IIM indore के नवीन कृष्ण राय ने CISF के असिस्टेंट कमांडेंटों को दी लीडरशिप ट्रेनिंग | IIM Indore. Naveen Krishna Rai. Leadership Training CISF. Armed Force | Patrika News

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IIM indore के नवीन कृष्ण राय ने  CISF  के असिस्टेंट कमांडेंटों को दी लीडरशिप ट्रेनिंग | IIM Indore. Naveen Krishna Rai. Leadership Training CISF. Armed Force | Patrika News

IIM indore के नवीन कृष्ण राय ने CISF के असिस्टेंट कमांडेंटों को दी लीडरशिप ट्रेनिंग | IIM Indore. Naveen Krishna Rai. Leadership Training CISF. Armed Force | Patrika News

इस सत्र का लक्ष्य प्रशिक्षु अधिकारियों को नेतृत्व और मानव प्रबंधन के बारे में बताना और मनोविज्ञान, प्रबंधन और दर्शन के लेंस के माध्यम से पारस्परिक संबंधों की जटिलताओं को समझने में उनकी सहायता करना था। सत्र में विभिन्न सिद्धांतों और मॉडलों के माध्यम से एक टीम, विभाग या संगठन के अंदर और बाहर के सदस्यों के प्रबंधन के तरीकों पर चर्चा हुई हैं।

असिस्टेंट कमांडेंटों को संबोधित करते हुए राय ने एक फ़्लेक्सिबल लीडरशिप स्टाइल (flexible leadership style) की आवश्यकता के बारे में बताया। सिचुएशनल लीडरशिप प्रिंसिपल की मदद से, राय ने उन्हें सलाह दी कि सबसे प्रभावी नेता अपनी लीडरशिप स्टाइल को स्थिति के अनुकूल बदल लेते हैं और उन कारकों पर जैसे कि कार्य का प्रकार, समूह की प्रकृति आदि पर ध्यान देतें हैं जो कार्य को पूरा करने की क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि कोई भी एक लीडरशिप स्टाइल सर्वोत्तम नहीं होती है। लीडरशिप स्टाइल का चुनाव करते समय लीडर को यह विचार करना चाहिए कि किसी कार्य को एक विशेष परिस्थिति में पूरा करने के लिए किस प्रकार की लीडरशिप स्टाइल व रणनीति सबसे उपयुक्त होगी।

विभिन्न परिस्थितियों और लीडरशिप स्टाइल पर चर्चा करते हुए, राय ने सुझाव दिया कि यदि टीम के किसी सदस्य में स्वयं के बल पर काम करने के लिए ज्ञान, कौशल या आत्मविश्वास की कमी हो और वह अक्सर ही कार्य करने का इच्छुक नहीं हों, तो टीम लीडर के द्वारा उस सदस्य को यह बताना चाहिए कि उसे क्या काम करना है और उसे कैसे करना है। यदि टीम का कोई सदस्य किसी कार्य को करने का इच्छुक हैं। लेकिन उसे सफलतापूर्वक करने के लिए उसमें कौशल की कमी है, तो टीम लीडर को उसे उस कार्य को करने की दिशा प्रदान करनी चाहिए। जबकि ऐसी परिस्थिति में जब टीम के किसी सदस्य के पास एक कार्य को करने का कौशल तो हो लेकिन वह उस कार्य को करने के लिए बहुत उत्साहित न हो तब ऐसी परिस्थिति में टीम लीडर को उस सदस्य को साथ में लेकर कार्य को प्रारम्भ करना चाहिए और कार्य के दौरान निर्णय लेने की जिम्मेदारियों को उसके साथ साझा करना चाहिए। और यदि टीम का कोई सदस्य स्वयं के बल पर कोई कार्य कर सकता है और उस कार्य को अच्छी तरह से पूरा कर लेने की अपनी क्षमता पर उसे विश्वास है और वह न केवल कार्य करने के लिए बल्कि कार्य की जिम्मेदारी लेने के लिए भी सक्षम और इच्छुक है, तब टीम लीडर को उस कार्य की ज़िम्मेदारी उक्त सदस्य को सौंप देना चाहिए। ऐसे में टीम लीडर को सिर्फ़ कार्य के प्रगति की निगरानी करनी चाहिए और निर्णय लेने में ज्यादा शामिल नहीं होना चाहिए।



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