GST news: यूपी-बिहार में हैं सबसे ज्यादा टैक्सपेयर जो नहीं देते हैं एक पैसे का भी जीएसटी
देश में जुलाई 2017 में जीएसटी (GST) की व्यवस्था लागू की गई थी। कई तरह के टैक्स को इसमें मिला दिया गया था। लेकिन सीएजी (CAG) की हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने के चार साल बाद भी इसमें कई तरह की खामियां हैं।
नई दिल्ली: यूपी और बिहार में ऐसे रजिस्टर्ड और एक्टिव टैक्सपेयर्स की संख्या सबसे ज्यादा है जिन्होंने जीएसटी (GST) लागू होने के बाद से एक पैसे का भी टैक्स नहीं दिया है। केंद्र ने खुद संसद में इसका खुलासा किया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित सवाल के जवाब में कहा कि यूपी में 2.22 लाख एक्टिव टैक्सपेयर्स ने जीएसटी लागू होने के बाद से एक पैसे का भी टैक्स नहीं दिया है। बिहार में ऐसे टैक्सपेयर्स की संख्या 1.10 लाख है। तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। वहां 1.05 लाख टैक्सपेयर्स ने कोई जीएसटी नहीं दिया है।
जीएसटी को जुलाई 2017 से लागू किया गया था। सीएजी (CAG) ने इससे पहले अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जीएसटी लागू होने चार साल बाद भी इसकी समीक्षा और रिफंड के ऑडिट की व्यवस्था नहीं बन पाई है ताकि विभाग समय पर गलतियों में सुधार कर सके। ऑडिट में डबल पेमेंट के 410 मामले सामने आए थे जिनकी कुल राशि 13.73 करोड़ रुपये थी।
रिकवरी रेट बहुत कम
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डिपार्टमेंट ने 2018-19 में 50 हजार मामलों की प्रायोरिटी के आधार पर वेरिफिकेशन के लिए पहचान की थी लेकिन यह कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हुई है। विभाग को अभी 8849 मामलों को वेरिफाई करना है। जिन मामलों में अनियमितता की पुष्टि हो चुकी है, उनमें भी रिकवरी का रेट बहुत कम है। जीएसटी उपभोग के लिए घरेलू स्तर पर बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला कर है। इसमें टैक्स को अंतिम मूल्य में शामिल किया जाता है और बिक्री के स्थान पर उपभोक्ता इसका भुगतान करता है और बेचने वाला इसे सरकार को देता है। दुनिया के कई देशों ने इसे अपनाया है।
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देश में जुलाई 2017 में जीएसटी (GST) की व्यवस्था लागू की गई थी। कई तरह के टैक्स को इसमें मिला दिया गया था। लेकिन सीएजी (CAG) की हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने के चार साल बाद भी इसमें कई तरह की खामियां हैं।
रिकवरी रेट बहुत कम
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डिपार्टमेंट ने 2018-19 में 50 हजार मामलों की प्रायोरिटी के आधार पर वेरिफिकेशन के लिए पहचान की थी लेकिन यह कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हुई है। विभाग को अभी 8849 मामलों को वेरिफाई करना है। जिन मामलों में अनियमितता की पुष्टि हो चुकी है, उनमें भी रिकवरी का रेट बहुत कम है। जीएसटी उपभोग के लिए घरेलू स्तर पर बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला कर है। इसमें टैक्स को अंतिम मूल्य में शामिल किया जाता है और बिक्री के स्थान पर उपभोक्ता इसका भुगतान करता है और बेचने वाला इसे सरकार को देता है। दुनिया के कई देशों ने इसे अपनाया है।
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