अपनी पत्नियों से छुटकारा पाने के लिए पति कर रहें एक अनोखा उपाय – जानिये क्या है पूरी कहानी

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हमारे देश भारत में पत्नियां पतियों को इश्वर तुल्य मानती है |पत्नियां पतियों के लिए उपवास रखती है ,उनकी लम्बी उम्र की कामना करती है |हमारे समाज में जहाँ यमराज से लड़ कर अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने वाली सावित्री की कहानी हर लड़की को सुनाई जाती है ,ताकि वह एक पत्नी होने का कर्तव्य निभा सके |

पत्नी पीड़ित पतियों की तकलीफ
अपने पतियों की लम्बी उम्र की कामना के लिए औरतें वट सावित्री की पूजा करती है |आपने तो वट सावित्री के बारे में तो सुना ही होगा ,लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि पति भी अपनी पत्नियों के लिए वट वृक्ष से प्रार्थना कर रहे है |लेकिन ये कहानी आज कुछ और ही हो गयी है |जी हाँ ,अगर आपसे कहा जाएँ की ये पति अपनी पत्नियों की लम्बी उम्र की प्रार्थना करने के लिए नहीं लेकिन उनसे छुटकारा पाने के लिए ये पूजा कर रहें है |

maharashtra aurangabad men seek freedom from wives on vat purnima 1 news4social -

महाराष्ट्र के औरंगाबाद की एक अजब-गज़ब कहानी
जी हाँ , महाराष्ट्र के औरंगाबाद की महिलाएं जहाँ एक तरफ वट पूर्णिमा पर अपने पतियों की लम्बी आयु के लिए दुआ मांगते है| वहीँ पतियों का समूह पत्नियों से छुटकारे की दुआ मांग रहे है |एक अवसर पर औरंगाबाद के पतियों के एक समूह ने पीपल के पेड़ के चारों तरफ उल्टी दिशा में धागा बांधकर मन्नत मांगी  कि ऐसी पत्नियां सात जन्म तो क्या सात सेकंड के लिए भी नहीं चाहिए | दरअसल पतियों के इस समूह को पत्नी पीड़ित समूह कहकर पुकारा जा रहा है |वट पूर्णिमा को वट सावित्री के नाम से भी जाना जाता है |

अगले सात जन्म के लिए नहीं चाहिए ऐसी बीवियां
इस पत्नी पीड़ित पति संगठन का कहना है कि ये पुरुष अपनी पत्नियों से पीड़ित होने का दावा करते हैं | उन्होंने पीपल के पेड़ पर उल्टी दिशा में धागा बांधकर जाप किया |उन्होंने प्रार्थना कि अगले सात जन्मों तक ऐसी पत्नी मत देना|’’ संगठन के एक सदस्य तुषार वाखरे ने कहा, ‘‘हमारी पत्नियां कानूनी प्रावधानाओं का इस्तेमाल कर हमारा उत्पीड़न करतीहैं | उन्होंने हमें इतनी दिक्कतें दी हैं कि हम उनके साथ सात सेकंड भी नहीं रहना चाहते, सात जन्म |

देश में पुरुषो और महिलाओं की भागीदारी ज़रूरी है
हमारे इस पुरुष प्रधान समाज में कभी -कभी महिलाएं भी गलत होती है |इस देश में जहाँ महिलाओं को पूरी आज़ादी से जीने का अधिकार भी नहीं दिया जाता है ,वहीं दुसरी  तरफ हमारे देश का कानून पुरुषों के साथ कुछ ज्यादा की सख्त है|देश में एक तरह के सामंजस्य की बहुत आवश्यकता है |