होलिका की कितनी परिक्रमा और किस तरह से करनी चाहिए दाएं से या बाएं से

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होली पूजा
होली पूजा

होलिका की कितनी परिक्रमा और किस तरह से करनी चाहिए दाएं से या बाएं से – होली, इस त्यौहार का नाम सुनते ही अनेक रंग हमारी आंखों के सामने फैलने लगते हैं। हम खुदको भी विभिन्न रंगों में पुता हुआ महसूस करते हैं. लेकिन इस रंगीली होली को तो असल में धुलंडी कहा जाता है. होली तो असल में होलीका दहन का उत्सव है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है. आज हम आपको बताएंगें कि होलिका की परिक्रमा कितनी और किस तरह करनी चाहिए.

होली
होलिका


सूत के धागे को होलिका के चारों ओर घुमाते हुए तीन, पांच या सात बार लपेटते हुए परिक्रमा की जाती है. जहां आपका अंतिम चक्कर पूरा हो, वहां जल का लोटा खाली कर दें. होलिका की जो परिक्रमा की जाती है वो बांए से दांए की जाती है.

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होली पूजन का तरिका –
इसके साथ ही पूजन करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. पहले जल की बूंदों का छिड़काव अपने आसपास, पूजा की थाली और खुद पर करें. इसके बाद नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें. इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें.

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