Karachi Attack: दो बच्चों की मां क्यों बन गई बम? चीन-पाकिस्तान की दोस्ती से क्यों भड़के हैं बलूच

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Karachi Attack: दो बच्चों की मां क्यों बन गई बम? चीन-पाकिस्तान की दोस्ती से क्यों भड़के हैं बलूच

इस्लामाबाद: कराची यूनिवर्सिटी के भीतर एक महिला ने खुद को उड़ा लिया। जब इसका वीडियो सामने आया तो देखने वाले सहम गए। आखिर इस महिला ने ऐसा क्यों किया? वीडियो में महिला (Shari Baloch) गेट पर खड़ी दिखती है, पीछे से आ रही सफेद रंग की एक गाड़ी मुड़ने वाली होती है तभी धमाका हो जाता है। महिला गाड़ी की तरफ झुकती है और बटन दबा देती है। यह कोई आम घटना नहीं है और न ही महिला ने यूं ही अपनी जान दी है। इसके पीछे एक मकसद है। महिला का संबंध बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी से है। यह संगठन बलूचिस्तान की पाकिस्तान से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर फैली, दुनियाभर में फैले बलूचों ने इसे ‘शहादत’ का दर्जा दिया और बलूचों के त्याग और बलिदान का आह्वान किया। बलूच सिद्दीक आजाद ने ट्विटर पर लिखा कि बलूचिस्तान ऐसे ही बलिदान चाहता है और बलूच बच्चे अपनी मातृभूमि की आजादी तक यह जारी रखेंगे। कुछ ही देर में BLA का वीडियो भी सामने आ गया।

सुन लो चीन, तुम हमारी परमिशन के बिना यहां आए हो। तुमने हमारे गांवों को खत्म करने के लिए दुश्मनों और पाकिस्तानी सेना का सपोर्ट किया। लेकिन अब हमारी बारी है। बलूचिस्तान आर्मी तुम्हें गारंटी देती है कि बलूच धरती पर तुम्हारा CPEC अवश्य फेल होगा।

BLA कमांडर की धमकी

पहाड़ी क्षेत्र में अपने लड़ाकों के साथ दिखाई देता एक नकाबपोश कमांडर कहता है कि हमारे हमले का मकसद बिल्कुल स्पष्ट था। यह पाकिस्तान और चीन को सीधा मैसेज था। वह कहते हैं, ‘बलूचिस्तान से चीन और पाकिस्तान बाहर निकलें। दोनों देशों को यह चेतावनी हमारे लीडर जनरल असलम बलूच की तरफ से भी दी जा चुकी है लेकिन चीन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। हम एक बार फिर साफ कर देना चाहते हैं कि ग्वादर और बाकी पूरा बलूचिस्तान बलूचों का है। यह हमारा कर्तव्य है कि अपने भूभाग और समंदर की रक्षा करें।’ दरअसल, बलूचिस्तान में बगावत की चिंगारी 1947 में ही सुलगने लगी थी जब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत के दौरान इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था।

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वह कमांडर धमकी देते हुए कहता है, ‘सुन लो चीन, तुम बिना हमारी परमिशन के यहां आए हो। तुमने हमारे गांवों को खत्म करने के लिए दुश्मनों और पाकिस्तानी सेना का सपोर्ट किया। लेकिन अब हमारी बारी है। बलूचिस्तान आर्मी तुम्हें गारंटी देती है कि बलूच धरती पर तुम्हारा CPEC सफल नहीं हो पाएगा। मजीद ब्रिगेड में बड़ी संख्या में वालंटियर्स शामिल हैं, जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने के लिए तैयार बैठे हैं। चीनी नागरिकों और उसके प्रतिष्ठानों पर अटैक के लिए मजीद ब्रिगेड में एक स्पेशल यूनिट तैयार की गई है।’

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काले कपड़े से चेहरा ढंके हथियार लिए शख्स कहता है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग तुम्हारे पास अब भी बलूचिस्तान से बाहर निकलने का समय है या फिर तुम्हें बलूच बेटों और बेटियों की तरफ ऐसा करारा जवाब मिलेगा, जो तुम कभी भूल नहीं पाओगे।

उस महिला फिदायीन का नाम शारी बलूच बताया गया है। उसके पांच साल के दो बच्चे हैं। हमले के बाद उसके पति ने भी ट्वीट कर कहा कि दोनों बच्चे यह जानकर बहुत गौरव महसूस करेंगे कि उनकी मां कितनी महान महिला थीं। उन्होंने पत्नी की मौत पर गर्व जताया। इस हमले में तीन चीनी नागरिक मारे गए हैं। सोशल मीडिया पर कई अफगानिस्तानी भी बलूचों को सपोर्ट कर रहे हैं।


क्यों भड़के हैं बलूचिस्तानी
बलूचिस्तान प्रांत प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न क्षेत्र है, लेकिन यहां के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान ने कभी क्षेत्र की बेहतरी के लिए कदम नहीं उठाए। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान का सिर्फ इस्तेमाल किया है। पिछले 50 वर्षों में बलूचिस्तान के लोगों के लिए आजादी का संघर्ष तेज होता गया। उग्रवादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी तैयार की गई, जिसमें यहीं के लोग शामिल हैं। अपने लोगों की नाराजगी को दूर करने के बजाय पाकिस्तान की सेना ने बलूचों पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया। आए दिन लोग गायब होने लगे। बताया जाता कि सेना और पुलिस के लोग लेकर गए लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। खुले आम बलूचों को गोली मारी जाने लगी। इससे BLA ने और खतरनाक रूप धारण कर लिया।

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इस हमले में चीन नागरिकों को निशाना क्यों बनाया गया? यह सवाल अहम है। दरअसल, पाकिस्तान चीन की हां में हां मिलाते हुए चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC) बना रहा है, जो बलूचिस्तान के ग्वादर क्षेत्र से होकर जा रहा है। पाकिस्तानी सेना के जुल्म से दुखी BLA का गुस्सा इस बात से बढ़ गया कि यहां के स्थानीय लोगों से विचार-विमर्श किए बगैर चीन और पाकिस्तान मिलकर यहां डील कर रहे हैं।

बीएलए ने बलूच युवाओं को लेकर हमले के लिए कई ब्रिगेड बना रखी है। इनमें से एक है मजीद ब्रिगेड। इसमें शामिल हमलावर खुद फिदायीन बनकर पाक सैनिकों और चीनी नागरिकों पर हमला करते हैं। उन्हें अपनी जान देकर टारगेट पूरा करने का काम सौंपा जाता है।

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बलूच नागरिकों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि पाकिस्तान CPEC के नाम पर ग्वादर समेत कई इलाके चीन को सौंपता जा रहा है। उनका अधिकार खत्म होता जा रहा है। बलूचों के अटैक को देखते हुए आशंका जताई जाती रही है कि पाकिस्तान एक बार फिर टूट सकता है। पिछली बार 1971 की लड़ाई में भारत से करारी हार के बाद पूर्वी पाकिस्तान की जगह बांग्लादेश के रूप में दुनिया के नक्शे पर एक नया देश बना था।

चीन की चाल
चीन एक विस्तारवादी और महत्वाकांक्षी मुल्क है। वह छोटे गरीब मुल्कों को कर्ज में फंसा रहा है तो दूसरी तरफ उसकी नजर पाकिस्तान के बलूचिस्तान जैसे सूबे पर भी रहती है। बलूचिस्तान का क्षेत्र एशिया में सोने, तांबे और गैस के सबसे बड़े भंडारों में से एक है। पाकिस्तान ने चीन को एक तरह से यहां का चौधरी बना दिया है और सालों से रह रहे बलूचों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। यहां गरीबी चरम पर है। बलूचिस्तान को पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा सूबा माना जाता है। जबकि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ही परमाणु परीक्षण किया था।

चीन से इतना गुस्सा क्यों?
बलूचिस्तान के उग्रवादी गुट चीन के निवेश का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि चीन के बलूचिस्तान में रहने से बलूचों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। अरब सागर के किनारे बन रहे ग्वादर बंदरगाह को चीन CPEC के तहत बना रहा है। चीन इसके तहत सड़कें, रेल लाइनें और गैस पाइप लाइन बिछा रहा है जो शिनजियांग से ग्वादर तक 3 हजार किमी की दूरी तय करता है। पाकिस्तान की इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी की अपनी वजह है। उसके पास रेल, अस्पताल, स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं खस्ताहाल हैं। उसके पास केवल कराची बंदरगाह है। पाकिस्तान सरकार के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह चीन की तरह प्रोजेक्ट चला सके। ऐसे में सीपीईसी उसकी मजबूरी है।

इधर, बलूचिस्तान में बलूच राष्ट्रवाद की भावना उबाल मार रही है। यहां कई उग्रवादी गुट सक्रिय हैं, जो पाकिस्तान के खिलाफ काम करते हैं। वे स्वतंत्र देश बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार से उनका विरोध इस बात को लेकर भी है कि इस्लामाबाद से चलने वाली सरकार में पंजाब सूबे का दबदबा रहता है। बलूच केवल पाकिस्तान में नहीं रहते हैं। ये ईरान, अफगानिस्तान, बहरीन, भारत समेत दुनिया के कई देशों में रह रहे हैं।

बलूचिस्तान को बेच रहा पाक!
बलूचों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी आर्थिक कठिनाइयों से निपटने के लिए पैसा चाहता है और उसके लिए वह बलूचिस्तान का इलाका चीन को बेचने की कोशिश कर रहा है। साफ है कि पाकिस्तान हुकूमत से पहले से नाराज चल रह बलूचों की नाराजगी दूर करने और भरोसा बढ़ाने के बजाय उनके इलाके का सौदा किया गया। बलूचिस्तान के विकास के लिए उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना पंजाब और दूसरे राज्यों पर हुआ। एक्सपर्ट बताते हैं कि बलूचिस्तान के गैस भंडार के दोहन के लिए पाकिस्तान ने कई परियोजनाएं शुरू कीं। ये गैस हर जगह पहुंचती है लेकिन बलूचों को फायदा नहीं होता है। जबकि पाकिस्तान के कुल गैस प्रोडक्शन का आधा हिस्सा बलूचिस्तान से ही निकलता है।

अच्छा होता पाकिस्तान की ओर से मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए बलूचों के साथ मेलजोल बढ़ाने की पहल होती। उनका भरोसा जीता जाता। BLA की चेतावनी से साफ है कि वह चुप बैठने वाला नहीं है और चीन के लिए भी CPEC के सपने को पूरा करना आसान नहीं होगा। वैसे भी, कराची में हुए धमाके की गूंज बीजिंग में जरूर सुनाई दी होगी!



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