Hamirpur: किसानों ने शुरू की अश्वगंधा समेत औषधीय खेती, बढ़ गया मोटा मुनाफा, जानिए तरीके

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Hamirpur: किसानों ने शुरू की अश्वगंधा समेत औषधीय खेती, बढ़ गया मोटा मुनाफा, जानिए तरीके

Hamirpur: किसानों ने शुरू की अश्वगंधा समेत औषधीय खेती, बढ़ गया मोटा मुनाफा, जानिए तरीके

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर (Hamirpur) में परम्परागत खेती के साथ ही अब किसानों ने औषधीय खेती शुरू की है। हर साल मोटा मुनाफा होने पर किसान अब बागवानी और औषधीय खेती का दायरा भी बढ़ाया है। तमाम किसान तो अश्वगंधा और अन्य औषधीय खेती से अब आत्मनिर्भर भी बन गए है। बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर में औषधीय खेती इन दिनों कई गांवों में किसान कर रहे है। राठ क्षेत्र के ही औड़ेरा और बिगुआ गांव में किसानों ने परम्परागत खेती और बागवानी के साथ औषधीय खेती शुरू की है।

गांव के कौशल किशोर राजपूत ने अपने खेतों में सर्वगंधा, अश्वगंधा, सत्तावर, सफेद मूसली, हल्दी समेत अन्य औषधीय खेती कर अपनी किस्मत बदली है। किसान ने बताया कि एक हेक्टेयर से अधिक भूमि पर औषधीय खेती और बागवानी कुछ साल पहले शुरू की थी, जिससे अब उन्हें मोटा मुनाफा मिल रहा है।महिपाल लोधी ने बताया कि दैवीय आपदा से पूरा क्षेत्र हर साल प्रभावित होता है, जिससे परम्परागत खेती को बड़ा झटका लगता है। इसीलिए अब औषधीय खेती का दायरा बढ़ाया गया है। बताया कि शुरू में औषधीय खेती के साथ सिंदूर की खेती शुरू की थी, लेकिन बाजार न मिलने के कारण इससे दूरी बनाई गई है। अब बागवानी और अन्य औषधीय खेती को बढ़ावा गांव के लोग दे रहे है। बाजार में सत्तावर और अश्वगंधा 300 से 400 रुपये प्रति किलो में आसानी से बिक जाती है।
कम लागत में अश्वगंधा की खेती से बनाई बड़ी पूंजी
गांव के कौशल किशोर का कहना है कि अश्वगंधा की खेती में कम लागत आती है। कम पानी में भी यह फसल अच्छी उपज देती है। बताया कि बोआई के 170 दिनों में ही अश्वगंधा की फसल तैयार हो जाती है। ढाई से तीन हजार रुपये प्रति एकड़ की लागत भी इस खेती में आती है। लागत का कई गुना फायदा भी अश्वगंधा की खेती से होता है। एक बीघे मेंं औषधीय खेती से करीब अस्सी क्विटंल तक उपज होती है।
खाली भूमि पर पेड़ों के बीच रोपित होते है सत्तावर
औषधीय खेती करने वाले कौशल किशोर और महिपाल सहित अन्य किसानों ने बताया कि बागवानी में पेड़ों के बीच फालतू खाली जमीन पर सत्तावर ढाई फीट की दूरी पर रोपित किए जाते है। इसकी बेल पेड़ों पर बड़ी ही तेजी से चढ़ती है। डेढ़ साल में ही सत्तावर की फसल तैयार होती है। बताया कि सत्तावर औषधीय है जो शक्तिवर्धक है। ताकत बढ़ाने के अलावा दुधारू मवेशियों को भी दूध बढ़ाने के खातिर भी इसे खिलाया जाता है।
अश्वगंधा व सत्तावर से असाध्य बीमारी होती है ठीक
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसपी सोनकर ने बताया कि क्षेत्र में अब किसान औषधीय खेती की तरफ कदम बढ़ाए है। बताया कि सूखी सत्तावर, अश्वगंधा, सफेद मूसली से असाध्य बीमारी में बड़ा फायदा होता है। परम्परागत खेती से भी कई गुना लाभ औषधीय खेती से होता है। डॉ. दिलीप त्रिपाठी, डॉ. अस्थाना ने बताया कि पेट संबंधी बीमारी में सत्तावर, अश्वगंधा और सफेद मूसली के सेवन करने से शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ती है।
रिपोर्ट – पंकज मिश्रा

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