International Tiger Day 2022- बाघों को भी सता रहा दिल का रोग, अब हार्ट अटैक से जा रही बाघों की जान | Heart disease is also haunting tigers | Patrika News
यह राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) सेंचुरी की रिपोर्ट और वेटरनरी डॉक्टर बता रहे हैं। देश इस साल अब तक 75 बाघों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 27 बाघों की मौत मध्यप्रदेश में हुई। इनमें भी 15 फीसदी यानी 4 बाघों की मौत हार्ट अटैक से हुई है। बाकी मौतों के लिए आपसी संघर्ष व अन्य कारण गिनाए जा रहे हैं। चौंकाने वाले आंकड़े यह हैं कि 10 साल में मप्र में सबसे ज्यादा 270 बाघों की मौत हुई है। सवाल यह भी है कि क्या जंगलों में बाघों की जीवनशैली बदल रही है?
इसे लेकर डॉ. अनूप चटर्जी कहते हैं, हां हार्ट अटैक से बाघों की मौत होती है। अमूमन बाघों की उम्र 12 से 17 वर्ष होती है। इस बीच उनकी धमनियों में अलग-अलग कारणों से खून के थक्के बन जाते हैं। ऐसे में हार्ट ब्लॉक होता है और अटैक से मौत हो जाती है।
मप्र: 9 साल में 45 बाघों का शिकार
चिंता की बात यह है कि 9 वर्षों में देश में 193 बाघों का शिकार हुआ, जबकि बाघों ने 351 व्यक्तियों को मौत के घाट उतारा है। इनके परिजनों को वन अमले ने 11 करोड़ 34 लाख का मुआवजा दिया है। अकेले मध्यप्रदेश की बात करें तो प्रदेश में वर्ष 2012 से 2020 तक शिकारियों ने 45 बाघों की हत्या की। जबकि बाघों ने 52 लोगों का शिकार किया। मरने वाले लोगों के परिजन को सरकार ने 95 लाख 73 हजार का मुआवजा दिया है।
इस साल अब तक…
जनवरी से 27 जुलाई 2022 तक मध्यप्रदेश में 27, महाराष्ट्र में 15, कर्नाटक 12, राजस्थान 4, असम 5, उत्तर प्रदेश 3, केरल 4, आंध्र प्रदेश 2, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक-एक बाघ मरे हैं। 2021 के इन्हीं 7 माह में 90 बाघों की मौत हुई थी। तब भी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 28 बाघ मरे थे। तब 21 बाघों की मौत के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर था। कर्नाटक में 13 बाघों ने दम तोड़ा था। 75 में 54 बाघों की मौत का कारण जानने के लिए जांच चल रही है। 15 बाघों का तो शिकार हुआ है।
मार्च, अप्रैल और जून में 6-6 बाघों की मौत
एनटीसीए की रिपोर्ट के हिसाब से मप्र में इस साल सबसे ज्यादा बाघों की मौत मार्च, अप्रैल और जून में हुई है। जनवरी में 4, फरवरी में 2 और जुलाई में 3 बाघ मरे हैं। राज्य के पीसीसीएफ जेएस चौहान कहते हैं, हमारे राज्य में सबसे ज्यादा बाघ हैं, इसलिए मौतें भी ज्यादा हो रहीं। रही बात अप्राकृतिक मौत की तो उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।
कहां-कितने बाघों की मौत
आंकड़े बताते हैं, सात माह में सबसे ज्यादा 6 बाघों ने बांधवगढ़ में दम तोड़ा है। कान्हा में 5 और पेंच पार्क में 4 बाघों की मौत हुई।
सतपुड़ा और संजय टाइगर रिजर्व में 2-2 बाघ मरे। पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघ ने दम तोड़ा है। इसके अलावा 7 बाघों की मौत टाइगर रिजर्व से सटे जंगल और जंगल से लगे हाईवे पर हुई है।
गत 10 वर्ष में राज्यों में कितने बाघ मरे –
राज्य : बाघ
मध्यप्रदेश : 270
महाराष्ट्र : 183
कर्नाटक : 150
उत्तराखंड : 96
तमिलनाडु : 67
असम : 71
केरल : 55
उत्तर प्रदेश : 57
राजस्थान : 25
प.बंगाल : 13
यह राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) सेंचुरी की रिपोर्ट और वेटरनरी डॉक्टर बता रहे हैं। देश इस साल अब तक 75 बाघों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 27 बाघों की मौत मध्यप्रदेश में हुई। इनमें भी 15 फीसदी यानी 4 बाघों की मौत हार्ट अटैक से हुई है। बाकी मौतों के लिए आपसी संघर्ष व अन्य कारण गिनाए जा रहे हैं। चौंकाने वाले आंकड़े यह हैं कि 10 साल में मप्र में सबसे ज्यादा 270 बाघों की मौत हुई है। सवाल यह भी है कि क्या जंगलों में बाघों की जीवनशैली बदल रही है?
इसे लेकर डॉ. अनूप चटर्जी कहते हैं, हां हार्ट अटैक से बाघों की मौत होती है। अमूमन बाघों की उम्र 12 से 17 वर्ष होती है। इस बीच उनकी धमनियों में अलग-अलग कारणों से खून के थक्के बन जाते हैं। ऐसे में हार्ट ब्लॉक होता है और अटैक से मौत हो जाती है।
मप्र: 9 साल में 45 बाघों का शिकार
चिंता की बात यह है कि 9 वर्षों में देश में 193 बाघों का शिकार हुआ, जबकि बाघों ने 351 व्यक्तियों को मौत के घाट उतारा है। इनके परिजनों को वन अमले ने 11 करोड़ 34 लाख का मुआवजा दिया है। अकेले मध्यप्रदेश की बात करें तो प्रदेश में वर्ष 2012 से 2020 तक शिकारियों ने 45 बाघों की हत्या की। जबकि बाघों ने 52 लोगों का शिकार किया। मरने वाले लोगों के परिजन को सरकार ने 95 लाख 73 हजार का मुआवजा दिया है।
इस साल अब तक…
जनवरी से 27 जुलाई 2022 तक मध्यप्रदेश में 27, महाराष्ट्र में 15, कर्नाटक 12, राजस्थान 4, असम 5, उत्तर प्रदेश 3, केरल 4, आंध्र प्रदेश 2, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक-एक बाघ मरे हैं। 2021 के इन्हीं 7 माह में 90 बाघों की मौत हुई थी। तब भी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 28 बाघ मरे थे। तब 21 बाघों की मौत के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर था। कर्नाटक में 13 बाघों ने दम तोड़ा था। 75 में 54 बाघों की मौत का कारण जानने के लिए जांच चल रही है। 15 बाघों का तो शिकार हुआ है।
मार्च, अप्रैल और जून में 6-6 बाघों की मौत
एनटीसीए की रिपोर्ट के हिसाब से मप्र में इस साल सबसे ज्यादा बाघों की मौत मार्च, अप्रैल और जून में हुई है। जनवरी में 4, फरवरी में 2 और जुलाई में 3 बाघ मरे हैं। राज्य के पीसीसीएफ जेएस चौहान कहते हैं, हमारे राज्य में सबसे ज्यादा बाघ हैं, इसलिए मौतें भी ज्यादा हो रहीं। रही बात अप्राकृतिक मौत की तो उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।
कहां-कितने बाघों की मौत
आंकड़े बताते हैं, सात माह में सबसे ज्यादा 6 बाघों ने बांधवगढ़ में दम तोड़ा है। कान्हा में 5 और पेंच पार्क में 4 बाघों की मौत हुई।
सतपुड़ा और संजय टाइगर रिजर्व में 2-2 बाघ मरे। पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघ ने दम तोड़ा है। इसके अलावा 7 बाघों की मौत टाइगर रिजर्व से सटे जंगल और जंगल से लगे हाईवे पर हुई है।
गत 10 वर्ष में राज्यों में कितने बाघ मरे –
राज्य : बाघ
मध्यप्रदेश : 270
महाराष्ट्र : 183
कर्नाटक : 150
उत्तराखंड : 96
तमिलनाडु : 67
असम : 71
केरल : 55
उत्तर प्रदेश : 57
राजस्थान : 25
प.बंगाल : 13