नई दिल्ली: देश में जहां एक तरफ लोग पेट्रोल-डीजल की मार से परेशान है वहीं कुछ राज्य ऐसे है जो अब भी बिजली और पानी की समस्याओं से जूझा रहें है. देशभर में 60 करोड़ लोग है जिनको पानी की किल्लत का सामना आए दिन करना पड़ता है. करीब दो लाख लोगों की हर साल साफ पानी न मिलने की वजह से जान तक चली जाती है. इस बीते दिन यानि गुरुवार को नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
नीति आयोग में जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से पेश की गई ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (सीडब्ल्यूएमआई)’ रिपोर्ट में यह कहा गया है की यह संकट आगे और गंभीर हो सकता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी. जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
स्वतंत्र संस्थाओं की तरफ से जुटाए गए डाटा का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि तकरीबन 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है. इस रिपोर्ट में नीति आयोग द्वारा यह भी बताया है कि गया कि उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों में त्रिपुरा टॉप पर है जिसके बाद हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और असम का नम्बर है.
सरकार ने दावा किया कि सीडब्ल्यूएमआई जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन में राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन में सुधार और आकलन का एक महत्वपूर्ण साधन है. रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जल प्रबंधन के मामले में सबसे ज्यादा खराब हलात्वाले राज्य है. वहीं नितिन गडकरी ने कहा कि जल प्रबंधन हमारी देश की एक बड़ी समस्या है. जिन राज्यों ने इस संबंध में अच्छा किया है उन्होंने ने कृषि क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन किया है.