Kanpur News: ट्रायल रन से पहले कानपुर मेट्रो के काम में नगर निगम और मेडिकल कॉलेज का अड़ंगा!

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Kanpur News: ट्रायल रन से पहले कानपुर मेट्रो के काम में नगर निगम और मेडिकल कॉलेज का अड़ंगा!

कानपुर
ट्रायल रन की ओर बढ़ रहे कानपुर मेट्रो के प्रायॉरिटी कॉरिडोर में सरकारी विभागों ने ही अड़ंगे लगाने शुरू कर दिए हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ संजय काला ने बीते दिनों निर्माण कार्य रुकवा दिया। उन्होंने मेट्रो से जमीन के मुआवजे के तौर पर 97 करोड़ रुपये के अलावा अतिरिक्त निर्माण की मांग की है। वहीं महापौर प्रमिला पांडेय ने दावा किया गया मेट्रो ने जमीन पर कब्जा कर लिया है। साथ ही जलकल की जमीन पर मेट्रो की तरफ से बनाए जा रहे घरों को गिरवा दिया।

यह है मामला
आईआईटी से मोतीझील के बीच कानपुर मेट्रो के 9 किमी लंबे प्रायॉरिटी कॉरिडोर का काम पूरा होने की तरफ बढ़ रहा है। इसके लिए यूपीएमआरसी ने मेडिकल कॉलेज और नगर निगम की जमीन का इस्तेमाल किया है। कुछ महीने पहले महापौर प्रमिला पांडेय ने निगम की जमीन के ऐवज में मुआवजे की मांग की थी। प्रायॉरिटी कॉरिडोर के आगे भी बेनाझाबर तक काम जारी है।

मेडिकल कॉलेज ने काम रुकवाया
बीते दिनों जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने निजी सुरक्षा गार्ड भेज मेट्रो का काम रुकवा दिया। उन्होंने दावा किया कि मेट्रो प्रशासन मेडिकल कॉलेज की जमीन दबा रहा है। कॉलेज प्रशासन का 110 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं कॉलेज की 12 मीटर जमीन दबाकर बाउंड्री बनाई जा रही है। उन्होंने स्वरूपनगर थाने में तहरीर देने का भी दावा किया, लेकिन एसएचओ अश्विनी पांडेय ने इससे इनकार किया है। काफी कोशिशों के बावजूद प्रिंसिपल से बात नहीं हो सकी।

नगर निगम के तेवर
मेट्रो ने मोतीझील के पास मेट्रो के काम के लिए नगर निगम की जमीन का इस्तेमाल किया है। बेनाझाबर के पास जलकल की जमीन पर बनी बस्ती के कुछ मकान तोड़े थे। नियमानुसार, मेट्रो प्रशासन इनका दोबारा निर्माण करवाने लगा। मंगलवार को महापौर ने निर्माण गिरवा दिया। आरोप लगाया कि मेट्रो अवैध निर्माण करवा रहा है। नगर निगम ने जमीन के मुआवजे के तौर पर 106 करोड़ रुपये मांगे। मेट्रो अधिकारियों और नगर निगम की इस संबंध में बैठक भी हुई और नापजोख जारी है।

मेट्रो ने दावे किए खारिज
दूसरी तरफ यूपीएमआरसी ने नगर निगम और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के दावों को अवास्तविक बता खारिज कर दिया। प्रवक्ता के अनुसार, नगर निगम ने बढ़ा-चढ़ाकर 106 करोड़ रुपये का दावा किया है। स्थायी या अस्थायी तौर पर इस्तेमाल जमीन के भुगतान के लिए संयुक्त सर्वेक्षण जारी है। बेनाझाबर में बिना नींव मकान बनाने की बात बकवास है। वैध-अवैध निर्माण तय करना मेट्रो का काम नहीं है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के दावे भी गलत हैं। प्रिंसिपल चाहते हैं कि यूपीएमआरसी अंडरपास और स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स बना कर दे, जबकि उनसे ऐसा कोई भी समझौता नहीं हुआ है।

सीआरएस को भेजी गई डिजाइन
कानपुर मेट्रो को कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) से मंजूरी दिलाने के लिए उन्हें सारे डिजाइन दिखाए जा रहे हैं। एमडी कुमार केशव ने बीते दिनों बताया था कि पहला तरीका यह है कि काम पूरा कर रेलवे अधिकारियों से निरीक्षण करवाया जाए, जबकि दूसरा तरीका लगातार उनके संपर्क में रहने का है। सीआरएस एक बार अनौपचारिक रूप से कानपुर भी आएंगे। यह प्रक्रिया 4-6 महीने की होती है, लेकिन इसे 2 महीने में पूरा करने के प्रयास हो रहे हैं। रेलवे अधिकारियों से बातचीत जारी है। नवंबर में ट्रायल शुरू होने के बाद जनवरी में इसे जनता के लिए खोला जाएगा।

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