क्या लॉकडाउन लगाना ही कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय है ?

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कोरोना वायरस
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कोरोना वायरस पूरे भारत में महामारी के रूप में फैल चुका है. इसके प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बहुत बड़ी संख्या में प्रतिदिन कोरोना वायरस के केस सामने आ रहे हैं. जिसके परिणाम स्वरूप इससे प्रभावित लोगो का मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है, जोकि किसी भी व्यक्ति को विचलित कर सकता है.

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लॉकडाउन

कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन भी आ चुकी है. लेकिन कई राज्यों में और वैक्सिन की मांग भी लगातार की जा रही है. इसके भयंकर रूप को देखते हुए. दिल्ली सरकार ने 6 दिन के मिनी लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है. इसके अलावा भी देश के कई हिस्सों में वीकेंड कर्फ्यू भी लगाने की घोषणा की गई है. इसके साथ ही स्कूल और काँलेजों को बंद कर दिया गया है. कुछ लोगों का मानना है कि लॉकडाउन लगाना जरूरी है तथा कुछ लोगो इसका विरोध भी करते हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लॉकडाउन लगाना ही कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय है ?

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कह चुके हैं कि लॉकडाउन लगाना कोरोना से बचाव का रास्ता नहीं हो सकता है. अभी हाल ही में हस्पतालों में बैड़ की कमी देखने को मिल रही है. इसको देखते हुए लॉकडाउन पर कुछ सरकारों द्वारा इस पर विचार किया जा रहा है क्योंकि उनका मानना है कि इससे कोरोना वायरस की चैन टूटेगी तथा लगातार तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों की रफ्तार में कमी आएगी.

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जिसके बाद स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करने का अतिरिक्त समय मिल पाएगा. इसके साथ ही वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में भी तेजी लाने का समय मिल पाएगा. लॉकडाउन के कारण हम कोरोना वायरस से जीत नहीं सकते हैं, लेकिन इसके कारण हमें तैयारी के लिए कुछ अतिरिक्त समय मिल सकता है.