Hindu Nav Varsh: 9 अप्रैल से शुरू हो रहा हिंदू नव वर्ष, इस बार मंगल होगा नए साल का राजा | hindu nav varsh start from 9 april Mass is the king of the navsamvatsar 2081 | News 4 Social
पं. अमर डब्बावाला ने बताया, अप्रेल को पंचांग की गणना के अनुसार चैत्र मास कहा जाता है। इसके अंतर्गत चैत्र कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में अर्थात 31 मार्च से लेकर 23 अप्रेल तक अलग-अलग प्रकार के ग्रहों का राशि परिवर्तन, नक्षत्र परिवर्तन और अस्त आदि का अनुक्रम रहेगा। इस दौरान वासंती नवरात्र के साथ अलग-अलग तीज-त्योहार का भी संयोग रहेगा। विशेष योग भी बनेंगे।
शुक्र मीन राशि में
डब्बावाला ने बताया, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर 31 मार्च को दोपहर 4 बजे शुक्र का कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश हो चुका है, वहीं सूर्य का रेवती नक्षत्र में प्रवेश भी हुआ। अब 3 अप्रेल को शुक्र पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। प्रात: 9:30 बजे बुध ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होंगे।
28 अप्रेल को बृहस्पति बदलेंगे राशि
14 अप्रेल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा और शुक्र का रेवती नक्षत्र में 10 अप्रेल को प्रवेश होने जा रहा है। 28 अप्रेल को बृहस्पति मेष राशि को छोड़कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। उनके प्रवेश काल में अलग-अलग प्रकार की स्थितियां निर्मित होंगी। अलग-अलग प्रकार के धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक परिवर्तन दिखाई देंगे।
नव-संवत्सर (हिंदू नववर्ष)
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नव-संवत्सर (हिंदू नववर्ष) का आरंभ माना जाता है। इस बार 9 अप्रेल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का आरंभ होगा, जिसका अधिपति मंगल है अर्थात संवत्सर का राजा मंगल रहेगा। साथ ही नव संवत्सर में अलग-अलग प्रकार के मंत्रिमंडल का भी विस्तार होगा। कुल मिलाकर नए संवत्सर में न्यायिक, सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ कुछ स्थानों पर राजनीतिक परिवर्तन भी होंगे।
विवाह के चार ही मुहूर्त
डब्बावाला ने बताया, शुक्र का तारा 27 अप्रेल को प्रात: 5:31 पर अस्त होगा। शुक्र के तारे अस्त होने के बाद विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। विवाह का मुहूर्त अब जुलाई में विशेष मुहूर्त के अंदर 9 और 11 जुलाई में रहेगा। उसके बाद 16 नवंबर से विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त आरंभ होगा। अप्रेल में चार मुहूर्त विवाह के हैं। मुहूर्त की 18, 22, 23 और 26 अप्रेल तारीखें हैं।
9 दिनों की रहेगी चैत्र नवरात्र
वासंती नवरात्रि का आरंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन की रहेगी। देवी साधक व उपासक नवरात्रि के 9 दिन रात्रि पर्यंत साधना-उपासना के माध्यम से संकल्प की सिद्धि करेंगे।
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पं. अमर डब्बावाला ने बताया, अप्रेल को पंचांग की गणना के अनुसार चैत्र मास कहा जाता है। इसके अंतर्गत चैत्र कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में अर्थात 31 मार्च से लेकर 23 अप्रेल तक अलग-अलग प्रकार के ग्रहों का राशि परिवर्तन, नक्षत्र परिवर्तन और अस्त आदि का अनुक्रम रहेगा। इस दौरान वासंती नवरात्र के साथ अलग-अलग तीज-त्योहार का भी संयोग रहेगा। विशेष योग भी बनेंगे।
शुक्र मीन राशि में
डब्बावाला ने बताया, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर 31 मार्च को दोपहर 4 बजे शुक्र का कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश हो चुका है, वहीं सूर्य का रेवती नक्षत्र में प्रवेश भी हुआ। अब 3 अप्रेल को शुक्र पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। प्रात: 9:30 बजे बुध ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होंगे।
28 अप्रेल को बृहस्पति बदलेंगे राशि
14 अप्रेल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा और शुक्र का रेवती नक्षत्र में 10 अप्रेल को प्रवेश होने जा रहा है। 28 अप्रेल को बृहस्पति मेष राशि को छोड़कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। उनके प्रवेश काल में अलग-अलग प्रकार की स्थितियां निर्मित होंगी। अलग-अलग प्रकार के धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक परिवर्तन दिखाई देंगे।
नव-संवत्सर (हिंदू नववर्ष)
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नव-संवत्सर (हिंदू नववर्ष) का आरंभ माना जाता है। इस बार 9 अप्रेल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का आरंभ होगा, जिसका अधिपति मंगल है अर्थात संवत्सर का राजा मंगल रहेगा। साथ ही नव संवत्सर में अलग-अलग प्रकार के मंत्रिमंडल का भी विस्तार होगा। कुल मिलाकर नए संवत्सर में न्यायिक, सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ कुछ स्थानों पर राजनीतिक परिवर्तन भी होंगे।
विवाह के चार ही मुहूर्त
डब्बावाला ने बताया, शुक्र का तारा 27 अप्रेल को प्रात: 5:31 पर अस्त होगा। शुक्र के तारे अस्त होने के बाद विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। विवाह का मुहूर्त अब जुलाई में विशेष मुहूर्त के अंदर 9 और 11 जुलाई में रहेगा। उसके बाद 16 नवंबर से विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त आरंभ होगा। अप्रेल में चार मुहूर्त विवाह के हैं। मुहूर्त की 18, 22, 23 और 26 अप्रेल तारीखें हैं।
9 दिनों की रहेगी चैत्र नवरात्र
वासंती नवरात्रि का आरंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन की रहेगी। देवी साधक व उपासक नवरात्रि के 9 दिन रात्रि पर्यंत साधना-उपासना के माध्यम से संकल्प की सिद्धि करेंगे।
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