जानिए कैसे करें दिल्ली स्कूल की बढ़ती फीस के खिलाफ शिकायत?

2024
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जानिए कैसे करें दिल्ली स्कूल की बढ़ती फीस के खिलाफ शिकायत?

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि किसी भी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं है। संस्कृति स्कूल को पूर्व में फीस वृद्धि की दी गई मंजूरी को सरकार ने रद्द कर दिया है। सिसोदिया ने कहा कि महामारी के दौर में सरकार ने आदेश दिया कि कोई स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता और ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस नहीं ले सकता है। अगर कोई स्कूल ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सिसोदिया ने कहा कि इस मामले में किसी भी दबाव के आगे केजरीवाल सरकार नहीं झुकेगी। सिसोदिया ने कहा कि संस्कृति स्कूल ने फीस में करीब 75% की वृद्धि कर दी थी और ऐसे में दिसंबर और मार्च में दी गई थी वृद्धि की अनुमति को रद्द कर दिया गया है। इस स्कूल ने 75% फीस वृद्धि कर दी है जिस पर सरकार ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

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उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि संस्कृति स्कूल, चाणक्यपुरी के कुछ अभिभावकों ने मिली गंभीर शिकायतों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। सिसोदिया ने कहा कि पहले भी अभिभावकों के कई समूह ने मुझसे और मुख्यमंत्री से मिलकर संस्कृति स्कूल द्वारा दोगुनी फीस वृद्धि का आरोप लगाया था। सिसोदिया के अनुसार संस्कृति स्कूल की फीस में लगभग 75% की वृद्धि गलत है। इसीलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विचार विमर्श के बाद संस्कृति स्कूल में किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है।

सिसोदिया के अनुसार स्कूलों में प्रणाली के तहत अकाउंटिंग और ऑडिट की विशेष प्रणाली का पालन करना जरूरी होता है लेकिन इसका पालन नहीं किया। साल 2018 में इस विद्यालय के पास सर प्लस राशि उपलब्ध होने के कारण फीस बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। साल 2018 में इस विद्यालय को फीस वृद्धि का प्रस्ताव रद्द करते हुए निर्देश कर दिया गया था कि शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन भुगतान स्कूल की सरप्लस राशि से किया जाए और इसका बोझ बच्चों पर ना डाला जाए। लेकिन स्कूल ने निर्देश का पालन नहीं किया।

सिसोदिया ने कहा कि हर स्कूल को स्थापना की अनुमति तभी मिलती है जब उसके पास स्टाफ के लिए 3 माह की सैलरी फिक्स डिपॉजिट हो। लिहाजा अब उस राशि के लिए फीस बढ़ाने की मांग अनुचित है क्योंकि वह राशि तो स्कूल की स्थापना के समय से ही फिक्स डिपाजिट के रूप में जमा है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा गठित अनिल देव सिंह कमेटी ने साल 2010 से 2012 तक प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस की राशि वापस कर आई थी।

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अब संस्कृति स्कूल चाहता है कि उस लौटाई गई राशि को स्कूल के खर्च के रूप में दिखाकर बच्चों से उसकी वसूली जाए जबकि पहले ज्यादा वसूली गई राशि को खर्च के तौर पर दिखाने की इजाजत नहीं दी जा सकत। सिसोदिया ने कहा कि डेवलपमेंट फंड को भी अलग अकाउंट में जमा करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इन वजहों से संस्कृति स्कूल फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोरोना महामारी के कारण वैसे भी ट्यूशन फीस के अलावा अन्य राशि वसूलने पर रोक लगी है। इसके बावजूद संस्कृति स्कूल द्वारा फीस बढ़ाने के कारण अभिभावक परेशान हैं।

दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि अप्रैल में जारी आदेश के बाद भी स्कूलों की मनमानी पर कोई रोक नहीं लगी। अब देखना होगा कि इस आदेश में फीस ज्यादा लेने या अन्य शुल्क लेने पर कितने स्कूल अतिरिक्त फीस वापस करेंगे। आदेश में फीस लौटाने का एफिडेविट स्कूलों से मांगना चाहिए था। वहीं सेक्शन-24 की जगह सेक्शन-20 के तहत कार्रवाई की जाने की बात करनी चाहिए थी। सेक्शन-20 में स्कूल टेकओवर करने की बात है।

अगर आप प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं तो दिल्ली सरकार के वेब पोर्टल पर इसकी शिकायत कर सकते हैं। आपकी शिकायत का निपटारा 15 दिनों में शिक्षा निदेशालय करेगा। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सचिवालय में पोर्टल लांच किया था। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वेब पोर्टल www.doepvt.delhi.gov.in पर प्राइवेट स्कूलों की शिकायत की जा सकती है। एनआईसी की मदद से इस पोर्टल को तैयार किया गया है।

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