हाइपरलूप ट्रेन के जरिए सिर्फ 20 मिनट में तय होगा मुंबई से पुणे  का सफ़र

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अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन चलाने की खबर को आए तो जमाना हो गया और ये बहुत आम बात है. लेकिन इस बार बीजेपी सरकार ने गुजरात के आलावा महाराष्ट्र के लोगों को एक नया सपना दिखाया है. महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार राज्य में हाइपरलूप ट्रेन चलाना चाहती है. इससे महाराष्ट्र के दोनों बड़े शहर मुंबई से पुणे का सफ़र ३ घंटे से घटकर २० मिनट में पूरा होने की बात की जा रही है.

दरअसल महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार की कोशिश है कि राज्य में हाइपरलूप ट्रेन का निर्माण हो. राज्य की देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने इस बात पर अमेरिका की जानी-मानी कंपनी वर्जिन ग्रुप के साथ रविवार (18 फरवरी) को  ‘आशय पत्र’ पर दस्तखत किए हैं.

Hyperloop technology -

वर्जिन समूह के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैन्सन ने मैग्नेटिक महाराष्ट्र निवेशक सम्मेलन के पहले दिन मीडिया से बात करते हुये कहा, ‘‘हमने महाराष्ट्र के साथ मुंबई और पुणे के बीच र्विजन हाइपरलूप के निर्माण के लिए करार किया है.’’ ब्रैन्सन के मुताबिक हाइपरलूप ट्रेन के बाद पूरी परिवहन प्रणाली में ऊँचे स्तर पर बदलाव देखा जा सकेगा, और इसका मुख्य उदाहरण महाराष्ट्र होगा. इसकी शुरुआत क्षेत्र में परीक्षण के तौर पर ट्रैक बनाने के साथ होगी. इसके आलावा वर्जिन समूह के चेयरमैन ने ये भी कहा है कि हवाई अड्डे के गेट पर आसान पहुंच के जरिये हम हर साल 15 करोड़ यात्रियों को लेकर जा सकेंगे.

 

अभी हाइपरलूप परियोजना का ‘ब्योरा मसलन लागत और समयसीमा’ की घोषणा नहीं की गई है. हाइपरलूप मार्ग में पूरी तरह इलेक्ट्रिक प्रणाली होगी और इसमें प्रति घंटे 1,000 किलोमीटर तक दौड़ने की क्षमता होगी. पहला हाइपरलूप मार्ग मध्य पुणे को वृहद महानगर के अलावा नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी जोड़ेगा. इस हवाई अड्डे की आधारशिला रविवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी. ये भी कहा जा रहा है कि इस परियोजना का सामाजिक आर्थिक लाभ 55 अरब डॉलर का होगा. यह प्रस्तावित परियोजना छह महीने के गहन व्यवहार्यता अध्ययन के बाद शुरू होगी.

बता दें कि हाइपरलूप ट्रेन ट्रांसपोर्ट की सबसे अद्भुत तकनीक है. इसमें चुंबकीय शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल यह बहुराष्ट्रीय कंपनी टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क का सपना है. हाइपर लूप को चलाने के लिए कई देशों में प्रयोग हो रहे हैं. इस तकनीक के तहत खंभों के ऊपर पारदर्शी ट्यूब बनाई जाती है. इस ट्रांसपोर्ट में घर्षण बहुत कम होता है.