Hybrid Fund: निवेश के लिए डेट फंड अच्छे हैं या हाइब्रिड फंड, दोनों में क्या है अंतर, किसमें निवेश करना है बेहतर

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Hybrid Fund: निवेश के लिए डेट फंड अच्छे हैं या हाइब्रिड फंड, दोनों में क्या है अंतर, किसमें निवेश करना है बेहतर

Hybrid Fund: निवेश के लिए डेट फंड अच्छे हैं या हाइब्रिड फंड, दोनों में क्या है अंतर, किसमें निवेश करना है बेहतर


नई दिल्ली: सरकार ने डेट म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को समाप्त कर दिया है। यानी, 1 अप्रैल के बाद खरीदे गए किसी भी डेट म्यूचुअल फंड पर होने वाले किसी भी लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा, भले ही उसकी होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो। कुछ म्यूचुअल फंड (MF) अडवाइजर और डिस्ट्रीब्यूटर इसका समाधान हाइब्रिड फंड में निवेश के तौर पर देखते हैं। इन्हें टैक्स लगाने के मकसद से इक्विटी के तौर पर लिया जाता है। एक साल में एक लाख से अधिक के गेंस के लिए एक साल की होल्डिंग अवधि के बाद इक्विटी फंड पर 10% टैक्स लगता है।

बजट में किए गए संशोधन के बाद ऐसे डेट फंड जिनका घरेलू इक्विटी में निवेश 35% से कम है उन्हें हमेशा शॉर्ट टर्म माना जाएगा और इस पर स्लैब रेट से टैक्स लगेगा। 35% और 65% के बीच घरेलू इक्विटी वाले फंड मौजूदा डेट फंड टैक्सेशन का लाभ उठाएंगे। यदि उन्हें तीन साल से ज्यादा समय तक होल्ड किया गया तो उन पर 20% टैक्स लगाया जाएगा और उन्हें इंडेक्सेशन का लाभ दिया जाएगा।

फिर ऐसे हाइब्रिड फंड हैं जिनका इक्विटी में निवेश 65% से अधिक है। सालाना एक लाख से अधिक के गेंस के लिए एक साल से अधिक समय तक होल्ड किए जाने पर इन पर 10% टैक्स लगाया जाएगा। हाइब्रिड फंडों की अधिकांश कैटिगरी तीसरे सेगमेंट में आती है लेकिन MF आर्बिट्राज स्ट्रैटजी का इस्तेमाल कर अपने प्रभावी इक्विटी निवेश को घटा लेते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि किसी बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में 67% निवेश घरेलू इक्विटी में है लेकिन वे अपने फंड के 30% फ्यूचर्स बेच सकते हैं। ऐसा होते ही हाइब्रिड फंड 37% इक्विटी निवेश वाले फंड में बदल जाता है। हालांकि, इसके बावजूद यह 65% सीमा को पूरा करने पर होने वाले टैक्स लाभ को बरकरार रखता है। फंड की इस इंजीनियरिंग ने हाइब्रिड फंडों की अलग-अलग कैटिगरी को म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर पर टैक्स दबाव को घटाने में मदद की है।

हाइब्रिड फंड कैटिगरी में इक्विटी के कुछ एक्स्ट्रा रिस्क वाले डेट फंडों के लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और इक्विटी सेविंग्स फंड दो सबसे स्वाभाविक विकल्प हैं। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड बाजार की परिस्थितियों के हिसाब से अपने इक्विटी-डेट अनुपात को घटाने-बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होते हैं। आमतौर पर वे टैक्स सीमा को पूरा करने के लिए इक्विटी में 65% से अधिक निवेश करते हैं लेकिन बाजार की परिस्थितयों के हिसाब से उसे बैलेंस करने के लिए आर्बिट्राज का इस्तेमाल करते हैं। इक्विटी सेविंग्स फंड्स भी इसी रणनीति का इस्तेमाल करते हैं लेकिन वे 50 फीसदी से अधिक इक्विटी में निवेश नहीं कर सकते हैं। आम तौर पर फंड हाउस इस सीमा केा 33% तक ही रखते हैं।

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