Hijab row: ‘हर शुक्रवार और रमजान में मिले हिजाब पहनने की इजाजत’, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- विचार करेंगे

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Hijab row: ‘हर शुक्रवार और रमजान में मिले हिजाब पहनने की इजाजत’, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- विचार करेंगे
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Hijab row: ‘हर शुक्रवार और रमजान में मिले हिजाब पहनने की इजाजत’, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- विचार करेंगे

बेंगलुरु: कर्नाटक हिजाब विवाद (Hijab row) को लेकर हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में पांचवे दिन की सुनवाई खत्म हो गई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने दलीलें पेश कीं। सामाजिक कार्यकर्ता आर कोटवाल ने कहा कि लिंग-धर्म के आधार भेदभाव के चलते शिक्षा के अधिकार का हनन हो रहा है। वहीं दूसरे याचिकाकर्ता डॉ. विनोद कुलकर्णी ने मांग की कि हर शुक्रवार और रमजान के महीने में हिजाब पहनने की इजाजत दी जाएगी। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार दोपहर ढाई बजे होगी।

अपडेट@3.44 PM- ऐडवोकेट जनरल ने अपना पक्ष रखने के लिए शुक्रवार तक का वक्त मांगा। इसी के साथ गुरुवार की सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट अब शुक्रवार को ढाई बजे फिर से मामले की सुनवाई शुरू करेगी।

अपडेट @3.40PM- 5 छात्राओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं सीनियर ऐडवोकेट एएम डार ने दलील दी, हिजाब पर सरकार के आदेश से उनके क्लाइंट्स पर असर पड़ेगा जो हिजाब पहनते हैं। उन्होंने कहा कि यह आदेश असंवैधानिक है। कोर्ट ने डार से अपनी वर्तमान याचिका वापस लेने और उन्हें नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता देने को कहा।

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अपडेट@3.36PM- डॉ. विनोद कुलकर्णी ने मांग की कि मुस्लिम लड़कियों को शुक्रवार और रमजान के महीने में हिजाब पहनने की इजाजत दी जाए। डॉ. विनोद ने कहा कि हिजाब यूनिफॉर्म का हिस्सा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप चाहते हैं कि शुक्रवार को हिजाब पहनने की इजाजत मिले। हम इस पर विचार करेंगे।

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अपडेट@3.30 PM- डॉ. विनोद कुलकर्णी ने व्यक्तिगत रूप से दलीलें पेश करनी शुरू कीं।
डॉ. विनोद: हिजाब विवाद मुस्लिम लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। संविधान की प्रस्तावना के अनुसार स्वास्थ्य की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।
चीफ जस्टिस: जनहित याचिका हाई कोर्ट के नियमों के मुताबिक नहीं है।

अपडेट@3.25 PM- चीफ जस्टिस: आपकी याचिका नियमों के मुताबिक नहीं है। बेंच ने पीआईएल खारिज की।
कोटवाल: मैंने कई याचिकाएं फाइल की हैं लेकिन पहली बार रख-रखाव के आधार पर इसे खारिज कर दिया गया।

अपडेट@3.21PM- चीफ जस्टिस: हम आपको कोर्ट को सुने बिना इस तरह जिरह की इजाजत नहीं दे सकते। आप कौन हैं?
कोटवाल: याचिकाकर्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, आरटीआई ऐक्टिविस्ट हैं, जो माननीय अदालत को कई जनहित याचिकाओं में मदद कर चुके हैं।
चीफ जस्टिस: हमें आपका सहयोग नहीं चाहिए।

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अपडेट@3.10PM- चीफ जस्टिस: आपका क्या विवाद है?
कोटवाल: राज्य की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों के अनुरूप नहीं है।
चीफ जस्टिस: क्या आप कोर्ट की भी सुनेंगे? पहले प्रमाण दीजिए, कौन हैं आप?
कोटवाल: मैं अंतरराष्ट्रीय संधियों को अदालत के संज्ञान में ला रहा हूं।

अपडेट@3 PM-आर कोटवाल: प्रतिवादियों की कार्रवाई पूरी तरह से धर्म और लिंग के आधार पर मनमाना भेदभाव पैदा कर रही है, वे केवल धार्मिक हेडगियर- हिजाब के आधार पर शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं।

अपडेट@2.46PM- मामले में नई याचिका को स्वीकृति दी गई। ऐडवोकेट आर. कोतवाल का कहना है कि अनुच्छेद 14, 15 और 25 के अलावा, राज्य की कार्रवाई अनुच्छेद 51 (सी) का भी उल्लंघन करती है – अंतरराष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों के लिए सम्मान।

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अपडेट@2.38 PM- कर्नाटक हिजाब विवाद में एक और हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम हस्तक्षेप याचिका का कॉन्सेप्ट नहीं समझ पा रहे हैं। हम याचिकाकर्ताओं और फिर प्रतिवादियों को सुन रहे थे। हमें किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।’



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