Jhulan Goswami Retirement: 284 इंटरनेशनल मैच, 350 से ज्यादा विकेट, झूलन गोस्वामी को फिर भी संन्यास के बाद रहेगा इस बात का मलाल

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Jhulan Goswami Retirement: 284 इंटरनेशनल मैच, 350 से ज्यादा विकेट, झूलन गोस्वामी को फिर भी संन्यास के बाद रहेगा इस बात का मलाल


Jhulan Goswami Retirement: 284 इंटरनेशनल मैच, 350 से ज्यादा विकेट, झूलन गोस्वामी को फिर भी संन्यास के बाद रहेगा इस बात का मलाल

लंदन: भारत की महान तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) ने अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने से पहले कहा कि दो दशक के करियर में उन्हें सिर्फ वनडे विश्व कप खिताब को नहीं जीत पाने का ‘पछतावा’ है। झूलन शनिवार को ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे के बाद खेल से संन्यास ले लेंगी। मीडिया के बातचीत के दौरान झूलन ने भावुक होकर कहा कि वह इस खेल के प्रति शुक्रगुजार है, जिसने उन्हें इतनी शोहरत और प्रतिष्ठा दी। उन्होंने कहा कि वनडे विश्व कप के 2005 और 2017 सत्र में टीम के उपविजेता रहने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा।

दाएं हाथ की 39 साल की इस गेंदबाज ने कहा, ‘मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सकी। मुझे बस इसी का मलाल है क्योंकि आप चार साल तक विश्व कप की तैयारी करते हैं। बहुत मेहनत होती है। प्रत्येक क्रिकेटर के लिए विश्व कप जीतना एक सपने के सच होने जैसा क्षण होता है।’

इस दिग्गज गेंदबाज ने कहा, ‘जब मैंने शुरुआत की थी तो इतने लंबे समय तक खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था। यह बहुत अच्छा अनुभव था। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि इस खेल को खेल सकी। ईमानदारी से कहूं तो बेहद साधारण परिवार और चकदा (पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में) जैसे एक छोटे से शहर से होने के कारण मुझे महिला क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था।’

झूलन ने कहा कि भारतीय टीम की टोपी (पदार्पण करना) प्राप्त करना उनकी क्रिकेट यात्रा का सबसे यादगार क्षण था। उन्होंने कहा, ‘मेरी सबसे अच्छी याद तब है जब मुझे भारत के लिए खेलने का मौका मिला और मैंने पहला ओवर फेंका क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था। मेरी क्रिकेट यात्रा कठिन रही है क्योंकि अभ्यास के लिए मुझे लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी।’

उन्होंने कहा कि वह 1997 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मैच को देखने के लिए मैदान में 90,000 दर्शकों मौजूद थे। यही से उन्होंने क्रिकेट को करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘मैं 1997 में बॉल गर्ल थी। विश्व कप फाइनल को देखने के बाद ही मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था।’

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