपालगंज में बतौर डीएम यानी जिलाधिकारी की थी। तब केके पाठक ने इस जिले में जो जलवा दिखाया, उसके बाद लालू को पता चल गया कि उन्होंने गलत दांव खेल दिया है। लालू के करीबी आईएएस पाठक की कार्यशैली से इतने परेशान हो गए कि अंत में लालू यादव को ट्रांसफर कर सचिवालय बुलाना पड़ा। हालांकि ये पाठक की बतौर डीएम सिर्फ दूसरी ही पोस्टिंग थी। लेकिन तभी पता चल गया था कि इस अफसर का मिजाज कैसा है। काम में किसी तरह की कोताही आईएएस केके पाठक को बर्दाश्त नहीं। जहां भी जिम्मेदारी मिली, वहां अपना झंडा गाड़ कर आए। मगर गालीकांड के बाद से फजीहत हो रही है।

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