Kanpur News: IT अधिकारी के शव से क्यों नहीं बदबू? 7 साल पहले की थी लव मैरिज, बॉडी में केमिकल लगाने से इन्कार

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Kanpur News: IT अधिकारी के शव से क्यों नहीं बदबू? 7 साल पहले की थी लव मैरिज, बॉडी में केमिकल लगाने से इन्कार

Kanpur News: IT अधिकारी के शव से क्यों नहीं बदबू? 7 साल पहले की थी लव मैरिज, बॉडी में केमिकल लगाने से इन्कार

कानपुर: यूपी के कानपुर में एक रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना प्रकाश में आई है। आयकर विभाग में तैनात विमलेश का परिवार बीते डेढ़ साल से उसके शव के साथ रह रहा था। विमलेश के माता-पिता का कहना है कि हमने बेटे के शरीर में किसी तरह का केमिकल नहीं लगाया है। बेटे की मौत हो चुकी होती तो उसके शरीर से बदबू आने लगती। विमलेश के माता-पिता अंतिम संस्कार होने तक कहते रहे कि मेरा बेटा जिंदा है। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज डॉक्टर भी हैरान हैं कि डेढ़ साल तक शव से बदबू क्यों नहीं आई। शरीर का मांस हड्डियों में चिपक गया था। शरीर पूरी तरह से सूख चुका था।

रावतपुर थाना क्षेत्र स्थित कृष्णापुरी इलाके में रहने वाले विमलेश दीक्षित आयकर विभाग अहमदाबाद में असिस्टेंट अकाउटेंट ऑफिसर के पद तैनात थे। परिवार में पिता रामअवतार आर्डिनेंस फैक्टरी से रिटायर्ड हैं। मां रामदुलारी, दो भाइयों और पत्नी मिताली, पांच साल के बेटे, तीन साल की बेटी के साथ रहते थे। विमलेश की पत्नी मिताली सहकारिता बैंक में तैनात हैं। कोरोना काल में विमलेश गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उपचार के दौरान विमलेश की 22 अप्रैल 2021 को मौत हो गई थी। हॉस्पिटल ने विमलेश का डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। परिजनों को विश्वास नहीं हुआ तो मृत्यु के बाद दूसरे हॉस्पिटल ले गए थे। जहां भी डॉक्टरों ने विमलेश को डेथ घोषित कर दिया था।

क्यों नहीं आई शरीर से बदबू
आईटी अधिकारी विमलेश दीक्षित के माता-पिता का दावा किया है कि बेटे के शव में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मतृक के पिता का कहना है कि शुरुआत के दिनों में जब बेटे के शरीर से पानी निकलता था तो उसे गंगाजल और फिर डेटाल से साफ कर देते थे। शुरुआत में कुछ बदबू का अहसास हुआ था, लेकिन कुछ महीनों बाद बदबू आनी बंद हो गई।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एनाटॉमी विभाग की विभागध्यक्ष डॉ. सुनिति पांडेय का कहना है कि शरीर के भीतर बहुत सारे बैक्टीरिया होते हैं। यह बैक्टीरिया मृत्यु के आठ घंटे बाद प्रभाव डालना शुरू कर देते हैं। पेट के दाहिने तरफ हरा रंग आ जाता है, फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। जिसे ऑटोलेसिस कहते हैं। शरीर के बाहरी तौर पर, जो बैक्टीरिया और मक्खियों का असर होता है, वह विमलेश के माता-पिता के देखभाल की वजह से नहीं हो पाया। हवादार कमरे में शव रखने से गला नहीं। शव की नमी धीमे-धीमे खत्म होती गई। बाहरी साफ-सफाई की वजह से शव सड़ा नहीं। पूरा शव ममीफाइड हो गया।

विमलेश ने की थी लव मैरिज
विमलेश दीक्षित ने सात साल पहले मिताली से लव मैरिज की थी। मिताली बचपन से अनाथ थी। शादी के बाद मिताली की किदवई नगर स्थित सहकारिता बैंक में जॉब लग गई थी। विमलेश और मिताली से एक पांच साल का बेटा, तीन साल की बेटी है। विमलेश ने स्वीकार कर लिया था कि पति की मौत हो चुकी है, लेकिन माता-पिता की जिद के आगे वह मजबूर थी। विमलेश ने आयकर विभाग को बताया था कि पति की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी माता-पिता शव को घर में रखे हैं।

कैसे हुआ घटना खुलासा
विमलेश कुमार बीते डेढ़ साल से नौकरी पर नहीं जा रहे थे। विमलेश के परिवारिक सदस्य जिंदा होने का दावा करते रहे। जिसकी वजह से आयकर विभाग अपनी फाइनल रिपोर्ट नहीं लगा पा रहा था। आयकर विभाग की तरफ से कानपुर डीएम को पत्र लिखा गया था कि एओ अधिकारी की मौत संबंधी जांच कराने का आग्रह किया गया था। इस पर डीएम ने कानपुर सीएमओ आलोक रंजन को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए थे।

सीएमओ आलोक रंजन ने डिप्टी सीएमओ डॉ. गौतम के नेतृत्व में तीन सदस्यी टीम का गठन किया था। शुक्रवार को टीम विमलेश कुमार के घर पहुंची थी। परिजन शव ले जाने का विरोध करने लगे। इस पर पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंच गया। जानकारी के मुताबिक, मृतक के पत्नी की मानसिक हालत ठीक नहीं है। डिप्टी सीएमओ का कहना है कि शव में कोई केमिकल लगाया गया है।
इनपुट-सुमित शर्मा

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