KBC में आमिर संग आएंगे कारगिल के हीरो मेजर डीपी सिंह, वो जाबांज जिनका मौत भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई

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KBC में आमिर संग आएंगे कारगिल के हीरो मेजर डीपी सिंह, वो जाबांज जिनका मौत भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई


KBC में आमिर संग आएंगे कारगिल के हीरो मेजर डीपी सिंह, वो जाबांज जिनका मौत भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन एक बार फिर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का नया सीजन लेकर हाजिर हैं। 7 अगस्त 2022 से केबीसी सीजन 14 का आगाज होने जा रहा है। सोशल मीडिया पर चैनल ने KBC आजादी का महापर्व का प्रोमो वीडियो भी शेयर किया है। जहां आमिर खान से लेकर मैरी कॉम और मेजर डीपी सिंह जैसे दिग्गज नजर आने वाले हैं। इस बार केबीसी के मंच पर अलग अलग क्षेत्रों के दिग्गजों की गाथा देखने को मिलेगी। ठीक ऐसे ही कारगिल युद्ध के हीरो रहे मेजर डीपी सिंह की संघर्ष की कहानी खुद उनकी जुबानी सुनने को मिलेगी कि कैसे उन्होंने मौत को चकमा दे दिया था। आइए आपको मेजर डीपी सिंह की पूरी कहानी बतलाते हैं।

जिंदगी, जज्बा और जुनून जिसका नाम है वही हैं मेजर देवेंद्र पाल सिंह उर्फ डीपी सिंह (Major DP Singh)। वह कारगिल युद्ध के वह योद्धा थे जो मौत के मुंह में से वापस लौटे थे। जहां वह खड़े थे वहीं इतना तेज धमाका हुआ कि सब तबाह हो गया। उन्हें जब डॉक्टरों के पास ले जाया गया तो उन्हें तो उनका पैर गल चुका था। पूरा शरीर घावों से भरा था। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया कि वह नहीं बचा पाए। लेकिन डीपी सिंह असली योद्धा थे उन्होंने हार नहीं मानी और मौत के मुंह से वापस आए। ऐसी जाबांज की कहानी को अब Kaun Banega Crorepati (Major DP Singh In KBC) के मंच पर देखना वाकई दिलचस्प होगा।

कौन बनेगा करोड़पति में आमिर खान के साथ पहुंचे मेजर डीपी सिंह

KBC सीजन 14 से सामने आए प्रोमो वीडियो में मेजर डीपी सिंह आमिर खान के साथ नजर आ रहे हैं। वह अपने संघर्ष के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं कि आज भी मेरे शरीर में 73 छर्रे मौजूद हैं। मुझे नहीं मालूम किस हिंदू, सिख, मुस्लिम या किस किस ने मुझे खून दिया। लेकिन मैं गर्व से कह रहा हूं कि मेरे शरीर में हिंदुस्तानियों का खून मौजूद है।

15 जुलाई 1999 का वो दिन
डीपी सिंह (Major Devender Pal Singh) ने साल 1995 में आर्मी ज्वाइन की थी। सीडीएस परीक्षा पास करके भारतीय सेना में वह शामिल हुए और सिर्फ 25 साल की उम्र में उन्होंने कारगिल युद्ध लड़ा। जम्मू कश्मीर के अखनूर सेक्टर में डीपी सिंह पोस्ट संभाले थे। उनकी पूरी टीम में 30 जवान थे। दुश्मनों ने 15 जुलाई 1999 में फायरिंग की। देखते ही देखते दुश्मनों ने दो मोर्टार दागे। पहले से तो डीपी सिंह जैसे तैसे बच गए लेकिन दूसरा मोर्टार ठीक उनके बगल में गिरा।

पैरा काटना पड़ा, डॉक्टरों ने किया था मृत घोषित
डीपी सिंह के बगल में धमाका हुआ, ये इतना तेज था कि आसपास सब हिल गया। इस बीच लगातार फायरिंग हो रही थी। जवानों ने डीपी सिंह को सुरक्षित जगह पहुंचाया और जैसे तैसे करीब 3 घंटे बीत जाने के बाद उन्हें पास के अस्पताल पहुंचाया गया। तब तक डीपी सिंह के शरीर से काफी खून बह चुका था। पूरा शरीर घावों से भरा था। पैर इतना गल चुका था कि डॉक्टरों को उनका पैर भी काटना पड़ गया। डीपी सिंह की जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

15 जुलाई को मानते हैं डेथ एनीवर्सरी भी और पुनर्जन्म भी
कहते हैं न जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई.. बस यही चमत्कार डीपी सिंह के साथ भी हुआ। तीन दिन बीत जाने के बाद उन्हें होश आया। खुद डीपी सिंह अपने इस जीवन की पुनर्जन्म मानते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह 15 जुलाई को डेथ एनीवर्सरी और पुनर्जन्म दोनों सेलिब्रेट करते हैं। उनके हौसल की दाद तो आप तब देंगे जो पैर कट जाने के बाद भी जिंदगी को हिम्मत जीते आए हैं। साल 2009 में उन्होंने पहली बार मैराथन में भाग लिया। साल 2011 में वह देश के पहले ब्लेड रनर भी बने। अभी तक वह 26 से ज्यादा मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं।



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