IAS KK Pathak: गालीकांड पर उबल रही बिहार की सियासत, राज्य के अफसरों ने भी खोला मोर्चा
गालीकांड पर बीजेपी के तीखे सवाल
बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने IAS केके पाठक के खिलाफ सरकार से कार्रवाई की मांग की है। निखिल आनंद ने बिहार सरकार से पूछा कि बिहार में क्या ईमानदारी के आडंबर के साथ मां-बहन की गाली और बदतमीजी फ्री है? उन्होंने कहा कि इस मामले में बिहार सरकार को आईएएस केके पाठक के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
‘कई अधिकारी हो चुके हैं एक्सपोज’
निखिल आनंद का कहना है कि बिहार की जनता को सब पता है। जनता जानती है कि किस प्रकार घोर अकर्मण्य अधिकारी भी ईमानदारी का लबादा ओढ़कर विकास-जनहित में जीरो योगदान के बावजूद सेल्फ ब्रांडिंग कर लेते हैं। यही नहीं वे बिहार में, बिहार के बाहर और देश के बाहर दुकान-मकान सजा लेते हैं। बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री निखिल आनंद ने कहा कि ऐसे कड़कदार, रौबदार, हेकड़ी वाले स्वयंभू आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं। जिनसे रिटायरमेंट के बाद एक भी आम आदमी शौक से मिलना तो दूर, इनका नाम भी नहीं लेना चाहता है और इनको चार कंधे भी मुश्किल से मिलते हैं।
समर्थन करने वालों को सुझाव
बिहार बीजेपी प्रवक्ता केके पाठक का समर्थन करने वाले लोगों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जिन ज्ञानी-विद्वान लोगों को गाली पसंद आया है, वो अपने घर में उन्हें बुलवाकर पत्नी-बच्चों के सामने फिर से कहवा सकते हैं। एक आईएएस अफसर का इस तरीके से गाली देने से साफ है कि ये व्यक्ति बहुत ही मानसिक तनाव और कुंठा में है। इस व्यक्ति में संस्कार-सरोकार की कमी है और कर्तव्यनिष्ठा का आडंबर करते हैं।
सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए
निखिल आनंद के मुताबिक केके पाठक के भीतर आचार-व्यवहार में औपनिवेशिक और एलीट-सामंती ठसक पूरी तरह से भरा हुआ है। केके पाठक का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने पर लगता है कि ये सार्वजनिक जीवन में और निजी जिंदगी में अलग-अलग मानसिकता रखते हैं। दोहरे चरित्र वाले व्यक्ति हैं। सरकार को अपशब्दों के प्रयोग के लिए केके पाठक के खिलाफ जरूर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।