Hamirpur News: हमीरपुर के इस प्राचीन मंदिर की दीवारों पर चित्रित है संपूर्ण महाभारत, एक ही पत्थर से बना है राम जानकी मंदिर

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Hamirpur News: हमीरपुर के इस प्राचीन मंदिर की दीवारों पर चित्रित है संपूर्ण महाभारत, एक ही पत्थर से बना है राम जानकी मंदिर

पंकज मिश्रा, हमीरपुर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में सैकड़ों साल पुराना रामजानकी मंदिर आज भी अपनी भव्यता के लिए क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक ही पत्थर पर बना है जिसकी नक्काशी भी बड़ी ही अद्भुत है। मंदिर की दीवारों पर रामकथा के अलावा महाभारत और श्रीकृष्ण लीला के प्रसंग चित्रित हैं। यह मंदिर संरक्षण के लिए आज भी बाट जोह रहा है।

हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र के खंडेह गांव में रामजानकी मंदिर स्थित है जिसका इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। मुगल सम्राट अकबर के समय खंडेह महल कालिंजर सरकार के आधीन इलाहाबाद सूबे में था। मुगलों के बाद मराठाओं का शासन यहां रहा है। करीब दस हजार की आबादी वाले इस गांव में एतिहासिक मंदिर तक जाने के लिए पक्का रास्ता बना हुआ है। कानपुर-बांदा एनसीआर में अकौना रेलवे स्टेशन ही खंडेह गांव का स्टेशन है। यहां से दर्शनीय स्थल भी कुछ ही फलांग की दूरी पर है। खंडेह गांव का नाम सरकारी जिला गजिटियर्स में भी आया है।

सन 1909 के बांदा गजिटियर्स के पृष्ठ-108 में ग्राम खंडेह में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए परगना होने का जिक्र मिलता है। सन 1878 में खंडेह का इलाका, नाना गोविंद राव ने अंग्रेजी हुकूमत को सौंपा था। ये भाग महोबा परगना में शामिल किया गया था। पुरातन इतिहास से इस गांव का जिक्र न सिर्फ अंग्रेजों के जमाने से मिलता है बल्कि उसके पूर्व मुगल सल्तनत और उसके भी पूर्व आर्यों के जमाने में भी इस गांव का व इससे जुड़े गैर आबाद रेवन्यू लिलेज अकोना के स्थायित्व का ज्ञान होता है।

यह मंदिर विलक्षण कारीगरी के लिए पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध है। मंदिर के प्रमुख सर्वराकार पद्मम दुबे ने बताया कि पूरे मंदिर में नक्काशी व देवी देवताओं की मूर्तियों को बड़े ही अद्भुत तरीके से तराशा गया है। मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर भी चित्रकूट जिले के ग्राम खोह के पहाड़ों से बैलगाडिय़ों से यहां लाया गया था जिनके चिन्ह आज भी गांव में देखने को मिलते है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है जो ग्रेनाइट पत्थर पर बना है। लेकिन इसके संरक्षण संबंधी कोई प्लान उनके विभाग से नहीं बना है।

एक एकड़ क्षेत्रफल में बना है राम दरबार का पुराना मंदिर
रामजानकी मंदिर के प्रमुख सर्वराकार पद्म दुबे उर्फ लालू ने बताया कि गांव में सैकड़ों साल पुराना राम दरबार का मंदिर करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में बना है। भिन्न-भिन्न पत्थरों को मिलाकर पूरे मंदिर के निर्माण में इस तरह सेट किया गया है कि कोई भी पत्थरों के जोड़ को नहीं जान सकता है। सारा मंदिर एक दृष्टि में एक ही पत्थर का बना दिखता है। राम दरबार मंदिर तत्कालीन जमींदार चंदीदीन दुबे ने बनवाया था। इसमें राम लक्ष्मण और सीता की अष्टधातु की बहुमूल्य मूर्तियां विराजमान हैं। दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा भी यहां विराजमान है। रामजानकी मंदिर के पुजारी राकेश कुमार बाजपेई भीष्मदेव दुबे के पारिवारिक सदस्य हैं जो यहां मंदिर की देखभाल वर्षों से कर रहे हैं।

मंदिर में सम्पूर्ण महाभारत व कृष्ण लीला के चित्रित हैं प्रसंग
मंदिर के पुजारी राकेश कुमार बाजपेई ने बताया कि मंदिर के ग्रेनाइट पत्थर पर संपूर्ण महाभारत व कृष्ण लीला के अलावा रामकथा के प्रसंग चित्रित हैं। संगमरमर व ग्रेनाइट पत्थरों पर की गई शिल्प एवं कला की दृष्टि से बारीकी नक्काशी और भव्यता बेजोड़ है। बताया कि चंदीदीन दुबे का वर्ष 1902 में निधन होने के बाद रामजानकी मंदिर वीरान सा हो गया था। गांव के कुछ लोगों ने इसमें तोडफ़ोड़ कर क्षति पहुंचाई थी। चंदीदीन दुबे के पौत्र सुखदेव सहाय ने मंदिर के शेष निर्माण कार्य पुराने अधगढ़े पत्थरों से कराया था। सुखदेव के निधन के बाद दुबे परिवार के हिस्सेदार बाजपेई परिवार ने मंदिर में कर्नाटक, राजस्थान से कारीगरों को बुलवाकर मंदिर में नक्काशी कराई थी।

योगी सरकार ने मंदिर की भव्यता के लिए दिए 50 लाख रुपये
मंदिर के सर्वराकार पद्मम दुबे उर्फ लालू दुबे ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन संवर्धन योजना के तहत मंदिर को चमकाने के लिए 50 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त की थी जिसमें मंदिर के बाहर चबूतरा सहित अन्य तमाम कार्य कराए गए हैं। मंदिर के लिए दरवाजे और प्लास्टर व अन्य निर्माण कराए गए हैं। बताया कि इससे पहले सवा करोड़ से अधिक रुपये की कार्ययोजना मंदिर के लिए शासन को भेजी गई थी लेकिन इसकी मंजूरी नहीं मिली। बाद में सिर्फ मंदिर के बाहर ही कार्य कराए गए हैं। इस प्राचीन मंदिर में सम्पूर्ण रामकथा, महाभारत व श्रीकृष्ण लीला के प्रसंग चित्रित हैं लेकिन मंदिर के अंदर कोई भी निर्माण कार्य नहीं कराए जा सके।

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