ब्रह्मोस क्रूज म‍िसाइल को लेकर भारत के इस कदम से जरूर चीन जरूर होगा लाल पीला

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भारत-चीन के बीच डोकलाम सीमा विवाद और करीब एक दशक से चली आ रही तनातनी के बीच वियतनाम ने कथित तौर पर भारतीय ब्रह्मोस सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल का अधिग्रहण किया है। भारत द्वारा वियतनाम को ब्रह्मोस दिए जाने से चीन को और गुस्सा आ सकता है क्योंकि ब्रह्मोस दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक माना जाता है और माना जा रहा है कि वियतनाम इस मिसाइल को चीन के खिलाफ समंदर में तैनात कर सकता है। बता दें कि चीन और वियतनाम के बीच भी दशकों से तनातनी बरकरार है। दक्षिणी चीन सागर विवाद पर वियतनाम और चीन में हमेशा ठनती रही है।

हालांकि, भारत ने मिसाइल बिक्री पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है और इसका विवरण भी अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है कि वियतनाम को बेची गई मिसाइल का कितना मूल्य है या कितनी मिसाइल प्रणाली सौदे में शामिल है। चीन के खिलाफ भारत हमेशा से वियतनाम को मदद करता रहा है। इसके अलावा भारत वियतनाम को आकाश मिसाइल देने पर भी विचार कर रहा है, वहीं सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों भी प्रशिक्षण देगा।

शुक्रवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मिसाइल पर एक सवाल का जवाब देते हुए वियतनामी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ले थी गुरु हांग ने कहा कि वियतनाम द्वारा रक्षा उपकरणों की खरीद शांति और आत्मरक्षा की नीति के अनुरूप है और यह राष्ट्रीय रक्षा में सामान्य अभ्यास है। उन्होंने कहा कि वियतनाम और भारत आपसी व्यापक सामरिक रणनीति और भागीदारी के तहत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, सहयोग और विकास में व्यावहारिक योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा में सहयोग भी शामिल है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में वियतनाम का दौरा किया था। उस समय दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर समझौते हुए थे। इसमें रक्षा सौदा भी शामिल था। इस मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 2.8 मैक है। यह भूमि, समुद्र, उप समुद्र और वायु से समुद्र और भूमि लक्ष्यों के खिलाफ प्रक्षेपित किए जाने में सक्षम है।