आज के ही दिन हुआ था हाशिमपुरा नरसंहार, लोगों को भून-भून कर नहर में फेंक दिया गया था

908

दरअसल, फरवरी, 1986 में केंद्र सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था। जिसके बाद पश्चिमी यूपी का माहौल काफी गरमा गया था। चश्मदीदों के मुताबिक, तब पीएसी के जवानों ने करीब 50 लोगों को एक ट्रक में भरकर दिल्ली रोड पर मुरादनगर गंग नहर पर ले गए थे और फिर एक-एक को गोलियों से भूनने के बाद गंग नहर में फेंक दिया। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट इस नरसंहार के सभी दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुना चुका है।

Hashimpura massacre incident -

कैसे, क्या हुआ?

  • फरवरी, 1986 में केंद्र सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था। जिसके बाद पश्चिमी यूपी का माहौल काफी गरमा गया था।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 1987 में मेरठ में दंगे पर काबू पाने के लिए पीएसी बुलाई गई थी। हालांकि, माहौल ठीक होने के बाद हटा लिया गया था। 
  • 9 मई, 1987 को दोबारा दंगा भड़कने और 10 लोगों के मारे जाने के बाद शहर में कर्फ्यू लगाते हुए पीएसी वापस बुलाई गई थी। 
  • 22 मई को मुस्लिम बाहुल्य हाशिमपुरा मोहल्ले में प्लाटून कमांडर सुरेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में 19 पीएसी जवानों को भेजा गया।

और फिर जो हुआ, उसका अंदाज़ा किसी को नहीं था

  • 22 मई जुमे की रात थी और हाशिमपुरा में मौजूद पीएसी के 19 जवान, पुलिस और मिलिट्री ने गिरफ्तारी अभियान चलाया।
  • चश्मदीदों के अनुसार, तब पीएसी के जवानों ने करीब 50 लोगों को एक ट्रक में भरकर दिल्ली रोड पर मुरादनगर गंग नहर पर ले गए थे। फिर एक-एक को गोलियों से भूनने के बाद गंग नहर में फेंक दिया।
  •  रिपोर्ट के मुताबिक, इस नरसंहार में करीब 8 लोग किसी तरह बच निकलने में सफल रहे थे। जिसके बाद उन्होंने स्थानीय थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
  •  हाशिमपुरा नरसंहार मामले में 19 पीएसी जवानों को हत्या, हत्या का प्रयास, सुबूतों से छेड़छाड़ और साजिश रचने की धाराओं में आरोपी बनाया गया था।
  • 2006 में 17 लोगों पर आरोप तय किए गए। सुनवाई के दौरान एक की मृत्यु हो गई थी।