जाधव मामले पर भारत के इस दांव से चौंका पाकिस्तान ।

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जाधव मामले पर भारत के इस दांव से चौंका पाकिस्तान ।

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में सुनाई गई फांसी पर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने स्टे लगा दिया है। नीदरलैंड्स के हेग शहर स्थित इंटरनैशनल कोर्ट 15 मई को जब खुलेगा तो कुलभूषण जाधव के केस में भारत की पैरवी अंतरराष्ट्रीय कानूनों की तामील की दिशा में एक नया इतिहास बनाएगी। भारत की ओर से हरीश साल्वे जाधव के केस पर बहस करेंगे। उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों ही इस मामले पर अपनी दलीलें इंटरनैशनल कोर्ट के सामने रखेंगे।
माना जा रहा है कि आईसीजे में भारत ने इतनी चतुराई से कानूनी पहल को अंजाम दिया, जिससे पाकिस्तान समेत हर कोई हैरान है। भारत की मांग पर आईसीजे ने जो ‘अल्पकालिक कदम’ उठाने के आदेश दिए हैं, उसमें जाधव की फांसी पर रोक भी शामिल है। पाकिस्तान 19 मई से पहले जाधव को फांसी नहीं दे सकता। मौत की सजा को वापस लिया नहीं जा सकता, लेकिन आईसीजे का यह फैसला जाधव और भारत को राहत की कुछ सांसें जरूर दे सकता है।

इस मामले में बेहद सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहे भारतीय पक्ष की पहली कोशिश तो यही थी कि किसी तरह जाधव की फांसी पर रोक लगवाई जाए। इसलिए, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून में एक पेच का फायदा उठाया। भारत और पाकिस्तान, दोनों ही 1960 में आईसीजे का हिस्सा बने। हालांकि, दोनों पक्षों की तरफ से दाखिल विरोधपत्रों की वजह से, ये देश एक दूसरे के खिलाफ केस नहीं कर सकते।
भारत की ये है मांग-
भारत ने अदालत से मांग की है कि वह पाकिस्तान द्वारा फांसी देने के फैसले को इंटरनैशनल कानून का उल्लंघन घोषित करे। भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में कहा कि कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई। भारत ने कहा था कि रिटायर्ड अफसर को ईरान से किडनैप किया गया, जहां वह सेना से रिटायर होने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में व्यस्त थे। भारत ने अपनी अपील में यह भी कहा था कि जाधव की गिरफ्तारी के काफी समय बाद तक पाक ने कोई सूचना नहीं दी।

भारत ने कहा है कि 23 जनवरी 2017 को पाकिस्तान ने भारत से कुलभूषण जाधव से पूछताछ में मदद मांगी। यह मदद कुलभूषण पर पाकिस्तान में जासूसी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए मांगी गई। वहीं, 21 मार्च 2017 को भारत को बेहद अनौपचारिक तरीके से सूचित किया गया कि जाधव को राजनयिक मदद पाक द्वारा जांच में मदद मांगने पर भारत की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। भारत का दावा है कि जाधव को डिप्लोमैटिक मदद के लिए पाक का जांच प्रक्रिया में मदद मांगना खुद में विएना समझौते का बहुत बड़ा उल्लंघन है।