ICICI Bank-Videocon Fraud Case: धूत सीबीआई हिरासत में, चंदा और दीपक कोचर से होगा आमना-सामना h3>
मुंबई: आईसीआईसीआई लोन फ्रॉड केस (ICICI Loan Fraud Case) में वीडियोकॉन ग्रुप के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को 28 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। साथ ही आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर तथा उनके पति दीपक कोचर की हिरासत उसी तारीख तक बढ़ा दी गई है। सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट में कहा कि वह कोचर दंपति से धूत का आमना-सामना कराना चाहती है। अदालत ने कहा कि मामला गंभीर अपराध का है जिसमें जांच प्रारंभिक चरण में है और ऐसे मामलों में जांच एजेंसी को आरोपियों से पूछताछ के लिए पर्याप्त समय दिए जाने की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि इस मामले में नए आरोपियों की गिरफ्तारी जांच में प्रगति का संकेत देती है।
कोचर दंपति को जांच एजेंसी ने शुक्रवार रात संक्षिप्त पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। अदालत ने उन्हें 26 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था। धूत (71) को सोमवार सुबह गिरफ्तार किया गया। बाद में जांच एजेंसी ने तीनों आरोपियों को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ए एस सैय्यद के समक्ष पेश किया। सीबीआई की तरफ से पेश ए लिमोसिन ने सभी आरोपियों का आमना-सामना कराने के लिए धूत की तीन दिन की हिरासत और कोचर दंपति की हिरासत को इतने ही दिनों के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया।
गिरफ्तारी का विरोध
धूत की हिरासत का अनुरोध करते हुए सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि वीडियोकॉन के फाउंडर धूत लोन के लाभार्थी हैं और 1,033 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान धूत ने कई बार अपना बयान बदला है। सीबीआई ने अदालत को बताया कि वीडियोकॉन के फाउंडर ने मामले के पूर्ण और सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया। धूत के वकील एस एस लड्डा ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने हमेशा जांच में सहयोग किया है। लड्डा ने दलील दी कि गिरफ्तारी अवैध है और धूत को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
लड्डा ने अदालत को बताया कि सीबीआई के नोटिस पर धूत 19 और 20 दिसंबर को जांच एजेंसी के कार्यालय गए थे और उन्हें रविवार को फिर से पेश होने के लिए कहा गया था। हालांकि, धूत ने जांच एजेंसी को सूचित किया था कि वह अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण 25 दिसंबर को पेश नहीं हो पाएंगे बल्कि अगले दिन हाजिर होंगे। जब धूत सीबीआई कार्यालय गए, तो उनकी आरटी-पीसीआर (कोविड के लिए) जांच की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। धूत की हिरासत का विरोध करते हुए लड्डा ने कहा कि अदालत को उनके मुवक्किल की स्वास्थ्य स्थिति पर विचार करना चाहिए क्योंकि उन्हें हृदय संबंधी दिक्कतें हैं।
क्या है मामला
अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तीनों आरोपियों को 28 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। इससे पहले 2020 में, दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था और छह महीने जेल में बिताने के बाद बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी। ईडी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
सीबीआई ने कोचर दंपति और धूत के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत 2019 में दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है। जांच एजेंसी का आरोप है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली मंजूरी समिति ने 2009 में बैंक के नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर वीआईईएल को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। सीबीआई ने कहा कि लोन बांटे जाने के अगले ही दिन धूत ने एसईपीएल के जरिए वीआईईएल से 64 करोड़ रुपये एनआरएल को स्थानांतरित कर दिए।
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गिरफ्तारी का विरोध
धूत की हिरासत का अनुरोध करते हुए सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि वीडियोकॉन के फाउंडर धूत लोन के लाभार्थी हैं और 1,033 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान धूत ने कई बार अपना बयान बदला है। सीबीआई ने अदालत को बताया कि वीडियोकॉन के फाउंडर ने मामले के पूर्ण और सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया। धूत के वकील एस एस लड्डा ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने हमेशा जांच में सहयोग किया है। लड्डा ने दलील दी कि गिरफ्तारी अवैध है और धूत को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
लड्डा ने अदालत को बताया कि सीबीआई के नोटिस पर धूत 19 और 20 दिसंबर को जांच एजेंसी के कार्यालय गए थे और उन्हें रविवार को फिर से पेश होने के लिए कहा गया था। हालांकि, धूत ने जांच एजेंसी को सूचित किया था कि वह अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण 25 दिसंबर को पेश नहीं हो पाएंगे बल्कि अगले दिन हाजिर होंगे। जब धूत सीबीआई कार्यालय गए, तो उनकी आरटी-पीसीआर (कोविड के लिए) जांच की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। धूत की हिरासत का विरोध करते हुए लड्डा ने कहा कि अदालत को उनके मुवक्किल की स्वास्थ्य स्थिति पर विचार करना चाहिए क्योंकि उन्हें हृदय संबंधी दिक्कतें हैं।
क्या है मामला
अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तीनों आरोपियों को 28 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। इससे पहले 2020 में, दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था और छह महीने जेल में बिताने के बाद बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी। ईडी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
सीबीआई ने कोचर दंपति और धूत के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत 2019 में दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है। जांच एजेंसी का आरोप है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली मंजूरी समिति ने 2009 में बैंक के नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर वीआईईएल को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। सीबीआई ने कहा कि लोन बांटे जाने के अगले ही दिन धूत ने एसईपीएल के जरिए वीआईईएल से 64 करोड़ रुपये एनआरएल को स्थानांतरित कर दिए।
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