भारत को हरा कर पाकिस्तान बना चैंपियन ।

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चैंपियंस ट्रॉफी का फ़ाइनल मुकाबला भारत के लिए एक कड़ा मुकाबला रहा, टॉस जीत कर पहले गेंदबाजी का फैसला भारत को महंगा साबित हुआ। पकिस्तान टीम ने अछि शुरुआत के साथ मैच को अच्छे अंत तक पहुंचाया और भारत को 338 रनो का कड़ा लक्ष्य दिया। बल्लेबाजी करने उतरी भारत टीम को पाकिस्तानी गेंदबाजों ने भारत टीम को 158 पर ही समेट दिया।

पकिस्तान टीम का प्रदर्शन काबिले तारीफ़
फखर जमान ने 106 गेंदों पर 12 चौकों और तीन छक्कों की मदद से 114 रन बनाए। उन्होंने अजहर अली (59) के साथ पहले विकेट के लिए 128 रन की साझेदारी की। बाद में मोहम्मद हफीज (नाबाद 57), बाबर आजम (46) और इमाद वसीम (नाबाद 25) ने भी उपयोगी योगदान पहुंचाया और टीम का स्कोर चार विकेट पर 338 रन तक पहुंचाया।
मोहम्मद आमिर ने 16 रन देकर तीन विकेट लिये। हसन अली और शादाब खान ने दो-दो विकेट हासिल किये। आमिर ने भारत शीर्ष क्रम बुरी तरह लड़खड़ा दिया। उसने पहले तीन ओवर के अंदर रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली के विकेट गंवा दिए। बुमराह का भाग्य इस बार उनके साथ था। अजहर रन आउट हो गए जिन्होंने 71 गेंदों की अपनी पारी में छह चौके और एक छक्का लगाया। अजहर ने फखर जमान का भरपूर साथ दिया। भुवनेश्वर ने एक छोर से दबाव बनाए रखा लेकिन बुमराह का आत्मविश्वास डिग गया था। उनकी जगह आठवें ओवर में ही अश्विन को गेंद सौंप दी गई लेकिन वह प्रभाव नहीं छोड़ पाए।
फखर जमान इसके बाद अधिक आक्रामक मूड में दिखे। जाडेजा के एक ओवर में उन्होंने दो चौके और एक छक्का और फिर अश्विन के अगले ओवर में एक चौका और एक छक्का लगाया। अश्विन की गेंद पर ही स्वीप शॉट से चौका जड़कर उन्होंने अपने करियर का पहला शतक पूरा किया। यह आईसीसी के किसी टूर्नमेंट के फाइनल में किसी पाकिस्तानी बल्लेबाज का पहला शतक है जिसके लिए उन्होंने 92 गेंदें खेली तथा 11 चौके और दो छक्के लगाए।

भारत का जवाब में प्रदर्शन
भारतीय टीम इसके जवाब में 30.3 ओवर में 158 रन पर ढेर हो गयी। भारत अगर 150 रन के पार पहुंच पाया तो उसका श्रेय हार्दिक पांड्या को जाता है जिन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट होने से पहले 43 गेंदों पर चार चौकों और छह छक्कों की मदद से 76 रन बनाये थे।

रोहित शर्मा के जीरो पर ही आउट होने के बाद कोहली को पहले ओवर में ही क्रीज पर कदम रखना पड़ा लेकिन वह रंग में नहीं थे। आमिर के अगले ओवर में अजहर ने स्लिप में उनका कैच छोड़ा लेकिन अगली गेंद पर वह उछाल का सही अनुमान नहीं लगा पाए और पॉइंट पर कैच दे बैठे। शिखर धवन (21) ने एक दो आकर्षक शॉट लगाए लेकिन फिर से आमिर ने उनके शॉट को चलने नहीं दिया।

भारत का स्कोर तीन विकेट पर 33 रन हो गया। लेग स्पिनर शादाब खान को 13वें ओवर में गेंदबाजी के लिये बुलाया गया। उन्होंने युवराज सिंह (22) को भी जल्दी ही पवेलियन भेज दिया।
महेंद्र सिंह धोनी (4) उनके पीछे पीछे पविलियन लौट गए। उन्होंने डीप स्क्वायर लेग पर कैच थमाया जबकि शादाब ने केदार जाधव (नौ) को भी नहीं टिकने दिया। ऐसे में पांड्या ने लंबे शाट खेलने की अपनी क्षमता का अच्छा प्रदर्शन करके भारतीय प्रशंसकों को कुछ खुशी मनाने का मौका दिया। शादाब उनके निशाने पर जिन पर उन्होंने लगातार तीन छक्के लगाए।

पांड्या ने केवल 32 गेंदों पर अर्धशतक पूरा किया जो आईसीसी वनडे टूर्नमेंट के फाइनल में सबसे तेज पचासा है। पांड्या अब भी जीत के लिए खेल रहे थे लेकिन ने रविंद्र जाडेजा ने उन्हें रन आउट करा दिया। जाडेजा ने पांड्या को रन के लिए बुलाया लेकिन फिर वापस मुड़ गए। ऐसे में उन्होंने पांड्या से पहले क्रीज पकड़ने का सफल प्रयास किया और अपने साथी को रन आउट करा दिया। इसके कुछ देर बाद जाडेजा (15) खुद भी पविलियन लौट गए। गेंदबाजों में भी भुवनेश्वर कुमार ही बल्लेबाजों पर कुछ अंकुश लगा पाए। उन्होंने 44 रन देकर एक विकेट लिया। रविचंद्रन अश्विन और जसप्रीत बुमराह ने सबसे ज्यादा निराश किया। अश्विन ने दस ओवर में 70 रन और बुमरा ने नौ ओवर में 68 रन लुटाए।

कोहली को भारतीय गेंदबाजों से शुरू में सफलता हासिल करने की उम्मीद थी। बुमरा की गेंद पर फखर जमान ने धोनी को आसान कैच भी थमा दिया था। लेकिन रीप्ले से साफ हो गया कि बुमराह ने नो बॉल की थी। फखर जमान तीन रन पर पविलियन लौटने वाले थे लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने स्कोर में 111 रन और जोड़े।

भुवनेश्वर ने शोएब मलिक (12) को कवर में धीरज जाधव के हाथों कैच कराया। कोहली ने मैच के दौरान लगातार गेंदबाजी में बदलाव किए और जब जडेजा नहीं चले तो उन्होंने जाधव को गेंद सौंप दी। उन्होंने बाबर को अर्धशतक पूरा नहीं करने दिया। युवराज सिंह ने सीमा रेखा पर उनका कैच लिया। जाधव को डेथ ओवरों में गेंदबाजी पर लगाये रखने का फैसला कोहली का सही नहीं रहा।