Kanpur: पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी के लिए जुटाया जा रहा चंदा, मेडिकल स्टोर पर दिखा डोनेशन बॉक्स

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Kanpur: पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी के लिए जुटाया जा रहा चंदा, मेडिकल स्टोर पर दिखा डोनेशन बॉक्स

Kanpur: पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी के लिए जुटाया जा रहा चंदा, मेडिकल स्टोर पर दिखा डोनेशन बॉक्स

कानपुर: पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी कानपुर में अपनी जड़ें मजबूत कर चुका है। मुस्लिम बाहुल इलाकों में दावत-ए-इस्लामी के डोनेशन बॉक्स अभी भी लगे हैं। पाकिस्तानी संगठन हिंदुस्‍तान में बॉक्स रखकर डोनेशन जुटा रहा है और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। कट्टरपंथी मुल्ला आसिफ अशरफ जलानी ने पाकिस्तान में भारत के खिलाफ जहर उगला था। मुल्ला आसिफ अशरफ जलानी ने यूट्यूब चैनल में वीडियो अपलोड कर सूफी खानखाह एसोसिएशन के अध्यक्ष मो. कौसर मजीदी को जान से मारने की धमकी दी थी। मो. कौसर मजीदी ने सबसे पहले डोनेशन बॉक्स के खिलाफ अवाज उठाई थी।

उदयपुर में कन्हैयालाल के हत्यारे दावत-ए-इस्लामी के सदस्य हैं। कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद दावत-ए-इस्लामी संगठन अचानक सुर्खियों मे आ गया। सूत्रों की मानें तो कानपुर में दावत-ए-इस्लामी के लगभग 50 हजार सदस्य बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कानपुर के मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र बाबूपुरवा, ग्वालटोली, परेड, मछरिया, जाजमऊ, बेकनगंज जैसे इलाकों में दावत-ए-इस्लामी के सदस्य रहते हैं। कानपुर सीएए, एनआरसी बवाल में दावते-ए-इस्लामी से जुड़े लोग जांच के दौरान प्रकाश में आए थे। डीसीपी क्राइम और कार्यवाहक डीसीपी साउथ सलमानताज पाटिल ने कहा कि यदि ऐसा मामला प्रकाश में आया है, तो उसकी जांच कराई जाएगी।

मेडिकल स्टोर में लगा है डोनेशन बॉक्स
कानपुर के परमपुरवा स्थित जनता मेडिकल स्टोर में दावत-ए-इस्लामी का डोनेशन बॉक्स लगा हुआ है। इसी तरह से कानपुर के कई मुस्लिम इलाकों में भी दावत-ए-इस्लामी संगठन के डोनेशन बॉक्स लगे हुए हैं। इसकी भनक पुलिस और एलआईयू को भी नहीं है। जानकारी के मुताबिक दावत-ए-इस्लामी संगठन के लिए डोनेशन बॉक्स के माध्यम से रुपए जमा किए जाते है। डोनेशन की रकम संगठन को दी जाती है। इस फंड का इस्तेमाल मदरसों में पढ़ने बच्चों की शिक्षा, गरीबों की मदद, गरीब बेटियों के निकाह कराने की बात कही जाती है।

मजीदी ने डोनेशन बॉक्स के खिलाफ उठाई थी अवाज
सूफी खानखाह एसोसिएशन के अध्यक्ष मो. कौसर मजीदी ने 2021 में दावत-ए-इस्लामी के डोनेशन बॉक्स के खिलाफ आवाज उठाई थी। मो. कौसर मजीदी ने पुलिस को जानकारी दी थी कि दावत-ए-इस्लामी ने मुस्लिम बाहुल इलाकों में डोनेशन बॉक्स लगाए हैं। इसमें आने वाले फंड का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में किया जाता है। पुलिस की जांच में डोनेशन बॉक्स की बात सच साबित हुई थी। लेकिन इसका एक भी दावेदार सामने नहीं आया था।

एक हफ्ते में तीसरी बार धमकी
सूफी खानखाह एसोसिएशन के अध्यक्ष मो. कौसर मजीदी को एक हफ्ते में तीसरी बार जान से मारने की धमकी मिली है। मो. कौसर मजीदी कट्टरपंथी के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। इस लिए कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं। मो. कौसर मजीदी ने जूही थाने में रिपार्ट भी दर्ज कराई है। वहीं कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने उन्हे सुरक्षा भी मुहैया कराई है।

हिंदुओं की गोद में बैठा है सूफी खानखाह संगठन
पाकिस्तानी बरेलवी कट्टरपंथी मुल्ला आसिफ अशरफ जलाली ने पाकिस्तान से मो. कौसर मजीदी को धमकी दी है। इसके बाद जलाली ने अपने यूट्यूब चैनल में बीते शनिवार को वीडियो अपलोड किया था। मो. कौसर मजीदी का दावा है कि इसके बाद उनको पाकिस्तानी नंबर से कॉल भी आई थी। कॉल करने वाला जलाली का समर्थक है। मुल्ला आसिफ अशरफ जलाली तहरीक-ए-सिराते मुस्तकीम संगठन का संस्थापक है। जलाली ने कहा था कि सूफी खानकाह संगठन हिंदुओं की गोद में बैठने वाला संगठन है।

क्या है दावते-ए-इस्लामी
दावते-ए-इस्लामी संगठन की स्थापना 1981 में पाकिस्तान में मौलाना इलियास अत्तारी कादरी ने की थी। इस संगठन का मकसद पैगंबर-ए-इस्लाम की दी हुई शिक्षा का प्रचार प्रसार करना था। इस संगठन के सदस्य लगभग सभी खाड़ी देशो में हैं। सन् 1990 के दशक में कानपुर में इसका विस्तार हुआ था। इंडिया में दावत-ए-इस्लामी संगठन को बरेलवी विचारधारा का समर्थन मिला था। वहीं बरेली शरीफ ने उनकी विचारधारा का विरोध किया था।

दो बड़े जलसे कर चुका है दावत-ए-इस्लामी
भारत में इस संगठन को दावत-ए-इस्लामी हिंद भी कहा जाता है। फिलहाल कानपुर में इस संगठन से लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं। कानपुर में अपनी धाक जमाने के बाद दावत-ए-इस्लामी ने कानपुर में दो बड़े जलसे किए थे। चमनगंज के हलीम कॉलेज मैदान में सेमिनार किया था। जिसमें संगठन के संस्थापाक मौलाना इलियास कादरी शामिल हुआ था। दूसरा बड़ा जलसा 2000 में नारामऊ में हुआ था, जिसमें अंतर्रराष्ट्रीय स्तर के लोगों ने शिरकत की थी। 2019 सीएए, एनआरसी बवाल के बाद संगठन की गतिविधियों में कमी देखी गई थी।
रिपोर्ट- सुमित शर्मा

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