Hijab case: हिजाब मामले में अगले हफ्ते आएगा फैसला? हाईकोर्ट का वकीलों को निर्देश- इस हफ्ते बहस पूरी कर लें

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Hijab case: हिजाब मामले में अगले हफ्ते आएगा फैसला? हाईकोर्ट का वकीलों को निर्देश- इस हफ्ते बहस पूरी कर लें

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने हिजाब विवाद (Hijab Case) पर जल्द फैसला आने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में वकीलों को इस सप्ताह तक अपनी जिरह पूरी करने के निर्देश दिए हैं। क्लासों में हिजाब पहनने के अपने अधिकार की मांग कर रही छात्राओं की याचिकाओं पर विचार करने के लिए गठित कोर्ट की स्पेशल बेंच ने यह निर्देश दिया है।

‘वकील इस हफ्ते तक अपनी बहस पूरी कर लें’
मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता (एजी) प्रभुलिंग नवदगी को जल्द से जल्द अपना जवाब दाखिल करने को कहा। एजी ने बेंच को बताया कि वह मंगलवार को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे। मुख्य न्यायाधीश ने सभी वकीलों को सूचित किया कि बेंच इस हफ्ते के अंत में मामले की सुनवाई पूरी करना चाहती है, वकील अपने तर्कों को संक्षिप्त रखते हुए इस सप्ताह के भीतर ही बहस को पूरा करने की कोशिश करें।

एजी बोले- याचिकाकर्ता साबित करें कि हिजाब की प्रथा अनिवार्य है

महाधिवक्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से याचिकाकर्ता पर है कि वह यह साबित करे कि हिजाब की प्रथा प्रक्रिया के तौर पर अनिवार्य है और इस्लाम में इसका पालन किया जाता है। उन्होंने इस मामले में कुरान के 144 सूरे भी रखे हैं और इस संबंध में उनसे इस अदालत ने पूछा है। एजी ने अदालत से कहा कि कोई ड्रेस पहनना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अपने मौलिक अधिकार के रूप में तर्क दिया है। हालांकि, अनुच्छेद 19 (1) (ए) अनुच्छेद 19 (2) के तहत सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता के अधीन है।

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‘स्कूलों में नहीं, सिर्फ क्लासों में हिजाब पर है पाबंदी’
एजी ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में यूनिफॉर्म नियम संस्थागत प्रतिबंध के अधीन है और यह न केवल स्कूलों में, बल्कि अस्पतालों, सैन्य प्रतिष्ठानों और अन्य जगहों पर भी संस्थागत अनुशासन के अधीन है। एजी ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म प्री यूनिवर्सिटी तक निर्धारित की जा रही है। कैंपस में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं है और केवल कक्षाओं में हिजाब की अनुमति नहीं है। चाहे कोई किसी भी धर्म का हो, यूनिफॉर्म सभी के लिए जरूरी है।

एजी बोले- हिजाब इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा नहीं है
उन्होंने फ्रांस और तुर्की की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पर पूरी तरह प्रतिबंध का उल्लेख किया। इस पर न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने हस्तक्षेप किया और कहा कि यह हर देश की संवैधानिक नीति पर निर्भर करता है। महाधिवक्ता नवदगी ने कहा कि वह केवल इतना कहना चाहते हैं कि हमारे देश में इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने इससे पहले कहा था कि हिजाब इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा नहीं है और यह भी बताया कि कैसे अलग-अलग उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में इसे बरकरार रखा गया है।

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छात्राओं की मांग- क्लास में भी मिले हिजाब की अनुमति

महाधिवक्ता ने सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी दलीलें पेश कीं और कहा कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने सिर्फ सिर पर स्कार्फ पहनने की अनुमति के लिए नहीं बल्कि कक्षाओं में इसे पहनने की अनुमति देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन महाधिवक्ता ने कहा कि हिजाब पहनना उनके धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और यह अनुच्छेद 25 के तहत नहीं आ सकता है।

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