Gujrat election : जिद्दी काका की जिद काम आई, बागी हुए दीनू मामा और मधु भाई | Gujrat Kaka’s displeasure worked, Dinu Mama and Madhu Bhai rebell | Patrika News

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Gujrat election : जिद्दी काका की जिद काम आई, बागी हुए दीनू मामा और मधु भाई | Gujrat Kaka’s displeasure worked, Dinu Mama and Madhu Bhai rebell | Patrika News

Gujrat election : जिद्दी काका की जिद काम आई, बागी हुए दीनू मामा और मधु भाई | Gujrat Kaka’s displeasure worked, Dinu Mama and Madhu Bhai rebell | Patrika News

दस विधानसभा सीटों वाले वड़ोदरा जिले का चुनावी मिजाज दो हिस्सों मेें समझना होगा। एक है पांच विधानसभा सीटों वाला वड़ोदरा शहर और दूसरा इतनी ही सीटों की संख्या का ग्रामीण इलाका। इनमें महज एक सीट पादरा ही कांग्रेस के कब्जे में बची थी। शहरी क्षेत्र में दो दशक से भी अधिक समय से भाजपा का दबदबा है। जिसके प्रत्याशी कांग्रेस से दोगुने से अधिक वोट पाकर चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार क्या कुछ बदला है इस पर चर्चा करते हुए सयाजीगंज सीट पर मिले केतन भाई पूरा गणित समझा गए। पानी की किल्लत और बुलेट टे्रन की लाइन बिछाने की सुस्त रफ्तार परेशानी की वजह तो है पर चुनाव में यह मुद्दा नहीं बन रहा है। वड़ोदरा में आम आदमी पार्टी के असर के बारे में सेंट्रल सीट के मुकेश भाई कहते हैं, अरविंद केजरीवाल लंबे समय से वड़ोदरा नहीं आए हैं। चुनाव प्रचार में ज्यादा जोर नहीं दिख रहा है।

वहीं, रावपुरा सीट के रिटायर कर्मचारी घीवा भाई कहते हैं यहां घूमने से कुछ नहीं मिलेगा, वघोडिय़ा और पादरा जाकर देखो। उनका इशारा इन दोनों सीटों पर हुई बगावत की ओर था। जिसकी चर्चा शहर तक है। दरअसल, भाजपा स्थानीय स्तर पर अब तक की सबसे बड़ी बगावत झेल रही है। इसी के चलते वाघोडिय़ा चुनावी जंग बहुत रोचक हो गई है। 2017 के चुनाव के जीते और निकटतम दोनों ही प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तर भारतीय मधु श्रीवास्तव इस सीट से पहली बार 1995 में निर्दलीय चुनाव जीते थे। बाद में भाजपा में शामिल हो गए और लगातार छह बार जीत दर्ज की। इस बार टिकट कटी तो बागी हो गए। घोड़े पर सवार होकर निकलना, अधिकारियों को धमकाने और अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने से उनकी छवि बाहुबली नेता की बन गई। पिछले चुनाव में उन्हीं की भाषा में जवाब देने धर्मेंद्र सिंह बाघेला चुनाव में निर्दलीय उतरे और भैया भगाओ का नारा देकर मधु को पसीने ला दिए थे। अब दोनों फिर निर्दलीय आमने-सामने हैं।

काका का दम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा के ऐतिहासिक लक्ष्मी विलास महल के पोलो ग्राउंड में बड़ी सभा को संबोधित किया। उनका अंदाज सब चंगा सी जैसा ही रहा, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। उम्र की सख्त गाइडलाइन और बड़े पैमाने पर विधायकों व वरिष्ठ नेताओं की टिकट काटने के बाद भी पार्टी ने वड़ोदरा की मांजलपुर शहरी सीट से 76 वर्षीय योगेश पटेल को आठवीं बार मैदान पर उतारा है। परिसीमन के बाद बनी मांजलपुर सीट से योगेश दो चुनाव जीत चुके हैं और पांच चुनाव वे रावपुर सीट से जीते थे। जिद्दी काका के नाम से मशहूर योगेश को नामांकन के आखिरी दिन फोन पर फार्म जमा करने की सूचना दी गई। चर्चा थी कि इस सीट से उत्तरप्रदेश की राÓयपाल आनंदी बेन पटेल की बेटी अनार पटेल को उतारा जा सकता है। इसे लेकर भाजपा दुविधा में दिखी और योगेश पटेल की जिद पर उसे पीछे हटना पड़ा।

सत्ता समीकरण बनाने की कोशिश
सरकार किसकी बनेगी और सीटों का आंकड़ा क्या होगा, यह तो 8 दिसंबर को पता चलेगा। लेकिन भाजपा अपना अंकगणित अभी से ठीक करने में जुट गई है। कोशिश बाहरी समर्थन को भी अभी से साधने की है। उसकी इस रणनीति का पता वाघोडिय़ा सीट से चलता है। चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा के कार्यकर्ता निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह बाघेला के लिए ताकत लगा रहे हंै। भाजपा की कोशिश बागी हुए छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव को पटखनी देने की है। भाजपा के दो कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ऊपर से ही धीरेंद्र की स्थिति पर नजर रखने के आदेश है। पार्टी यह मानती है कि जीतने पर निर्दलीय धीरेंद्र उसके काम आएंगे। वाघोडिय़ा से कांग्रेस ने वड़ोदरा राजघराने के सत्यजीत गायकवाड़ को टिकट दिया है। जिनकी राजपूतों में अ’छी पकड़ है।



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