Hijab Row: कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी चुनौती, कहा- धार्मिक स्वतंत्रता की गलत व्याख्या की गई

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Hijab Row: कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी चुनौती, कहा- धार्मिक स्वतंत्रता की गलत व्याख्या की गई

नई दिल्ली: हिजाब मामले (Karnataka Hijab Controversy) में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) ने भी चुनौती दी है। इसके साथ ही एक अन्य इस्लामिक संगठन समस्थ केरल जेम इय्यातुल उलेमा ने भी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।

‘कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस्लामिक लॉ की गलत व्याख्या की’
केरल बेस्ड इस्लामिक संगठन समस्थ केरल जेम इय्यातुल उलेमा ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने इस्लामिक लॉ (Islamic Law) की गलत तरीके से व्याख्या की है। याचिका में कहा गया है कि कुरान की आयत 31 के सूरा 24 और आयत 59 के सूरा 33 कहता है कि इस्लाम में महिलाओं को सिर और गर्दन ढकना है लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कानून की गलत व्याख्या की है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न प्रैक्टिस नहीं है। साथ ही कर्नाटक राज्य के उस फैसले को सही ठहराया है जिसके तहत शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड लागू किया गया है और किसी भी धार्मिक ड्रेस को बैन किया गया है।

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याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता की व्याख्या में गलती की है। हाई कोर्ट ने इस बात को भी नहीं देखा कि निजता के अधिकार के तहत हिजाब पहनने का अधिकार मिला हुआ है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में भी अर्जी दाखिल की थी। उसने राज्य सरकार के पांच फरवरी 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें ड्रेस कोड लागू किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983(Karnataka Education Act) के रूल्स को भी नहीं देखा। रूल्स में यूनिफर्म की अनिवार्यता नहीं बताई गई है।

‘हिजाब अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है’
याचिका में यह भी कहा गया है कि हाई कोर्ट ने इस बात को भी ध्यान नहीं दिया कि हिजाब अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है। अनुच्छेद-19 (1)(ए) के तहत हिजाब पहनना अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom Of Expression) है। साथ ही हिजाब अनुच्छेद-25 के तहत धार्मिक प्रैक्टिस के दायरे में आता है। इस्लाम धर्म में हिजाब या सिर ढकने के लिए स्कार्फ पहनना धार्मिक प्रैक्टिस के दायरे में आता है। लेकिन हाई कोर्ट ने इस बात को नहीं देखा।

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हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली स्टूडेंट्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य की ओर से केवियेट दाखिल की गई है और कहा गया है कि वह भी हाई कोर्ट में पार्टी था लिहाजा उसे भी इस मामले में सुना जाए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछली सुनवाई में हिजाब मामले में अर्जेंट सुनवाई से इनकार कर दिया था और कहा था कि मामले को संवेदनशील न बनाएं। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से यह मामला उठाया गया और कहा गया है कि हिजाब मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूल व कॉलेज में हिजाब पहनकर जाने की इजाजत नहीं दी थी और कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म का अभिन्न प्रैक्टिस नहीं है इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।



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