Gyanvapi Masjid Verdict: आज नहीं हुई सुनवाई, अब 14 नवंबर को आएगा ज्ञानवापी पर फैसला
Shringar Gauri: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की हुई हैं। इस एक मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट के जज छुट्टी पर थे। इस वजह से सुनवाई नहीं हो पाई। अब 14 नवंबर को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फैसला आएगा।
हाइलाइट्स
- फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र पांडे के बेंच में दाखिल की थी
- महेंद्र कुमार पांडे के अवकाश पर होने के कारण आज आने वाला निर्णय 14 नवंबर को आएगा
- ज्ञानवापी मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी याचिका पर सुनवाई होनी थी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी याचिका पर आज (मंगलवार) भी फैसला नहीं आया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज महेंद्र पांडे की बेंच में याचिका की सुनवाई पूरी हो चुकी है और आज इस पर फैसला आना था, लेकिन छुट्टी पर होने की वजह से अब फैसला 14 नवंबर को सुनाया जाएगा।
विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण सिंह ने याचिका फास्ट ट्रैक कोर्ट में दी थी। याचिका में प्रमुख रूप से ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग के तत्काल पूजन के अधिकार और ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक की मांग की थी। इस याचिका पर अब फैसला 14 नवंबर को आएगा।
अवकाश पर जज
मुख्य वादी किरण सिंह बिसेन ने बताया कि ज्ञानवापी से संबंधित याचिका भगवान आदि विशेश्वर विराजमान को लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र पांडे के बेंच में दाखिल की थी। इस पर आज फैसला आना था। महेंद्र कुमार पांडे के अवकाश पर होने के कारण आज आने वाला निर्णय 14 नवंबर को आएगा। इस मामले को लेकर हम आश्वस्त हैं कि फैसला हमारे हक में आएगा।
श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन से अलग है ये मामला
जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि डिस्ट्रिक जज अजय कृष्ण विश्वास की अदालत में जो श्रृंगार गौरी दर्शन का मामला चल रहा है, उससे यह मामला बिल्कुल अलग है। इस मामले में हमने प्रमुख रूप से 3 मांगे रखी हैं, जिसमें पूरे ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक, परिसर में स्थित आदि विश्वेश्वर के तत्काल पूजन करने की इजाजत के साथ ही ज्ञानवापी परिसर में स्थित ढांचे को हटाने की इजाजत मांगी है। प्रतिवादी पक्ष की ओर से अपना जवाब दे दिया गया है। अब न्यायधीश इस मामले पर अपना फैसला सुनाएंगे कि ये मामला 7/11 के मुताबिक चलने लायक है या नहीं।
त्रेता युग से लेकर 1993 तक होती रही है पूजा
जितेन सिंह बिसेन ने यह भी बताया कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें हमने जो पूजन का अधिकार मांगा है। उस पूरे परिसर में स्थित आदि विश्वेश्वर समेत अन्य विग्रहों को लेकर है। उस पूरे परिसर में स्थित विग्रहों की त्रेतायुग से लेकर 1993 तक पूजन कार्य होता रहा है। इस बात के सभी साक्ष्य हमने दिए हैं, लेकिन एक सरकारी आदेश के बाद उस पूरे परिसर को बैरिकेड करके प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसके बाद से पूजन पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
इनपुट- अभिषेक कुमार झा
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Shringar Gauri: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की हुई हैं। इस एक मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट के जज छुट्टी पर थे। इस वजह से सुनवाई नहीं हो पाई। अब 14 नवंबर को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फैसला आएगा।
हाइलाइट्स
- फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र पांडे के बेंच में दाखिल की थी
- महेंद्र कुमार पांडे के अवकाश पर होने के कारण आज आने वाला निर्णय 14 नवंबर को आएगा
- ज्ञानवापी मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी याचिका पर सुनवाई होनी थी
विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण सिंह ने याचिका फास्ट ट्रैक कोर्ट में दी थी। याचिका में प्रमुख रूप से ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग के तत्काल पूजन के अधिकार और ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक की मांग की थी। इस याचिका पर अब फैसला 14 नवंबर को आएगा।
अवकाश पर जज
मुख्य वादी किरण सिंह बिसेन ने बताया कि ज्ञानवापी से संबंधित याचिका भगवान आदि विशेश्वर विराजमान को लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र पांडे के बेंच में दाखिल की थी। इस पर आज फैसला आना था। महेंद्र कुमार पांडे के अवकाश पर होने के कारण आज आने वाला निर्णय 14 नवंबर को आएगा। इस मामले को लेकर हम आश्वस्त हैं कि फैसला हमारे हक में आएगा।
श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन से अलग है ये मामला
जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि डिस्ट्रिक जज अजय कृष्ण विश्वास की अदालत में जो श्रृंगार गौरी दर्शन का मामला चल रहा है, उससे यह मामला बिल्कुल अलग है। इस मामले में हमने प्रमुख रूप से 3 मांगे रखी हैं, जिसमें पूरे ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक, परिसर में स्थित आदि विश्वेश्वर के तत्काल पूजन करने की इजाजत के साथ ही ज्ञानवापी परिसर में स्थित ढांचे को हटाने की इजाजत मांगी है। प्रतिवादी पक्ष की ओर से अपना जवाब दे दिया गया है। अब न्यायधीश इस मामले पर अपना फैसला सुनाएंगे कि ये मामला 7/11 के मुताबिक चलने लायक है या नहीं।
त्रेता युग से लेकर 1993 तक होती रही है पूजा
जितेन सिंह बिसेन ने यह भी बताया कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें हमने जो पूजन का अधिकार मांगा है। उस पूरे परिसर में स्थित आदि विश्वेश्वर समेत अन्य विग्रहों को लेकर है। उस पूरे परिसर में स्थित विग्रहों की त्रेतायुग से लेकर 1993 तक पूजन कार्य होता रहा है। इस बात के सभी साक्ष्य हमने दिए हैं, लेकिन एक सरकारी आदेश के बाद उस पूरे परिसर को बैरिकेड करके प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसके बाद से पूजन पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
इनपुट- अभिषेक कुमार झा
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