Haryana Farmers: खट्टर सरकार और आढ़तियों की जंग में क्यों गुस्से में है हरियाणा का किसान? कुरुक्षेत्र में जीटी रोड किया जाम, जानिए पूरा मामला
कुरुक्षेत्र: हरियाणा में धान खरीद को लेकर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के चलते हरियाणा हाइवे पर लंबा जाम लगा हुआ है। इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने कुरुक्षेत्र में धान खरीद की मांग करते हुए जीटी रोड जाम कर दी थी। उधर प्रदेश में आढ़तियों की भी हड़ताल जारी है। इसके कारण भी धान खरीद बाधित हो रही है और बारिश के बीच धान की फसल खुले में पड़ी है। एक किसान ने कहा कि लगातार बारिश हो रही है और हम अपनी फसल आढ़तियों को नहीं बेच सकते क्योंकि वे हड़ताल पर हैं। सरकार ने अभी तक कोई ऐक्शन नहीं लिया है।
दरअसल सरकार और आढ़तियों में खींचतान के चलते किसानों की धान खरीद प्रभावित हो रही है। धान की फसल कट चुकी है लेकिन आढ़तियों की हड़ताल के चलते किसान बेच नहीं पा रहे हैं। वहीं प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश के चलते उनकी फसल के खराब होने का भी डर है।
हरियाणा में धान की सरकारी खरीद शुरू न होने से गुस्साए किसानों ने शुक्रवार को कुरुक्षेत्र के शाहबाद में नैशनल हाइवे-44 जीटी रोड को जाम कर दिया। हाइवे पर दिनभर वाहन जाम में फंसे रहे। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की सरकार और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इसमें दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई। गुरुवार देर रात भी बातचीत हुई थी, वह भी विफल रही। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे। इसे तोड़ते हुए किसान हाइवे पर आ गए।
किसान धान की खरीद तुरंत शुरू करने पर अड़े हैं। प्रदेश में आढ़ती भी हड़ताल पर चल रहे हैं। शुक्रवार को 11 बजे हजारों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर शाहबाद में शहीद उधम सिंह चौक पर पहुंचे। किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया। वहीं मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। किसानों ने निर्णय लिया कि जब तक सरकार धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं करती तब तक वह हाइवे को जाम रखेंगे।
बीकेयू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि धान की खरीद ना होने के चलते किसानों को भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि किसानों की धान की कई किस्म पक कर खेतों में तैयार हैं। काफी किसानों की फसल कट भी चुकी है लेकिन खरीद ना होने के चलते बरसात के कारण उनकी धान की फसल खराब हो रही है और उनको आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि तीन बार प्रशासन को समय दिया था। लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया। अब बैरिकेड्स तोड़ते हुए जीटी रोड को जाम कर दिया गया है। वहीं मौके पर पुलिस बल तैनात है। साथ ही वॉटर कैनन को भी बुला लिया गया है।
हरियाणा में आढ़तियों ने 19 सितंबर से सभी 135 अनाज मंडियों में अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल का ऐलान किया है। उनकी मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली फसलों की खरीद पहले की ही तरह आढ़तियों के जरिए ही की जाए। जबकि सरकार अब भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में कर रही है। आढ़ती बासमती धान की प्रजातियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम प्लैटफॉर्म से जोड़ने के खिलाफ भी हैं।
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने शुक्रवार को हिसार में व्यापारी प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि सरकार हर फसल के सीजन में नए-नए फरमान जारी करके आढ़तियों को परेशान करने में लगी हुई है। इसके कारण पांच दिन से हरियाणा की अनाज मंडियों में पूरी तरह से हड़ताल है। सरकार ने अनाज की फसल खुली बोली में खरीद करने की बजाएं ई-प्रणाली से खरीद करने का आदेश देकर आढ़ती और किसानों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जबकि किसान की फसल सदियों से आढ़तियों के माध्यम से खुली बोली में बिकती आ रही है। फसल खुली बोली में बेचने से किसान को अनाज के अच्छे भाव मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से ई-प्रणाली खरीद का फरमान वापस लेना चाहिए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि आज का दौर परिवर्तन का है। बहुत सी सेवाएं ऑलाइन हो रही हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार भी उसी का हिस्सा है। अब किसान अपनी फसल इसके माध्यम से केरल से असम तक कहीं के व्यापारी को बेच सकते हैं, जहां उसे फसल के अच्छे भाव मिलेंगे।
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हरियाणा में धान की सरकारी खरीद शुरू न होने से गुस्साए किसानों ने शुक्रवार को कुरुक्षेत्र के शाहबाद में नैशनल हाइवे-44 जीटी रोड को जाम कर दिया। हाइवे पर दिनभर वाहन जाम में फंसे रहे। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की सरकार और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इसमें दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई। गुरुवार देर रात भी बातचीत हुई थी, वह भी विफल रही। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे। इसे तोड़ते हुए किसान हाइवे पर आ गए।
किसान धान की खरीद तुरंत शुरू करने पर अड़े हैं। प्रदेश में आढ़ती भी हड़ताल पर चल रहे हैं। शुक्रवार को 11 बजे हजारों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर शाहबाद में शहीद उधम सिंह चौक पर पहुंचे। किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया। वहीं मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। किसानों ने निर्णय लिया कि जब तक सरकार धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं करती तब तक वह हाइवे को जाम रखेंगे।
बीकेयू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि धान की खरीद ना होने के चलते किसानों को भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि किसानों की धान की कई किस्म पक कर खेतों में तैयार हैं। काफी किसानों की फसल कट भी चुकी है लेकिन खरीद ना होने के चलते बरसात के कारण उनकी धान की फसल खराब हो रही है और उनको आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि तीन बार प्रशासन को समय दिया था। लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया। अब बैरिकेड्स तोड़ते हुए जीटी रोड को जाम कर दिया गया है। वहीं मौके पर पुलिस बल तैनात है। साथ ही वॉटर कैनन को भी बुला लिया गया है।
हरियाणा में आढ़तियों ने 19 सितंबर से सभी 135 अनाज मंडियों में अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल का ऐलान किया है। उनकी मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली फसलों की खरीद पहले की ही तरह आढ़तियों के जरिए ही की जाए। जबकि सरकार अब भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में कर रही है। आढ़ती बासमती धान की प्रजातियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम प्लैटफॉर्म से जोड़ने के खिलाफ भी हैं।
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने शुक्रवार को हिसार में व्यापारी प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि सरकार हर फसल के सीजन में नए-नए फरमान जारी करके आढ़तियों को परेशान करने में लगी हुई है। इसके कारण पांच दिन से हरियाणा की अनाज मंडियों में पूरी तरह से हड़ताल है। सरकार ने अनाज की फसल खुली बोली में खरीद करने की बजाएं ई-प्रणाली से खरीद करने का आदेश देकर आढ़ती और किसानों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जबकि किसान की फसल सदियों से आढ़तियों के माध्यम से खुली बोली में बिकती आ रही है। फसल खुली बोली में बेचने से किसान को अनाज के अच्छे भाव मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से ई-प्रणाली खरीद का फरमान वापस लेना चाहिए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि आज का दौर परिवर्तन का है। बहुत सी सेवाएं ऑलाइन हो रही हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार भी उसी का हिस्सा है। अब किसान अपनी फसल इसके माध्यम से केरल से असम तक कहीं के व्यापारी को बेच सकते हैं, जहां उसे फसल के अच्छे भाव मिलेंगे।