GST on Hospital Beds: दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना अब और होगा महंगा
विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः जीएसटी का बोझ अब मरीजों को अपने इलाज के दौरान भी उठाना पड़ेगा। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले अधिकांश मिडिल क्लास के लोगों को यह बोझ सहन करना पड़ेगा। जीएसटी परिषद ने हाल ही में अपने फैसले में प्राइवेट अस्पताल के 5 हजार रुपये और इससे ऊपर के बेड्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है। जितने दिन मरीज इलाज के दौरान बेड पर रहेगा, उसे कम से कम 250 रुपए रोजाना अतिरिक्त खर्च करना होगा। स्वास्थ्य एक्सपर्ट का कहना है कि कहीं से भी यह फैसला जायज नहीं है। सरकार को मरीजों पर इस प्रकार का बोझ नहीं डालना चाहिए। इसे वापस लेने चाहिए।
इंडियन मेडिकल असोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट डॉक्टर विनय अग्रवाल ने कहा कि आईसीयू में कोई जीएसटी नहीं है, लेकिन 5000 रुपये और इससे ऊपर वाले बेड्स पर है। बड़े शहरों के बड़े हॉस्पिटल में ज्यादातर एक दिन का रूम का रेंट 5000 रुपये से ऊपर ही है। अब ऐसे मरीजों को रोजाना कम से कम 250 रुपए अतिरिक्त पेमेंट करना होगा। इससे ऊपर अगर रूम रेट 6000 हजार रुपये है तो मरीज को उसके लिए रोजाना 300 रुपये देने होंगे। जितना बेड चार्ज होगा, उस हिसाब से 5 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी देना होगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार हेल्थ पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लेने की बात करती है, तो यह इनडायरेक्ट टैक्स ही है।
वहीं, गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर डी. एस. राणा ने कहा कि मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार का फैसला है और बड़े अस्पतालों में एक दिन का बेड चार्ज 5 हजार रुपये से ऊपर ही है। अब या तो मरीज 5 हजार से नीचे वाले बेड की तलाश करे और फिर वहां जाए। हर मरीज ऐसा नहीं कर सकता है। हर मरीज बेस्ट केयर चाहता है और इसके लिए वह अच्छे अस्पताल में ही जाना पसंद करता है। इससे मिडिल क्लास के लोगों को ज्यादा दिक्कत होगी। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर विनय ने आगे कहा कि सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना चाहिए। कहीं से भी यह फैसला सही नहीं है। जब यह लागू होगा तो कई प्रकार के उलझन आ सकते हैं। अभी नहीं पता है कि यह किस प्रकार असर करेगा, लेकिन इतना तय है कि बड़े अस्पतालों में मरीजों को इलाज कराना और महंगा हो जाएगा। आम लोगों के पास एक ही विकल्प बचता है कि वह इसके बोझ से बचने के लिए सस्ते और छोटे अस्पताल में जाएं, जहां पर एक दिन का बेड का चार्ज 5 हजार रुपये से नीचे हो।
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इंडियन मेडिकल असोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट डॉक्टर विनय अग्रवाल ने कहा कि आईसीयू में कोई जीएसटी नहीं है, लेकिन 5000 रुपये और इससे ऊपर वाले बेड्स पर है। बड़े शहरों के बड़े हॉस्पिटल में ज्यादातर एक दिन का रूम का रेंट 5000 रुपये से ऊपर ही है। अब ऐसे मरीजों को रोजाना कम से कम 250 रुपए अतिरिक्त पेमेंट करना होगा। इससे ऊपर अगर रूम रेट 6000 हजार रुपये है तो मरीज को उसके लिए रोजाना 300 रुपये देने होंगे। जितना बेड चार्ज होगा, उस हिसाब से 5 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी देना होगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार हेल्थ पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लेने की बात करती है, तो यह इनडायरेक्ट टैक्स ही है।
वहीं, गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर डी. एस. राणा ने कहा कि मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार का फैसला है और बड़े अस्पतालों में एक दिन का बेड चार्ज 5 हजार रुपये से ऊपर ही है। अब या तो मरीज 5 हजार से नीचे वाले बेड की तलाश करे और फिर वहां जाए। हर मरीज ऐसा नहीं कर सकता है। हर मरीज बेस्ट केयर चाहता है और इसके लिए वह अच्छे अस्पताल में ही जाना पसंद करता है। इससे मिडिल क्लास के लोगों को ज्यादा दिक्कत होगी। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर विनय ने आगे कहा कि सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना चाहिए। कहीं से भी यह फैसला सही नहीं है। जब यह लागू होगा तो कई प्रकार के उलझन आ सकते हैं। अभी नहीं पता है कि यह किस प्रकार असर करेगा, लेकिन इतना तय है कि बड़े अस्पतालों में मरीजों को इलाज कराना और महंगा हो जाएगा। आम लोगों के पास एक ही विकल्प बचता है कि वह इसके बोझ से बचने के लिए सस्ते और छोटे अस्पताल में जाएं, जहां पर एक दिन का बेड का चार्ज 5 हजार रुपये से नीचे हो।