Gwalior News : मर्दों वाला है पत्नी का प्राइवेट पार्ट, मैं कैसे उसके साथ रहूं… बेहाल पति ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
ग्वालियर : एमपी के ग्वालियर से अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक पति ने सुप्रीम कोर्ट में शादी को शून्य करने को लेकर याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी का प्राइवेट पार्ट मर्दों (wife private part like man) वाला है। उसने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने अपनी पत्नी और ससुर पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही कहा है कि झूठ बोलकर महिला से मेरी शादी करवा दी गई है। यह केस पहले हाईकोर्ट में भी चला था। मगर हाईकोर्ट के फैसले से पति संतुष्ट नहीं था। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा (gwalior helpless husband appealed in sc) खटखटाया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर विचार के लिए तैयार हो गया है। साथ ही मामले में एमपी पुलिस को एक नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर पुलिस से छह सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पुरुष से शादी कराकर हमारे क्लाइंट को ठगा गया है। महिला और उसके परिवार के लोग पहले प्राइवेट पार्ट के बारे में जानते थे।
पति ने इस मामले सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। लेकिन वहां से आए फैसले से पति संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि महिला का हाइमेन डेवलप नहीं है। कोर्ट में सवाल जवाब के दौरान पीड़ित के वकील एनके मोदी ने कहा है कि हमारा मुवक्किल चाहता है कि महिला के खिलाफ केस चले। साथ ही उसके पिता के ऊपर भी ऐसा ही हो। दोनों ने हमारे मुवक्किल का जीवन बर्बाद करने का काम किया है। कानून के मुताबिक दोनों को गंभीर परिणाम भुगतने चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल, पीड़ित व्यक्ति ग्वालियर का रहने वाला है। पहली पत्नी का निधन बीमारी की वजह से हो गया है। पीड़ित को दो बच्चे भी हैं। पहली पत्नी के पिता ही दूसरी शादी के लिए रिश्ता लेकर आए। 2016 में दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद पता चला कि जिससे उसकी शादी हुई है, उसका प्राइवेट पार्ट मर्दों जैसा है। उसके साथ संबंध स्थापित नहीं किया जा सकता है। अगस्त 2017 में पीड़ित ने पत्नी और उसके पिता के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास आवेदन दिया। बदले में पत्नी ने भी दहेज का मामला दर्ज करा दिया।
दोनों के बीच का मामला काफी उलझ गया था। 2019 में मजिस्ट्रेट ने धोखाधड़ी के मामले में संज्ञान लिया था। इसके बाद से मामला कोर्ट में ही चल रहा है। सिविल कोर्ट में पति ने शादी को शून्य करने की मांग की थी। वहीं, जिला कोर्ट से पीड़ित के पक्ष में फैसला आया था। जून 2021 में हाईकोर्ट ने इसे पलट दिया है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर विचार के लिए तैयार हो गया है। साथ ही मामले में एमपी पुलिस को एक नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर पुलिस से छह सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पुरुष से शादी कराकर हमारे क्लाइंट को ठगा गया है। महिला और उसके परिवार के लोग पहले प्राइवेट पार्ट के बारे में जानते थे।
पति ने इस मामले सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। लेकिन वहां से आए फैसले से पति संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि महिला का हाइमेन डेवलप नहीं है। कोर्ट में सवाल जवाब के दौरान पीड़ित के वकील एनके मोदी ने कहा है कि हमारा मुवक्किल चाहता है कि महिला के खिलाफ केस चले। साथ ही उसके पिता के ऊपर भी ऐसा ही हो। दोनों ने हमारे मुवक्किल का जीवन बर्बाद करने का काम किया है। कानून के मुताबिक दोनों को गंभीर परिणाम भुगतने चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल, पीड़ित व्यक्ति ग्वालियर का रहने वाला है। पहली पत्नी का निधन बीमारी की वजह से हो गया है। पीड़ित को दो बच्चे भी हैं। पहली पत्नी के पिता ही दूसरी शादी के लिए रिश्ता लेकर आए। 2016 में दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद पता चला कि जिससे उसकी शादी हुई है, उसका प्राइवेट पार्ट मर्दों जैसा है। उसके साथ संबंध स्थापित नहीं किया जा सकता है। अगस्त 2017 में पीड़ित ने पत्नी और उसके पिता के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास आवेदन दिया। बदले में पत्नी ने भी दहेज का मामला दर्ज करा दिया।
दोनों के बीच का मामला काफी उलझ गया था। 2019 में मजिस्ट्रेट ने धोखाधड़ी के मामले में संज्ञान लिया था। इसके बाद से मामला कोर्ट में ही चल रहा है। सिविल कोर्ट में पति ने शादी को शून्य करने की मांग की थी। वहीं, जिला कोर्ट से पीड़ित के पक्ष में फैसला आया था। जून 2021 में हाईकोर्ट ने इसे पलट दिया है।