Kameshwar Chaupal: ट्रांसप्लांट के बाद नहीं संभाल सका अस्पताल? करीबी ने कामेश्वर चौपाल के निधन पर कही बड़ी बात

5
Kameshwar Chaupal: ट्रांसप्लांट के बाद नहीं संभाल सका अस्पताल? करीबी ने कामेश्वर चौपाल के निधन पर कही बड़ी बात
Advertising
Advertising

Kameshwar Chaupal: ट्रांसप्लांट के बाद नहीं संभाल सका अस्पताल? करीबी ने कामेश्वर चौपाल के निधन पर कही बड़ी बात


Advertising

पूर्व एमएलसी कामेश्वर चौपाल।
– फोटो : NEWS4SOCIAL

Advertising

विस्तार

Advertising


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने वाले भाजपा एमएलसी कामेश्वर चौपाल का शुक्रवार की अहले सुबह निधन हो गया। उनका पैतृक गांव सुपौल के मरौना प्रखंड अंतर्गत कमरैल है। उनके पैतृक गांव में भी शोक का माहौल है। वह बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। 23 अगस्त 2024 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया था।

Trending Videos

Advertising

कामेश्वर चौपाल के सुरक्षा गार्ड रहे राजकुमार बताते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद करीब एक-डेढ़ महीने तक वह स्वस्थ रहे। इस बीच दिसंबर 2024 में जब चौपाल पटना पहुंचे तो अचानक से उनकी तबियत बिगड़ गई। बीते 28 दिनों से कामेश्वर चौपाल का दोबारा सर गंगा राम अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था। लेकिन उनका लीवर भी बुरी तरह डैमेज हो चुका था। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सही-सही जानकारी भी नहीं दी। किडनी और लीवर की समस्या की वजह से शुक्रवार की अहले सुबह उनका निधन हो गया।

आरएसएस ने दिया पहले कारसेवक का दर्जा

24 अप्रैल 1956 को बिहार के सुपौल जिला अंतर्गत मरौना प्रखंड के कमरैल में जन्मे कामेश्वर चौपाल का पूरा जीवन ईश्वर के काम में समर्पित रहा। वह 1980 के दशक में मधेपुरा में संघ के जिला प्रचारक हुआ करते थे। 1982-83 में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री रहे। 1985 में मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से एमए की डिग्री ली। वही 1989 में जब राम मंदिर का आंदोलन तेज हुआ तो मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने का सौभाग्य भी कामेश्वर चौपाल को ही मिला। मंदिर निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका की वजह से आरएसएस ने उन्हें पहले कारसेवक का दर्जा दिया। वर्ष 1991 में कामेश्वर चौपाल ने राजनीति में कदम रखा और 7 मई 2002 से 6 मई 2014 तक भाजपा कोटे से बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 2014 में उन्होंने सुपौल से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। 9 नवंबर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला आया तो मंदिर के ट्रस्टियों में केंद्र सरकार ने कामेश्वर चौपाल को भी जगह दी। कामेश्वर चौपाल के निधन की खबर से से उनके जानने वालों सहित पूरे इलाके में शोक है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Bihar News

Advertising