Karnataka Quota politics: विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में कोटा पॉलिटिक्स तेज, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी आरक्षण की मांग h3>
बेंगलुरु: यूपी समेत चार राज्यों में जीत के बाद बीजेपी अब कर्नाटक (Karnataka Assembly election 2023) में चुनावी लड़ाई की तैयारियां शुरू कर रही है। इसी के साथ वहां जातिगत राजनीति एक बार फिर सामने आ गई है। अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न कास्ट लॉबी चुनावी टोन सेट करने की कोशिश में हैं। आरक्षण की लड़ाई पुनर्जीवित करने के लिए वे सब फिर से संगठित हो रहे हैं।
ब्राह्मण समुदाय के एक वर्ग ने ईडब्ल्यूएस मीसलाथी होराता समिति (ईएमएचएस) का गठन किया है। उनका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी कोटा दिलाने के लिए सरकार पर दवाब बनाना है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद से गुजरात, तेलंगाना समेत 11 राज्यों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया जबकि कर्नाटक सरकार राजनीति कारणों के चलते ऐसा नहीं कर पाई। ईएमएचएस इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
50 सीटों पर EWS वोट निर्णायक
ईएचएमएस अध्यक्ष डॉ. शंकर गुहा द्वारकानाथ बेल्लुर ने बताया, ‘सत्ताधारी दल ईडब्ल्यूएस समुदाय को नजरअंदाज कर रही है। उन्हें लगता है कि दूसरे समुदायों की तुलना में जो आबादी के लिहाज से बड़े हैं, यह उतना बड़ा वोटबैंक नहीं बन सकते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर सरकार यह कोटा लागू करने में विफल रहती है तो विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा भुनाया जाएगा क्योंकि कम से कम 50 निर्वाचन क्षेत्रों में ईडब्ल्यूएस समुदायों के वोट निर्णायक हैं।’
वर्तमान में ईडब्ल्यूएस कोटा कर्नाटक में केंद्र सरकार की जॉब और शैक्षिक संस्थानों तक सीमित है। अब राज्य सरकार की नौकरियों में भी इसे लागू करने की मांग की जा रही है। अगर यह कोटा लागू होता है तो इससे कर्नाटक के पांच समुदाय को लाभ मिलेगा- ब्राह्मण, वैश्य जैन, मुदालियर और नायर।
सीएम से करेंगे ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की मांग
कर्नाटक ब्राह्मण विकास बोर्ड के चेयरमैन एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने कहा कि रिटायर्ज हाई कोर्ट के जज जस्टिस एन कुमार के नेतृत्व में एक डेलिगेशन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से मुलाकात करेगा और तत्काल रूप से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की मांग करेगा।
पंचमशाली लिंगायत के लिए ओबीसी आरक्षण की मांग
पंचमशाली लिंगायत के लिए 2ए कैटिगरी के तहत ओबीसी आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे कुदासंगमा पंचमशाली पीठ ने अपनी लड़ाई फिर से तेज कर दी है। मंगलवार को उन्होंने एक राउंड टेबल मीटिंग की। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें सरकार से बैकवर्ड क्लास कमिशन की रिपोर्ट को 30 मार्च से पहले स्वीकार करने और 14 अप्रैल या इससे पहले पंचमशाली के लिए 2 ए आरक्षण की घोषणा की मांग की गई है। अन्यथा राज्यव्यापी आंदोलन बुलाने की चेतावनी दी गई है।
बैठक में शामिल हुए बीजेपी विधायक
बीजेपी विधायक बसनागौड़ पाटिल यतनाल, अरविंद बेल्लाड, सिद्दू सवाडी और कांग्रेस एमएलसी चन्नाराज हथिहोली इस मीटिंग में शामिल हुए। जबकि मंत्री सीसी पाटिल और शंकर पाटिल मुनेनाकोप्पा मीटिंग से नदारद रहे। कुदालसंगमा पंचमशाली पीठ के संत बसव जया मृत्युजंय स्वामी ने कहा, ‘सरकार से आरक्षण प्रदान करने के लिए पिछले साल 15 मार्च की समय सीमा तय किए जाने के ठीक एक साल बाद बैठक हो रही है। हम और ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहते हैं।’
बीजेपी कर सकती है 4 डेप्युटी सीएम की नियुक्ति
आरक्षण की मांग से चिंतिंत बीजेपी कैबिनेट विस्तार के तहत चार उपमुख्यमंत्रियों को नियुक्त करने की योजना बना रही है जिसमें से यतनाल के नाम की भी चर्चा है। सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रयास कर रही है जिसमें कहा गया है कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए। इस बीच, अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों ने आरक्षण को 2% से बढ़ाकर 7% करने के लिए अपना आंदोलन तेज कर दिया है।
पंचमशाली लिंगायत समुदाय की एक रैली (फाइल फोटो)
ब्राह्मण समुदाय के एक वर्ग ने ईडब्ल्यूएस मीसलाथी होराता समिति (ईएमएचएस) का गठन किया है। उनका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी कोटा दिलाने के लिए सरकार पर दवाब बनाना है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद से गुजरात, तेलंगाना समेत 11 राज्यों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया जबकि कर्नाटक सरकार राजनीति कारणों के चलते ऐसा नहीं कर पाई। ईएमएचएस इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
50 सीटों पर EWS वोट निर्णायक
ईएचएमएस अध्यक्ष डॉ. शंकर गुहा द्वारकानाथ बेल्लुर ने बताया, ‘सत्ताधारी दल ईडब्ल्यूएस समुदाय को नजरअंदाज कर रही है। उन्हें लगता है कि दूसरे समुदायों की तुलना में जो आबादी के लिहाज से बड़े हैं, यह उतना बड़ा वोटबैंक नहीं बन सकते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर सरकार यह कोटा लागू करने में विफल रहती है तो विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा भुनाया जाएगा क्योंकि कम से कम 50 निर्वाचन क्षेत्रों में ईडब्ल्यूएस समुदायों के वोट निर्णायक हैं।’
वर्तमान में ईडब्ल्यूएस कोटा कर्नाटक में केंद्र सरकार की जॉब और शैक्षिक संस्थानों तक सीमित है। अब राज्य सरकार की नौकरियों में भी इसे लागू करने की मांग की जा रही है। अगर यह कोटा लागू होता है तो इससे कर्नाटक के पांच समुदाय को लाभ मिलेगा- ब्राह्मण, वैश्य जैन, मुदालियर और नायर।
सीएम से करेंगे ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की मांग
कर्नाटक ब्राह्मण विकास बोर्ड के चेयरमैन एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने कहा कि रिटायर्ज हाई कोर्ट के जज जस्टिस एन कुमार के नेतृत्व में एक डेलिगेशन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से मुलाकात करेगा और तत्काल रूप से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की मांग करेगा।
पंचमशाली लिंगायत के लिए ओबीसी आरक्षण की मांग
पंचमशाली लिंगायत के लिए 2ए कैटिगरी के तहत ओबीसी आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे कुदासंगमा पंचमशाली पीठ ने अपनी लड़ाई फिर से तेज कर दी है। मंगलवार को उन्होंने एक राउंड टेबल मीटिंग की। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें सरकार से बैकवर्ड क्लास कमिशन की रिपोर्ट को 30 मार्च से पहले स्वीकार करने और 14 अप्रैल या इससे पहले पंचमशाली के लिए 2 ए आरक्षण की घोषणा की मांग की गई है। अन्यथा राज्यव्यापी आंदोलन बुलाने की चेतावनी दी गई है।
बैठक में शामिल हुए बीजेपी विधायक
बीजेपी विधायक बसनागौड़ पाटिल यतनाल, अरविंद बेल्लाड, सिद्दू सवाडी और कांग्रेस एमएलसी चन्नाराज हथिहोली इस मीटिंग में शामिल हुए। जबकि मंत्री सीसी पाटिल और शंकर पाटिल मुनेनाकोप्पा मीटिंग से नदारद रहे। कुदालसंगमा पंचमशाली पीठ के संत बसव जया मृत्युजंय स्वामी ने कहा, ‘सरकार से आरक्षण प्रदान करने के लिए पिछले साल 15 मार्च की समय सीमा तय किए जाने के ठीक एक साल बाद बैठक हो रही है। हम और ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहते हैं।’
बीजेपी कर सकती है 4 डेप्युटी सीएम की नियुक्ति
आरक्षण की मांग से चिंतिंत बीजेपी कैबिनेट विस्तार के तहत चार उपमुख्यमंत्रियों को नियुक्त करने की योजना बना रही है जिसमें से यतनाल के नाम की भी चर्चा है। सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रयास कर रही है जिसमें कहा गया है कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए। इस बीच, अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों ने आरक्षण को 2% से बढ़ाकर 7% करने के लिए अपना आंदोलन तेज कर दिया है।
पंचमशाली लिंगायत समुदाय की एक रैली (फाइल फोटो)