IND vs ENG: मेरा सबसे बड़ा दर्द है कि…आर अश्विन को 100वें टेस्ट से पहले किस बात का बेहद मलाल h3>
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भारत के दिग्गज स्पिनर आर अश्विन गुरुवार से अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने जा रहे हैं। अश्विन जब सात मार्च को इंडिया वर्सेस इंग्लैंड पांचवें टेस्ट में मैदान पर उतरेंगे तो यह आंकड़ा छू लेंगे। यह पांच मैचों की सीरीज का आखिरी मुकाबला है, जो धर्मशाला में आयोजित होगा। भारत सीरीज में 3-1 की बढ़त हासिल कर चुका है। बता दें कि अश्विन भारत के लिए 100 टेस्ट खेलने वाले 14वें किलाड़ी होंगे। उन्होंने 2010 में इंटरनेशन डेब्यू किया और 2011 में पहला टेस्ट खेला। वह टेस्ट में 500 से अधिक विकेट चटका चुके हैं। हालांकि, अश्विन को एक बात का बेहद मलाल है। उन्होंने कहा कि वह अपनी सफलता को उतना इंजॉय नहीं कर पाते, जितना करना चाहिए।
अश्विन ने हाल ही में जियो सिनेमा और स्पोर्ट्स18 के एक्सपर्ट अनिल कुंबले से बातचीत की। कुंबले ने अश्विन से पूछा कि हर दौरे के बाद आप किस से बात करते हैं, अगर चीजें सही नहीं होतीं या सही हो जाती हैं? इसके जवाब में अश्विन ने कहा, ”मैं एक शख्स के पास जाता हूं और यह उसके लिए बहुत तनावपूर्ण है, और वो मैं हूं। क्योंकि मुझे लगता है कि क्रिकेट सबसे ज्यादा आत्म-विचार वाले खेलों में से एक है। अगर आप खुद को लेकर ईमानदार हैं और अपने बारे में बहुत आलोचनात्मक हैं तो मुझे लगता है कि इससे आपके सामने सच्चाई झलकेगी। भारत में बहुत सारे आलोचक हैं जो आपको बताएंगे, उनमें से 10 आपको गलत बातें बताएंगे लेकिन वे निश्चित रूप से आलोचनात्मक हैं। लेकिन उनमें से 10 आपको सही बातें भी बताएंगे।”
उन्होंने आगे कहा, ”इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि मेरा सबसे बड़ा दर्द यही रहा है कि मैं अपनी सफलता का उतना आनंद नहीं उठा पाता, जितना मुझे लेना चाहिए था। लेकिन इससे मुझे एक बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद मिली है। मैंने लगातार चीजों में सुधार की कोशिश की है और मैंने यह सुनिश्चित किया कि किसी खास दिन मैं जो हूं उससे बहुत असहज हूं। और फिर मैं ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाता हूं और इस बात पर ध्यान केंद्रित करता हूं कि और अधिक मैं और क्या कर सकता हूं। उदाहरण के लिए स्टीव स्मिथ ने मेरे खिलाफ शतक बनाया, मैं उसे कैसे पकड़ सकता हूं या जो रूट ने शतक जड़ा तो मैं उसे कैसे अपने जाल में फंसा सकता हूं। इसलिए लगातार वो विचार एक नई चीज के लिए प्रेरित करता है और आखिरकार वर्षों तक मुझे उसका फायदा मिला है।”
वहीं, कुंबले ने सवाल किया कि मेरा मानना है कि आपके 100 टेस्ट मैच बहुत पहले कंप्लीट हो जाने चाहिए था। मुझे ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब भी भारतीय टीम, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड में खेलने जाती है तो आपको पर्याप्त मौके नहीं मिलते। बल्लेबाज सेम हैं, वे किसी भी परिस्थिति में ढल जाते हैं लेकिन एक प्रमुख गेंदबाज के रूप में किसी भी परिस्थिति में ढलने की आपकी क्षमता पर संदेह किया जाता है। कैसा लगता है? इसपर अश्विन ने कहा, ”मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता। मैं इसकी तुलना कई अन्य चीजों से कर सकता हूं जो इस समय दुनिया में हो रही हैं। लेकिन मैं वाकई महसूस करता हूं कि गेंदबाज, बल्लेबाजों के बाद दूसरे नंबर की भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शायद बल्लेबाजों को बस एक ही मौका मिलता है। मेरा मतलब है कि अगर आप आउट हो चुके हैं तो फिर हैं।”
उन्होंने कहा, ”यह बात मेरे दिमाग में लगातार चलती रहती थी। ऐसा क्यों है कि मुझे एक गेम में असफल होने का मौका मिलता है और ऐसा क्यों है कि किसी और को अधिक गेम में असफल होने का मौका मिलता है? आखिरकार मैं यह बात समझ चुका हूं कि टीम को जीत की जरूरत है। यहां तक कि जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं और टीम पांच दिन बाद जीत जाती है तब भी मैं ड्रेसिंग रूम में सबसे ज्यादा खुश होता हूं। जब मैं छोटा था तो मैं सिर्फ एक दिन के लिए भारत की जर्सी पहनना चाहता था। मैं आज जो कुछ भी हूं, सिर्फ इसलिए कि मैं अपने स्वार्थ को टीम से पहले नहीं रख सकता। हां, कुछ निराशाजनक दिन रहे हैं लेकिन मैंने सीख लिया है कि इससे कैसे निपटना है और मैं बेहद खुश हूं कि मैंने भारत में अब तक पैदा हुए कुछ महान क्रिकेटरों के साथ खेला है।”
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भारत के दिग्गज स्पिनर आर अश्विन गुरुवार से अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने जा रहे हैं। अश्विन जब सात मार्च को इंडिया वर्सेस इंग्लैंड पांचवें टेस्ट में मैदान पर उतरेंगे तो यह आंकड़ा छू लेंगे। यह पांच मैचों की सीरीज का आखिरी मुकाबला है, जो धर्मशाला में आयोजित होगा। भारत सीरीज में 3-1 की बढ़त हासिल कर चुका है। बता दें कि अश्विन भारत के लिए 100 टेस्ट खेलने वाले 14वें किलाड़ी होंगे। उन्होंने 2010 में इंटरनेशन डेब्यू किया और 2011 में पहला टेस्ट खेला। वह टेस्ट में 500 से अधिक विकेट चटका चुके हैं। हालांकि, अश्विन को एक बात का बेहद मलाल है। उन्होंने कहा कि वह अपनी सफलता को उतना इंजॉय नहीं कर पाते, जितना करना चाहिए।
अश्विन ने हाल ही में जियो सिनेमा और स्पोर्ट्स18 के एक्सपर्ट अनिल कुंबले से बातचीत की। कुंबले ने अश्विन से पूछा कि हर दौरे के बाद आप किस से बात करते हैं, अगर चीजें सही नहीं होतीं या सही हो जाती हैं? इसके जवाब में अश्विन ने कहा, ”मैं एक शख्स के पास जाता हूं और यह उसके लिए बहुत तनावपूर्ण है, और वो मैं हूं। क्योंकि मुझे लगता है कि क्रिकेट सबसे ज्यादा आत्म-विचार वाले खेलों में से एक है। अगर आप खुद को लेकर ईमानदार हैं और अपने बारे में बहुत आलोचनात्मक हैं तो मुझे लगता है कि इससे आपके सामने सच्चाई झलकेगी। भारत में बहुत सारे आलोचक हैं जो आपको बताएंगे, उनमें से 10 आपको गलत बातें बताएंगे लेकिन वे निश्चित रूप से आलोचनात्मक हैं। लेकिन उनमें से 10 आपको सही बातें भी बताएंगे।”
उन्होंने आगे कहा, ”इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि मेरा सबसे बड़ा दर्द यही रहा है कि मैं अपनी सफलता का उतना आनंद नहीं उठा पाता, जितना मुझे लेना चाहिए था। लेकिन इससे मुझे एक बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद मिली है। मैंने लगातार चीजों में सुधार की कोशिश की है और मैंने यह सुनिश्चित किया कि किसी खास दिन मैं जो हूं उससे बहुत असहज हूं। और फिर मैं ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाता हूं और इस बात पर ध्यान केंद्रित करता हूं कि और अधिक मैं और क्या कर सकता हूं। उदाहरण के लिए स्टीव स्मिथ ने मेरे खिलाफ शतक बनाया, मैं उसे कैसे पकड़ सकता हूं या जो रूट ने शतक जड़ा तो मैं उसे कैसे अपने जाल में फंसा सकता हूं। इसलिए लगातार वो विचार एक नई चीज के लिए प्रेरित करता है और आखिरकार वर्षों तक मुझे उसका फायदा मिला है।”
वहीं, कुंबले ने सवाल किया कि मेरा मानना है कि आपके 100 टेस्ट मैच बहुत पहले कंप्लीट हो जाने चाहिए था। मुझे ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब भी भारतीय टीम, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड में खेलने जाती है तो आपको पर्याप्त मौके नहीं मिलते। बल्लेबाज सेम हैं, वे किसी भी परिस्थिति में ढल जाते हैं लेकिन एक प्रमुख गेंदबाज के रूप में किसी भी परिस्थिति में ढलने की आपकी क्षमता पर संदेह किया जाता है। कैसा लगता है? इसपर अश्विन ने कहा, ”मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता। मैं इसकी तुलना कई अन्य चीजों से कर सकता हूं जो इस समय दुनिया में हो रही हैं। लेकिन मैं वाकई महसूस करता हूं कि गेंदबाज, बल्लेबाजों के बाद दूसरे नंबर की भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शायद बल्लेबाजों को बस एक ही मौका मिलता है। मेरा मतलब है कि अगर आप आउट हो चुके हैं तो फिर हैं।”
उन्होंने कहा, ”यह बात मेरे दिमाग में लगातार चलती रहती थी। ऐसा क्यों है कि मुझे एक गेम में असफल होने का मौका मिलता है और ऐसा क्यों है कि किसी और को अधिक गेम में असफल होने का मौका मिलता है? आखिरकार मैं यह बात समझ चुका हूं कि टीम को जीत की जरूरत है। यहां तक कि जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं और टीम पांच दिन बाद जीत जाती है तब भी मैं ड्रेसिंग रूम में सबसे ज्यादा खुश होता हूं। जब मैं छोटा था तो मैं सिर्फ एक दिन के लिए भारत की जर्सी पहनना चाहता था। मैं आज जो कुछ भी हूं, सिर्फ इसलिए कि मैं अपने स्वार्थ को टीम से पहले नहीं रख सकता। हां, कुछ निराशाजनक दिन रहे हैं लेकिन मैंने सीख लिया है कि इससे कैसे निपटना है और मैं बेहद खुश हूं कि मैंने भारत में अब तक पैदा हुए कुछ महान क्रिकेटरों के साथ खेला है।”