Indore News : स्वच्छता के बाद इंदौर का अब जलप्रदाय में नंबर-1 आने का दावा h3>
इंदौर. देश में पहली बार पेयजल सर्वेक्षण होने जा रहा है। इसकी शुरुआत हो गई है। दिल्ली से सर्वे दल एक-दो दिन में इंदौर आ जाएगा। पेयजल वितरण और नदी-तालाब संरक्षण को लेकर नगर निगम ने मैदानी स्तर पर क्या काम किए हैं, सर्वे दल देखेगा और उस हिसाब से नंबर देगा। 10 दिनों तक दल शहर में घूमकर आम लोगों से फीडबैक भी लेगा। निगम सर्वे तैयारियों में जुट गया है। स्वच्छता की तरह जलप्रदाय में भी नंबर वन आने के दावे अलग किए जा रहे हैं।
निगम वर्षों से शहर की जलप्रदाय व्यवस्था सुधारने के प्रयास में लगा है, मगर आज तक सफलता नहीं मिली। जलप्रदाय व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने में नाकाम निगम अब देश में पहली बार होने जा रहे पेयजल सर्वेक्षण-2022 में शामिल हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा पेयजल सर्वेक्षण को लेकर जारी की गई गाइड लाइन के हिसाब से निगम ने क्या काम किए और कैसे किए, ये देखने के लिए दिल्ली से दल एक-दो दिन में आएगा। इसकी पुष्टि निगम जलप्रदाय विभाग के अफसरों ने की है। सर्वेक्षण को लेकर नवंबर में जो दस्तावेज और पानी संबंधित डेटा दिल्ली भेजा गया है, उसके आधार पर ही दल सर्वे करेगा और नदी-तालाब संरक्षण के साथ जलप्रदाय को लेकर मैदानी स्तर पर हुए काम देखेगा। जलप्रदाय विभाग के उपयंत्री और सहायक यंत्रियों को सर्वेक्षण को लेकर ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
यहां जाएगा सर्वेक्षण दल
कान्ह-सरस्वती नदी, यशवंत सागर तालाब, छोटा व बड़ा सिरपुर तालाब, खजराना तालाब, लिंबोदी तालाब, पीपल्याहाना, पीपल्यापाला, छोटा व बड़ा बिलावली, लसूडिय़ा तालाब, कान्ह-सरस्वती नदी पर बने सात सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), जलूद में नर्मदा ट्रीटमेंट प्लांट और शहर की जलप्रदाय व्यवस्था सर्वेक्षण दल देखेगा। इसके चलते ही निगम ने कान्ह-सरस्वती नदी की सफाई शुरू करवाई है।
इन कामों के मिलेंगे अंक
स्वच्छता की तरह पेयजल सर्वेक्षण में भी हर काम के अलग अंक रहेंगे। जो निर्धारित मापदंड के अनुसार काम करके ज्यादा से ज्यादा अंक अर्जित करेगा, उसे इनाम दिया जाएगा। जलप्रदाय व्यवस्था के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं, उसमें लोगों को जलापूर्ति की व्यवस्था, कवरेज, पानी की गुणवत्ता, मीटरिंग, नॉन रेवन्यू वॉटर, तालाबों का संरक्षण और वेस्ट वॉटर रीयूज आदि शामिल हैं। इनके आधार पर ही काम का आकलन किया जाएगा, जो कि दिल्ली से आने वाली सर्वे टीम करेगी।
गुणवत्ता पर फोकस
सर्वेक्षण के तहत लोगों के यहां नलों में आने वाले पानी की गुणवत्ता जांच होगी। नर्मदा लाइन के जरिए कितने वार्ड के कितने कॉलोनियां-मोहल्ले कवर होते हैं, शहर में जलप्रदाय पर कितना पैसा खर्च कर रहे और कितना मिल रहा है, नॉन रेवेन्यू वाटर (एनआरडब्ल्यू) यानी पानी का पैसा नहीं मिलना, जो कि पानी चोरी होने, लीकेज व लाइन फूटने से लॉस होने, अवैध नल कनेक्शन और जलकर बकाया वसूली न होने से नहीं मिलता है। सर्वेक्षण के चलते सबसे ज्यादा फोकस एनआरडब्ल्यू पर ही रहेगा, क्योंकि इन कामों को करने में निगम हमेशा से नाकाम रहा है। साथ ही सर्वे दल का पानी की गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस रहेगा।
फिलहाल… शहर में जलप्रदाय के हाल
– गर्मी में लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ता है। जलप्रदाय का मैनेजमेंट पूरी तरह फेल है।
– नर्मदा के तीनों चरण मिलाकर शहर को तकरीबन 540 एमएलडी पानी मिलने के बावजूद एक दिन छोडक़र यानी महीने में 15 दिन नलों में पानी आता है।
– 15-20 मिनट से ज्यादा नल चलते नहीं है। शुरुआती दौर में 5 से 7 मिनट तक गंदा पानी ही आता है।
– शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां रोज पानी मिलता है। घंटों नल चलते हैं और पानी व्यर्थ बहता रहता है।
– कई कॉलोनी-मोहल्ले ऐसे हैं, जिनमें गंदा पानी लगातार आता रहता है।
– शहर में बिगड़ी जलप्रदाय व्यवस्था को लेकर शिकायतों का ढेर सीएम हेल्पलाइन और मोबाइल एप इंदौर-311 पर लगा है।
– पानी चोरी रोकने की भी निगम के पास कोई प्लानिंग नहीं है। ऐसे में सर्वेक्षण में अव्वल आने के दावे किए जा रहे हैं।
– पानी चोरी रोकने की भी निगम के पास कोई प्लानिंग नहीं है। ऐसे में सर्वेक्षण में अव्वल आने के दावे किए जा रहे हैं।