IND vs ENG: माइकल वॉन की ये बात हॉक-आई के जनक को लग गई बुरी, कहा- थोड़ी सी तैयारी उन्हें समझाने में… h3>
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इंडिया वर्सेस इंग्लैंड सीरीज के दौरान काफी डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) को लेकर काफी विवाद देखने को मिला है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और मशहूर कमेंटेटर माइकल वॉन ने हाल ही में हॉक-आई को लेकर एक सलाह दी थी। उन्होंने कहा की पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाने के लिए अगर हॉक-आई का इस्तेमाल कर रहे शख्स की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए और रूम में कैमरे हों तो विवाद नहीं होंगे। बता दें कि हॉक-आई टेक्नोलॉजी थर्ड अंडायर की वो आंख है, जो क्रिकेट मैच में असमंजस की स्थिति में बेहतर फैसले लेने में मदद करती है।
भारत और इंग्लैंड के बीच रांची में खेले गए चौथे टेस्ट में जो रूट के आउट के बाद डीआरएस पर बहस छिड़ गई। मैदानी अंपायर कुमार धर्मसेना ने रूट को एलबीडब्ल्यू आउट नहीं दिया लेकिन बॉल-ट्रैकिंग में पता चला कि गेंद बिल्कुल लाइन में पिच हो रही थी। ऐसे में धर्मसेना अपना शुरुआती फैसला पलटना पड़ा। वहीं, जैक क्रॉली को दो बार करीबी फैसलों के चलते पवेलियन लौट पड़ा। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने तो अंपायर कॉल को खत्म करने की वकालत की है। वॉन द्वारा डीआरएस ऑपरेटरों पर कैमरे लगाने के प्रस्ताव से हॉक-आई के जनक पॉल हॉकिन्स निराश हैं। उन्होंने वॉन की जमकर क्लास लगाई और बताया डीआरएस ऑपरेटर कैसे काम करते हैं?
हॉकिन्स ने द एनालिस्ट पॉडकास्ट पर कहा, ”हॉक-आई ट्रैकिंग के लिए आमतौर पर तीन लोग होते हैं और एक अन्य शख्स अल्ट्राएज हैंडल करता है। एक आउटपुट साइड को संभालता है और दो स्वतंत्र लोग हैं जो ट्रैकिंग करते हैं। इसलिए फेलियर का कोई प्वाइंट नहीं है। कैमरे दो ट्रैकिंग सिस्टम में होते हैं। दो सेट रीडर, दो अलग-अलग ऑपरेटर होते हैं। और इसलिए हर एक गेंद के साथ दो घड़ियां हैं, जिनपर ध्यान रखना होता है। आप जांचते हैं कि वे हमेशा एक जैसी हों। दो सिस्टम के बीच क्वालिटी कंट्रोल है।”
उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि कमेंटरी में थोड़ी ज्ञान की कमी है। वॉन का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि वह शानदार खिलाड़ी रहे हैं, उन्हें खेलते हुए देखकर बहुत मजा आया। वह बेहतरीन कमेंटेटर हैं और बहुत मनोरंजक हैं। लेकिन मुझे लगता है कि पत्रकारिता के लिहाज से यह खेल के प्रति उनकी एक जिम्मेदारी है। शायद, एक पत्रकार के रूप में वॉन की जो भूमिका है, उसके लिए थोड़ी और तैयारी की जरूरत है, जो उन्हें यह समझाने में मदद कर सकती है। इससे वह जो लिखेंगे तथ्यात्मक रूप से सही होगा। जिस तरह हॉक-आई पर तथ्यात्मक रूप से सही होने का दायित्व है, उसी तरह शायद पत्रकारों का भी दायित्व है।
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इंडिया वर्सेस इंग्लैंड सीरीज के दौरान काफी डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) को लेकर काफी विवाद देखने को मिला है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और मशहूर कमेंटेटर माइकल वॉन ने हाल ही में हॉक-आई को लेकर एक सलाह दी थी। उन्होंने कहा की पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाने के लिए अगर हॉक-आई का इस्तेमाल कर रहे शख्स की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए और रूम में कैमरे हों तो विवाद नहीं होंगे। बता दें कि हॉक-आई टेक्नोलॉजी थर्ड अंडायर की वो आंख है, जो क्रिकेट मैच में असमंजस की स्थिति में बेहतर फैसले लेने में मदद करती है।
भारत और इंग्लैंड के बीच रांची में खेले गए चौथे टेस्ट में जो रूट के आउट के बाद डीआरएस पर बहस छिड़ गई। मैदानी अंपायर कुमार धर्मसेना ने रूट को एलबीडब्ल्यू आउट नहीं दिया लेकिन बॉल-ट्रैकिंग में पता चला कि गेंद बिल्कुल लाइन में पिच हो रही थी। ऐसे में धर्मसेना अपना शुरुआती फैसला पलटना पड़ा। वहीं, जैक क्रॉली को दो बार करीबी फैसलों के चलते पवेलियन लौट पड़ा। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने तो अंपायर कॉल को खत्म करने की वकालत की है। वॉन द्वारा डीआरएस ऑपरेटरों पर कैमरे लगाने के प्रस्ताव से हॉक-आई के जनक पॉल हॉकिन्स निराश हैं। उन्होंने वॉन की जमकर क्लास लगाई और बताया डीआरएस ऑपरेटर कैसे काम करते हैं?
हॉकिन्स ने द एनालिस्ट पॉडकास्ट पर कहा, ”हॉक-आई ट्रैकिंग के लिए आमतौर पर तीन लोग होते हैं और एक अन्य शख्स अल्ट्राएज हैंडल करता है। एक आउटपुट साइड को संभालता है और दो स्वतंत्र लोग हैं जो ट्रैकिंग करते हैं। इसलिए फेलियर का कोई प्वाइंट नहीं है। कैमरे दो ट्रैकिंग सिस्टम में होते हैं। दो सेट रीडर, दो अलग-अलग ऑपरेटर होते हैं। और इसलिए हर एक गेंद के साथ दो घड़ियां हैं, जिनपर ध्यान रखना होता है। आप जांचते हैं कि वे हमेशा एक जैसी हों। दो सिस्टम के बीच क्वालिटी कंट्रोल है।”
उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि कमेंटरी में थोड़ी ज्ञान की कमी है। वॉन का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि वह शानदार खिलाड़ी रहे हैं, उन्हें खेलते हुए देखकर बहुत मजा आया। वह बेहतरीन कमेंटेटर हैं और बहुत मनोरंजक हैं। लेकिन मुझे लगता है कि पत्रकारिता के लिहाज से यह खेल के प्रति उनकी एक जिम्मेदारी है। शायद, एक पत्रकार के रूप में वॉन की जो भूमिका है, उसके लिए थोड़ी और तैयारी की जरूरत है, जो उन्हें यह समझाने में मदद कर सकती है। इससे वह जो लिखेंगे तथ्यात्मक रूप से सही होगा। जिस तरह हॉक-आई पर तथ्यात्मक रूप से सही होने का दायित्व है, उसी तरह शायद पत्रकारों का भी दायित्व है।