क्रिकेट छोड़ नौकरी करने वाला था यह खिलाडी, आज बन गया कप्तान

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बॉल टेपरिंग की घटना की वजह से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट जगत इतिहास के सबसे शर्मनाक पलों का सामना कर रहा है। शायद यही वजह है कि क्रिकेट अधिकारियों के अलावा देश के राजनीतिज्ञ भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं। मंगलवार को क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ जेम्स सदरलैंड ने कप्तानी से बर्खास्त चल रहे स्टिव स्मिथ के अलावा डेविड वॉर्नर और बैनक्राफ्ट को सस्पेंड करते हुए स्वदेश लौटने का आदेश दिया है। बुधवार को इन तीनों को मिलने वाली सजा का ऐलान हो सकता है। टीम ऑस्ट्रेलिया की कमान अब टिम पेन को सौंपी गई है। पेन की क्रिकेट करियर पर नजर डालें तो यह बेहद उतार-चढ़ाव से भरा और दिलचस्प नजर आता है। वह टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं। 7 साल के अंतर के बाद चार महीने पहले जब टिम को टेस्ट टीम में चुना गया तो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट जगत में बहस छिड़ गई थी। अब वह कप्तानी संभालने को तैयार हैं।

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पिछले साल टिम ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रीय तस्मानिया टीम से बाहर थे। वह क्रिकेट को छोड़ने का करीब-करीब मन बना चुके हैं। उन्होंने क्रिकेट के साजोसामान बनाने वाली कंपनी कूकाबूरा से मिलने वाले एक जॉब ऑफर को भी कबूल कर मेलबर्न जा चुके थे। इसके बाद उनकी जिंदगी रातों रात बदल गई। तस्मानिया टीम संकट में घिरी और टिम पेन की एक बार भी जरूरत आन पड़ी। अधिकारियों ने कोच डैन मार्श को बर्खास्त कर दिया और टिम को वापस से बुलावा भेजा। साथ ही दो साल का करियर एक्सटेंशन भी दिया। पेन ने बताया, ‘मैं कूकाबूरा में नौकरी स्वीकार करने से बहुत दूर नहीं था। एक वक्त हालात ऐसे थे कि मेरे लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने के बारे में सोचना ही ज्यादा था। मैं खुशकिस्मत रहा हूं कि क्रिकेट तस्मानिया में काफी बदलाव हुए। मैं और कुछ अन्य सीनियर खिलाड़ियों के लिए यह नई शुरुआत थी।’

2016 में जब टिम को तस्मानिया टीम से बाहर किया गया, वह हनीमून पर चले गए थे। 2017 में जब वह क्रिकेट छोड़ने का पूरी तरह मूड बना चुके थे तो उनके जीवन में पहली संतान के तौर पर उनकी बेटी ने दस्तक दी। उनकी बेटी का नाम ‘मिला’ है। तीन गेंद खेलकर जीरो पर आउट होने के बाद टिम ने कहा था, ‘निश्चित तौर पर मेरी जिंदगी बदल चुकी है। मैदान पर भले ही इससे मुझे मदद मिल रही हो या नहीं। मुझे लगता है कि जब से वह मेरे जिंदगी में आई है, यह मेरे लिए बस एक खेल है। आप घर जाते हैं और उसे (बेटी) देखते हैं और आपको कोई फर्क नहीं पड़ता।’

दिलचस्प बात यह है कि टिम पेन एक ऐसे क्रिकेटर हैं, जिस पर ऑस्ट्रेलिया दिग्गज स्टीव वॉ भी भरोसा जता चुके हैं। 2011 में जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट से जुड़ा हर शख्स रिकी पोन्टिंग के उत्तराधिकारी के तौर पर माइकल क्लार्क को देख रहा था, स्टीव ने पेन को कप्तान के तौर पर देखा था। 2011 तक टिम पेन चार टेस्ट और 26 वनडे खेल चुके थे। उन्हें कप्तान के विकल्प के तौर पर देखा भी जा रहा था, लेकिन एक मैच में उंगली में लगी चोट उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुई। टूटी उंगली को जोड़ने के लिए किए गए 6 ऑपरेशन नाकाम रहे। इसकी वजह से उन्हें मैदान पर वापसी करने में काफी वक्त लग गया।