Jitan Ram Manjhi ने भगवान राम से रावण को बताया महान, तो लोगों ने पूछा कहां से प्राप्त हुआ ये दिव्य ज्ञान?
jitan Ram Manjhi And Ramcharitmanas: हिंदुओं के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर एक बार फिर विवादित टिप्पणी की गई है। इस बार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया है। हालांकि जीतन राम मांझी पहले भी कई विवादित बयान देते रहे हैं।
हाइलाइट्स
- हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ पर जीतन राम मांझी की टिप्पणी पर जनता की राय
- रामचरितमानस का अपमान करने वालों में मची होड़
- आरजेडी के नेता चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस पर की थी विवादित टिप्पणी
- स्वामी प्रसाद मौर्य ने न सिर्फ रामचरितमानस का किया था अपमान
हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ पर जीतन राम मांझी की टिप्पणी पर जनता की राय
रामचरितमानस पर जीतन राम मांझी की ओर से दिए गए विवादित बयान सामने आने के बाद जनता ने भी उनसे कई सवाल पूछे हैं। पटना के कपड़ा व्यवसायी संजय कुमार का कहना है कि जब जीतन राम मांझी ये मानते हैं कि रामचरितमानस एक काल्पनिक ग्रंथ है तो उन्हें यह ज्ञान कहां से आया कि भगवान राम से ज्यादा महान रावण था। संजय कुमार ने कहा कि जीतन राम मांझी को यह बताना चाहिए कि उन्होंने यह दिव्य ज्ञान कहां से प्राप्त किया। इसी प्रकार अधिवक्ता प्रशांत कुमार का कहना है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ पर टिप्पणी करना सबसे आसान कार्य है। प्रशांत कुमार का कहना है कि अगर हिंदू ग्रंथ के अलावा किसी और के धार्मिक ग्रंथ इस तरह की टिप्पणी कर दी जाती तो अब तक देश में आग लग जाती। उन्होंने कहा कि नूपुर शर्मा का उदाहरण हमारे सामने हैं। अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने कहा कि लेकिन हिंदू सहिष्णु होते हैं जिसका फायदा हिंदुओं के साथ साथ सभी संप्रदाय के लोग हुए उठाते हैं। वही पटना के ही साहिल कुमार का कहना है कि जीतन राम मांझी की उम्र ज्यादा हो चुकी है। इसके अलावा वह अपने बेटे को राजनीति में सेट करने के लिए बेचैन है। इसलिए कभी वह अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की बात करते हैं तो कभी शराबबंदी पर बेतुका बयान देते हैं। साहिल का कहना है कि जीतन राम मांझी ने यह बयान सिर्फ एक वर्ग को खुश करने के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि क्योंकि राजनीति में अब उन्हें कोई पूछ नहीं रहा तो वह चाहते हैं कि कुछ मुसलमान वोट बैंक उनकी तरफ हो जाएंगे तो आने वाले चुनाव में उन्हें फायदा हो सकता है।
रामचरितमानस का अपमान करने वालों में मची होड़
सबसे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी के नेता चंद्रशेखर यादव ने हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद अपनी राजनीति चमकाने और मुस्लिम वोटरों को खुश करने के लिए के लिए समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने न सिर्फ रामचरितमानस का अपमान किया बल्कि ग्रंथ को भी जला दिया था। इसके बाद तो पूरे देश में यह सिलसिला शुरू हो गया। अब तो हालात यह है कि नरेंद्र मोदी की सरकार और भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं में यह होड़ मची है कि कौन हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस का ज्यादा अपमान करता है।
रिपोर्ट-नीलकमल
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